tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post5720746521815459923..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: श्रद्धा जैन की एक ग़ज़ल (प्रतियोगिता से)शैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-75310184150402193382007-06-02T19:46:00.000+05:302007-06-02T19:46:00.000+05:30लश्कर तारों का और हो चंदा की चाँदनीखुशबू में मिलता...लश्कर तारों का और हो चंदा की चाँदनी<BR/>खुशबू में मिलता है अब उनका आभास मुझे<BR/>सुन्दर पंक्तियां हैं।आशीष "अंशुमाली"https://www.blogger.com/profile/07525720814604262467noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-17514957901505618622007-05-30T14:16:00.000+05:302007-05-30T14:16:00.000+05:30श्रद्धा जीआप निश्चित ही बहुत स्तरीय कवयित्री हैं। ...श्रद्धा जी<BR/>आप निश्चित ही बहुत स्तरीय कवयित्री हैं। प्रतियोगिता दूसरी बात है किंतु यह रचना भी आपको एक उम्दा रचनाकार ही सिद्ध करती है। नीचे उद्धरित दोनो ही शेर आपमे एक विचारवान और भावुक कवि होने की घोषणा करते हैं..<BR/><BR/>लश्कर तारों का और हो चंदा की चाँदनी<BR/>खुशबू में मिलता है अब उनका आभास मुझे<BR/><BR/>जानी पहचानी राहों पर हो रोशनी का करवाँ<BR/>गले मिलती रहे ज़िंदगी ऐसे ही काश मुझे<BR/><BR/>बहुत बधाई आपको।<BR/><BR/>*** राजीव रंजन प्रसादराजीव रंजन प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-36751994323842683832007-05-28T11:04:00.000+05:302007-05-28T11:04:00.000+05:30गिरती-उठती साँसें हैं जुड़ती-मिटती उम्मीद" श्रद्धा...गिरती-उठती साँसें हैं जुड़ती-मिटती उम्मीद<BR/>" श्रद्धा" बुझने नहीं देती , बाबरी आस मुझे<BR/><BR/>बहुत खूब।विश्व दीपकhttps://www.blogger.com/profile/10276082553907088514noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-65819032878288089262007-05-27T18:40:00.000+05:302007-05-27T18:40:00.000+05:30सभी का कहना ठीक है कि आप इससे और बेहतर लिख सकती/लि...सभी का कहना ठीक है कि आप इससे और बेहतर लिख सकती/लिखती हैं। उम्मीद करता हूँ कि आप आगे भी इससे और खूबसूरत रचनाओं के साथ भाग लेकर प्रतियोगिता में चार चांद लगाएँगी।शैलेश भारतवासीhttps://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-1801474804421788822007-05-27T11:49:00.000+05:302007-05-27T11:49:00.000+05:30बहुत ही सुंदर लिखा है श्रद्धा जी,आपको हिन्द-युग्म ...बहुत ही सुंदर लिखा है श्रद्धा जी,<BR/>आपको हिन्द-युग्म पर देखकर अच्छा लगा.<BR/><BR/><BR/>सपने सज़ा कर मन ये मंद-मंद मुस्काये हैं<BR/>लगने लगे हैं अच्छे अब ये एहसास मुझे<BR/>लश्कर तारों का और हो चंदा की चाँदनी<BR/>खुशबू में मिलता है अब उनका आभास मुझे<BR/> <BR/>सुंदर पक्तियाँMohinder56https://www.blogger.com/profile/02273041828671240448noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-15057038820784718372007-05-26T21:06:00.000+05:302007-05-26T21:06:00.000+05:30सबकी टिप्पणीयाँ पढ़कर आपकी और कविताओं को पढ़ने का ...सबकी टिप्पणीयाँ पढ़कर आपकी और कविताओं को पढ़ने का मन हो रहा है। आशा है के आपकी और कविताएँ पढ़ने के लिये मिलेंगी। काव्यप्रवास के लिये शुभकामनाएँ।Tushar Joshihttps://www.blogger.com/profile/03931011991029693685noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-60801244427405938972007-05-26T19:45:00.000+05:302007-05-26T19:45:00.000+05:30श्रद्धाजी,युग्म पर आपकी रचना देखकर बहुत अच्छा लग र...श्रद्धाजी,<BR/><BR/>युग्म पर आपकी रचना देखकर बहुत अच्छा लग रहा है, मगर फिर भी तृष्णा शांत नहीं हुई, क्योंकि यह आपकी श्रेष्ठ रचानाओं मे से नहीं है, मैने आपको पढ़ा है, आप बहुत ही अच्छा लिखती हैं।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-57154330413365574992007-05-26T18:54:00.000+05:302007-05-26T18:54:00.000+05:30बहुत-बहुत बधाई आपको हिन्द-युग्म पर देखकर अच्छा लगा...बहुत-बहुत बधाई आपको हिन्द-युग्म पर देखकर अच्छा लगा...<BR/><BR/>सपने सज़ा कर मन ये मंद-मंद मुस्काये हैं<BR/>लगने लगे हैं अच्छे अब ये एहसास मुझे<BR/><BR/>सबसे अच्छी पक्तियाँ लगी है...<BR/>सुनीता(शानू)सुनीता शानूhttps://www.blogger.com/profile/11804088581552763781noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-74614241370350762742007-05-26T18:40:00.000+05:302007-05-26T18:40:00.000+05:30सपने सज़ा कर मन ये मंद-मंद मुस्काये हैंलगने लगे है...सपने सज़ा कर मन ये मंद-मंद मुस्काये हैं<BR/>लगने लगे हैं अच्छे अब ये एहसास मुझे<BR/><BR/>लश्कर तारों का और हो चंदा की चाँदनी<BR/>खुशबू में मिलता है अब उनका आभास मुझे<BR/><BR/>बहुत ही सुंदर लिखा है श्रद्धारंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-21528027087291435242007-05-26T17:56:00.000+05:302007-05-26T17:56:00.000+05:30भावनाओं के हिसाब से गज़ल अच्छी है;लेकिन शब्दों का र...भावनाओं के हिसाब से गज़ल अच्छी है;<BR/>लेकिन शब्दों का रसायन-शास्त्र कुछ कम जँच रहा है।<BR/>जैसे कि शुरू में ही बाहुपाश शब्द बहुत अखरा।पंकजhttps://www.blogger.com/profile/14850723521476498477noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-22140780341854695582007-05-26T17:26:00.000+05:302007-05-26T17:26:00.000+05:30श्रद्धा जी, युग्म पर आपको पढ़कर खुशी हुई। हालाँकि ...श्रद्धा जी, युग्म पर आपको पढ़कर खुशी हुई। हालाँकि इस बार रचना में कुछ कसर रह गयी। पर आपकी प्रतिभा को देखते हुए, आपसे और बेहतर की उम्मीद करना गलत तो नहीं होगा।SahityaShilpihttps://www.blogger.com/profile/12784365227441414723noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-31697986809621378672007-05-26T14:54:00.000+05:302007-05-26T14:54:00.000+05:30गिरती-उठती साँसें हैं जुड़ती-मिटती उम्मीद" श्रद्धा...गिरती-उठती साँसें हैं जुड़ती-मिटती उम्मीद<BR/>" श्रद्धा" बुझने नहीं देती , बाबरी आस मुझे<BR/><BR/>ये पंक्तिया सुंदर हैUnknownhttps://www.blogger.com/profile/09328053643281927035noreply@blogger.com