tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post5791526515163523607..comments2024-03-09T13:57:59.872+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: परसु कहार, जबले तोहार लम्बर आई, ओरा जाई पानीशैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-46179915566936876302011-01-10T22:57:09.306+05:302011-01-10T22:57:09.306+05:30My cousin recommended this blog and she was totall...My cousin recommended this blog and she was totally right keep up the fantastic work!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-75316625347279833282009-11-22T20:13:25.187+05:302009-11-22T20:13:25.187+05:30कविता अच्छी लगी | 'चाँद का मुंह टेढा है '(...कविता अच्छी लगी | 'चाँद का मुंह टेढा है '(मुक्तिबोध) 'बुढा चाँद' और 'ठाकुर का कुआ' अच्छा आज के परिवेश पर अच्छा व्यंग्य है|deepakhttps://www.blogger.com/profile/01751144796218903755noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-50351738025218860212009-11-09T14:54:38.968+05:302009-11-09T14:54:38.968+05:30क्या कविता है क्या नहीं , सच कहू तो मैं आज तक समझ ...क्या कविता है क्या नहीं , सच कहू तो मैं आज तक समझ ही नहीं पाया. सैलेश जी क गोष्ठी इस पर होनी चाहिए. मैं क्या कोई भी शायद सोच कर कविता नहीं लिखता होगा की इसमें प्रतीक , भावः , कथ्य डाला जाये , यह तो हर रचना का अपना भाग्य होता है कि उसके हिस्से में कितना कविता तत्त्व आ पाया है, इसी क्रम में यह रचना इक नए विषय ( जिसमे कुछ नए प्रतीक भी आ गए गए ) कुछ सास्वत समीकरणों के न बदले जाने वाले हल की तरफ इशारा है.अवनीश जी/नीलम जी समेत सभी सुधि पाठको को धन्यबाद, हो सकता है अगली कविता के भाग्य में कुछ ज्यादा हो, इतना की सबको अपने अपने रंग मिले.. <br /><br />अखिलेशAkhileshhttps://www.blogger.com/profile/09641299718027515895noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-11478895847126115502009-11-06T23:21:51.797+05:302009-11-06T23:21:51.797+05:30एक नया प्रयोग दिखता है इस अद्भु्त कविता मे..प्रचिल...एक नया प्रयोग दिखता है इस अद्भु्त कविता मे..प्रचिलित प्रतीकों से बाहर जा कर आज के स्पेस-एज की फ़तांसियों मे रोज-मर्रा के सामान्य जीवन की सामंती विडम्बनाओं का संयोजन और संबन्ध अद्भुत ढंग से दर्शाया गया है इस कविता मे..छायावाद से ले कर प्रगतिवाद और फिर प्रयोगवाद के सारे तत्वों को मिला कर बेहतरीन प्रस्तुति करने के लिये बधाई, अखिलेश जी !!<br /><br />पिछले दिनों<br />एक उपग्रह टकरा गया<br />सप्त ऋषियों से<br />जब वो जा रहे थे सुबह को बुलाने<br />चटक गया अगस्त ऋषि का कमंडल<br /><br />बहुत खूब..अपूर्वhttps://www.blogger.com/profile/11519174512849236570noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-56096012029624260932009-11-06T09:26:26.868+05:302009-11-06T09:26:26.868+05:30bahut sundar...badhiya rachana ..bahut sundar...badhiya rachana ..विनोद कुमार पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/17755015886999311114noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-80298718406306708842009-11-06T09:08:42.031+05:302009-11-06T09:08:42.031+05:30विग्यान कितना भी तरक्की कर ले..
देश जितना भी गर्व...विग्यान कितना भी तरक्की कर ले.. <br />देश जितना भी गर्व करे कि हमने चांद पर पानी ढूंढ लिया..<br />पर आज भी<br />हमारे देश में फैला जातिवाद<br />सारा नशा उतार देता है..<br />मिली पानी त....<br />वाकई इस बार हिन्दयुग्म की यूनिकवि प्रतियोगिता में कविता चयन में<br />जजों को काफी मेहनत करनी पड़ी होगीदेवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-1653314220181008382009-11-05T19:46:00.442+05:302009-11-05T19:46:00.442+05:30मिली पानी त
पहिले पिहे ब्रह्मण
फिर पिहे ठाकुर
औ ...मिली पानी त<br />पहिले पिहे ब्रह्मण <br />फिर पिहे ठाकुर <br />औ जबले तोहार<br />लम्बर आई<br />ओरा जाई पानी।'<br />..........बेमिसालरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-46900023286882144302009-11-05T17:15:51.702+05:302009-11-05T17:15:51.702+05:30manchan ke liye achcha kathya hai par kavita jaisa...manchan ke liye achcha kathya hai par kavita jaisa shaayad ????neelamhttps://www.blogger.com/profile/00016871539001780302noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-70578923397330136982009-11-05T17:06:55.015+05:302009-11-05T17:06:55.015+05:30नया तरकीब और विषय अच्छा लगा | बधाई |
लेकिन कविता क...नया तरकीब और विषय अच्छा लगा | बधाई |<br />लेकिन कविता के नज़र से कोई भी बात नहीं है रचना में :( कविता है भी या नहीं ?<br /><br />आपसे नए विषय लिए और अच्छी रचना की चाह है |<br /><br />आपका <br />अवनीश तिवारीअवनीश एस तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/04257283439345933517noreply@blogger.com