tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post5520229908081914237..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: विपुल शुक्ला की कलम में है वो दम (राजस्थान समस्या पर आयोजित प्रतियोगिता के परिणाम)शैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-67538968046848182812007-06-22T10:05:00.000+05:302007-06-22T10:05:00.000+05:30दोनों कवियों को हार्दिक शुभकामनाएँ एवं आयोजकों को ...दोनों कवियों को हार्दिक शुभकामनाएँ एवं आयोजकों को साधुवाद।विश्व दीपकhttps://www.blogger.com/profile/10276082553907088514noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-3181510781211436272007-06-21T21:17:00.000+05:302007-06-21T21:17:00.000+05:30कवि कॊ बधाई एवं आयॊजकॊं कॊ साधुवाद।कवि कॊ बधाई एवं आयॊजकॊं कॊ साधुवाद।Adminhttps://www.blogger.com/profile/13066188398781940438noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-90830114528041707622007-06-21T17:06:00.000+05:302007-06-21T17:06:00.000+05:30Great Job Vipul Ji Great Job."Taarif Kya karoon aa...Great Job Vipul Ji Great Job.<BR/><BR/>"Taarif Kya karoon aapki Alfaaj nahi milte"<BR/><BR/>Keep it up.Grow towards Excellence<BR/>God Bless you.<BR/><BR/><BR/>Thanx and Regards,<BR/><BR/>Rajeev Pandya<BR/>Human Resources.Rajeevhttps://www.blogger.com/profile/02578683249861217906noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-27082072836333595472007-06-20T22:31:00.000+05:302007-06-20T22:31:00.000+05:30इस विशेष काव्य-कार्यशाला के आयोजन की सफलता पर मुझे...इस विशेष काव्य-कार्यशाला के आयोजन की सफलता पर मुझे तनिक भी संशय नहीं था। हाँ, मगर ऐसे विषय पर जिस पर पाठक भी कविता कर सकता है, वैसे विषय पर भी मात्र ५ कविताओं का आना सोचनीय है। मगर आशा है कि आने वाले दिनों में हम बेहतर से बेहतर अंतरजालीय कवि तैयार करेंगे जिन्हें चली आ रही साहित्य की तारीखों में भी स्थान मिलेगा।<BR/><BR/>विपुल शुक्ला की सभी कविताओं की ख़ास बात यह होती है कि उसमें बिलकुल यूनीक उपमाओं का प्रयोग किया गया होता है। यह कविता उनकी प्रतिभा का अनुपम उदाहरण है। जैसे-<BR/><BR/><B>आरक्षण का बवंडर....<BR/>राजनीति की हांडी है,<BR/>आरक्षण जैसे कोई सुन्दर सी लड़की<BR/></B><BR/>यह कहूँ तो अधिक नहीं होगा कि यह कविता नहीं आरक्षण के कारणों, परिणामों का विश्लेषण है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। <BR/><B><BR/>नेताओं को क्यों कोसें ?<BR/>वो भी तो हम में से ही एक हैं !<BR/>गुर्जर भी भाई , मीणा भी भाई ,<BR/>दिल से सारे नेक हैं...<BR/><BR/>इससे अगर बचना है ,<BR/>तो वैचारिक उन्नति का कम्बल चाहिये,<BR/>आपा न खोयें कभी ,<BR/>इतना सम्बल होना चाहिये ।<BR/><BR/>महाभारत क्या ? एक बार हुई,खतम हो गयी ,<BR/>पर इस कथा का कोई ना अंत है ।<BR/></B><BR/>कविता का संदेश वरण करने योग्य है-<BR/><B><BR/>मत जलाओ दूसरों का घर,<BR/>अकेले हो जाओगे..<BR/>और जब तुम्हारे घर में आग लगेगी ,<BR/>तब खुद को तन्हा पाओगे !<BR/></B><BR/>ज़ज़ कोई भी होता तो उसके लिए यह तय कर पाना मुश्किल होता कि कौन-सी कविता बेहतर है। श्रीकांत मिश्र 'कांत' की कविता 'आत्याचारम् प्रणमामि' में बहुत करारा व्यंग्य है। <BR/><B><BR/>ओ मेरे वैचारिक आक्रन्ता<BR/>विश्वासघात<BR/>झूठ और फ़रेब तुम्हारा<BR/>हैं मेरी अनमोल निधि<BR/></B><BR/>बिलकुल सटीक बात-<BR/><B><BR/>क्योंकि आपके<BR/>सत्ता और शोषण से<BR/>अनृत के पोषण से<BR/>तर्क पर कुतर्क से<BR/>शास्त्र पर शस्त्र से<BR/><BR/>तुम अटूट बेशर्म<BR/>तुम्हीं से युग चलता है<BR/>' विघटन' का हर सूत्र<BR/>स्रजित तुमसे होता है<BR/></B>शैलेश भारतवासीhttps://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-53949842165889554512007-06-20T20:34:00.000+05:302007-06-20T20:34:00.000+05:30श्रीकांत मिश्र 'कांत' की 'आत्याचारम् प्रणमामि' और ...श्रीकांत मिश्र 'कांत' की 'आत्याचारम् प्रणमामि' और विपुल शुक्ला की 'राजस्थान की आग' रहीं।देवेश वशिष्ठ ' खबरी 'https://www.blogger.com/profile/03089045465753357873noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-34400985198457477752007-06-20T18:18:00.000+05:302007-06-20T18:18:00.000+05:30विपुलजी और श्रीकांतजी,आप दोनों की रचनाएँ बेहद खूबस...विपुलजी और श्रीकांतजी,<BR/><BR/>आप दोनों की रचनाएँ बेहद खूबसूरत है, राजस्थान जैसे शांत प्रदेश में आरक्षण के नाम पर जो कुछ घटा, आश्चर्य होता है!<BR/><BR/>आप दोनों की ही रचनाएँ प्रशंसनिय है, बधाई स्वीकार करें!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-60815174311324544002007-06-20T15:33:00.000+05:302007-06-20T15:33:00.000+05:30विपुल जी,श्रीकांत जी,..बहुत बहुत शुभकामनाएँ...शैले...विपुल जी,श्रीकांत जी,..बहुत बहुत शुभकामनाएँ...शैलेश जी आपका भी बहुत बहुत शुक्रियारंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-62764286654465722112007-06-20T14:54:00.000+05:302007-06-20T14:54:00.000+05:30आदरणीय मित्रगणों,सादर वन्दे । राजस्थान की आग ने पू...आदरणीय मित्रगणों,<BR/><BR/>सादर वन्दे । राजस्थान की आग ने पूरे भारत को सोचने पर मज़बूर कर दिया था । राजस्थान मे जो कुछ घटा, उसे आसानी से कोई भी स्वीकार करने मे हिचकिचा रहा था। मेरे पास भी कई मित्रों के फोन आये, मेरी स्वीकारोक्ति सुनकर मित्रों के मुँह से बस यही अल्फाज़ निकलते कि इस शान्त प्रदेश के लोगों से ऐसी उम्मीद न थी, तब मेरा दिल रो पडता था ।<BR/>मेरी माँ की १ जून को दिल्ली के रास्ते "पुरी" जाना था ।और ३० मई को उदयपुर से निकली मेरी माँ ५ जून तक जयपुर मे ही फँसकर रह गई । जयपुर से ना तो लौटकर आ सकती थी, ना ही दिल्ली जा सकी ।<BR/><BR/>इन सभी घटनाओं ने एक "आम राजस्थानी" को तोड कर रख दिया । <BR/> <BR/>एप्टेक, उदयपुर के निदेशक श्री एम॰एल॰ तलेसरा को जब मेरी भावनायें पता चली, और उन्होने हिन्दयुग्म को देखा, तो इस प्रकरण पर प्रतियोगिता आयोजित करने को कहा, जिसकी सफल परिणति शैलेश जी की सहायता से सम्पन्न हुई ।<BR/>विपुल जी की दो दो उपलब्धियाँ मन को मोहने वाली है । एप्टेक परिवार की तरफ से आपको बहुत बहुत बधाई , साथ ही श्रीकान्त जी को भी बहुत बहुत बधाई, जिनकी रचना को भी काफी पसन्द किया गया और इसी वजह से निर्णायकों को भी निर्णय देने मे परेशानी का सामना करना पडा ।<BR/>साथ ही शैलेश जी और सम्पूर्ण "हिन्दयुग्म" परिवार को बहुत बहुत आभार ।आर्य मनुhttps://www.blogger.com/profile/14569110609435490290noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-91909051394370721422007-06-20T14:49:00.000+05:302007-06-20T14:49:00.000+05:30मुझे श्रीकांत जी की कविता ज्यादा सटीक जान पडती है...मुझे श्रीकांत जी की कविता ज्यादा सटीक जान पडती है तथा पढने में अच्छी लगती हैं । विपूल शुक्ला जी की कविता भी काफी अच्छी है .......Tiwari jeehttps://www.blogger.com/profile/06450879976218339523noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-48131859857460124872007-06-20T14:42:00.000+05:302007-06-20T14:42:00.000+05:30पिपुल जी..आपका लेखन सराहनीय है। आपको पुरस्कार की ह...पिपुल जी..<BR/>आपका लेखन सराहनीय है। आपको पुरस्कार की हार्दिक बधाई।<BR/><BR/>*** राजीव रंजन प्रसादराजीव रंजन प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-14918502714948829102007-06-20T11:16:00.000+05:302007-06-20T11:16:00.000+05:30ओज[ज’ओज[ज’Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-48614493551610111262007-06-20T10:23:00.000+05:302007-06-20T10:23:00.000+05:30विपुल जी,आपको इस विचार आंदोलित कविता लिखने के लिये...विपुल जी,<BR/><BR/>आपको इस विचार आंदोलित कविता लिखने के लिये बधाई. प्रथम चरण है अभी बहुत आगे जाना है... उर्जावान रह कर लिखते रहें<BR/><BR/>श्रीकांत जी,<BR/><BR/>आपकी कविता भी किसी कोण से कम नहीं.. भविष्य के लिये ढेर सारी शुभकामनायेMohinder56https://www.blogger.com/profile/02273041828671240448noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-1441941382942117632007-06-20T10:06:00.000+05:302007-06-20T10:06:00.000+05:30विपुल शुक्ला द्वारा रचित् 'राजस्थान की ऑग' के बारे...विपुल शुक्ला द्वारा रचित् 'राजस्थान की ऑग' के बारे में लिखने के लिये मेरी लेखनी में कोई शब्द नहीं है।<BR/>विपुल शुक्ला जी को मेरी तरफ से ढेर सारी बधाईयां और साथ में शैलेश जी को और इनकी संस्था को भी मेरे तरफ से बधाई क्योकि इनके ही द्वारा ही हमें इन नये लेखको की विचारो और कलम की धार का पता चला।<BR/><BR/>धन्यवाद्<BR/><BR/>नवीनAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/01328938876719912187noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-25967447792886113432007-06-20T09:27:00.000+05:302007-06-20T09:27:00.000+05:30हार्दिक शुभ कामनाऐंहार्दिक शुभ कामनाऐंPramendra Pratap Singhhttps://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.com