tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post5467341398374570655..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: मेरी मौत के दिनशैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-55762864140964813292010-02-13T14:02:36.267+05:302010-02-13T14:02:36.267+05:30आलोक शंकर पिछले 2 सालों से निष्क्रियता से कविता लि...आलोक शंकर पिछले 2 सालों से निष्क्रियता से कविता लिख रहे हैं। लेकिन मुझे इस बात का संतोष है कि इनका लेखन वयस्कता की ओर बढ़ रहा है। खाई पे खड़े होने और केवल एक कदम की दूरी पर भविष्य के टिके होने का बिम्ब अपने बहुत सी बातें समेटे है। आप रचनाकर्म में दुबारा क्रियाशील हों, आपकी कलम कविताओं के नये क्षितिज को रोशनी दिखाने वाली है।शैलेश भारतवासीhttps://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-66783504813628971212010-02-12T13:22:16.521+05:302010-02-12T13:22:16.521+05:30अभी बाबा के दरबार से आ रहा हूँ..मुझे ऐसी कविता की ...अभी बाबा के दरबार से आ रहा हूँ..मुझे ऐसी कविता की तलाश है जिसे भांग छानकर पढूं और समझ जाऊं!..आपकी कविता को समझने के लिए होश में रहना जरूरी है.देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-13204390571111374612010-02-12T12:32:15.500+05:302010-02-12T12:32:15.500+05:30उस दिन मैं
खाई के मुहाने पर
अपने कंधे पर आसमान लिय...उस दिन मैं<br />खाई के मुहाने पर<br />अपने कंधे पर आसमान लिये खड़ा रहूँगा<br />और तुम<br />नीचे झील में खड़ी मुझे पुकारती होगी<br />हमारे बीच सिर्फ़ एक कदम की दूरी होगी,<br />और उस एक कदम पर टिका होगा<br />सारी दुनिया का भविष्य -<br /><br />एक कदम में पूरी खाई पाटी जा सकती है, ऐसा पहले कभी सोचा नहीं था। आलोक जी, आप हर बार कुछ नई और कुछ विचारोत्तोजक पंक्तियाँ लेकर आते हैं। रचना की हरेक पंक्ति पसंद आई..... बस मुझे "टोपी" का इस्तेमाल सही नहीं लगा... ऐसा लगा कि दूसरी दुनिया में चलते-चलते किसी ने मुझे इस दुनिया में ढकेल दिया हो। वैसे यह मेरा मन्तव्य है.. <br /><br />आखिरी पंक्तियों के बारे में क्या कहूँ। दिल चीर के निकल गई, ये आपकी धरती चीरने वाली बात।<br /><br />बधाई स्वीकारें!<br />-विश्व दीपकविश्व दीपकhttps://www.blogger.com/profile/10276082553907088514noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-12623565418058268442010-02-12T06:27:55.243+05:302010-02-12T06:27:55.243+05:30पर तुम चिंता मत करना
मेरी मौत की भनक भी नहीं लगेगी...पर तुम चिंता मत करना<br />मेरी मौत की भनक भी नहीं लगेगी किसी को<br />आज से कई सालों तक<br />नदी , तितलियाँ और फुटपाथ<br />खामोश रहेंगे -<br /><br />जबरदस्त रचना आलोक जी! बधाईHariharhttps://www.blogger.com/profile/07513974099414476605noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-67853640958127907062010-02-11T22:49:39.733+05:302010-02-11T22:49:39.733+05:30अत्यधिक प्रभावशाली और दमदार शब्दों के प्रयोग से इस...अत्यधिक प्रभावशाली और दमदार शब्दों के प्रयोग से इस कविता में एक शक्ति सी आ गयी है .... जो पढने वाले के मन मस्तिषक को जकझोर देती है .... <br />मेरी तरफ से मन में इस व्यापक प्रभाव को उत्पन्न करने के लिए आपका धन्यवाद और बधाई .... :) <br /><br />- स्वातिAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/00604361892215753431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-11767617766265776672010-02-11T22:18:49.308+05:302010-02-11T22:18:49.308+05:30आलोक जी जितने खूबसूरत भाव है उससे कहीं बढ़ कर आपने...आलोक जी जितने खूबसूरत भाव है उससे कहीं बढ़ कर आपने शब्द चुने है जो इस रचना में जान डाल देते है...मृत्यु और उसके बाद पुनर्जन्म की कहानी बहुत बेहतरीन तरीके से भावनाओं के साथ दिल के दरवाजे से हम तक पहुँची हैं..इस सुंदर रचना के लिए बहुत बहुत बधाई....विनोद कुमार पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/17755015886999311114noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-13509339406512789102010-02-11T19:47:00.205+05:302010-02-11T19:47:00.205+05:30ACHHI RACHANA .........
मेरी घोर नास्तिक आस्थायें
...ACHHI RACHANA .........<br />मेरी घोर नास्तिक आस्थायें<br />ईश्वर के सामने नंगी खड़े होने से कतरा रही होंगीं<br /> 'NAASTIK ASTHAVADI HO KAR BHEE EESHWAR KE ASTITVA KO SWEEKARTI BHAVANON SE POORIT PRATEET HOTI RACHNA'anubhootihttps://www.blogger.com/profile/12789726318291765091noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-18834692473596060902010-02-11T19:42:33.708+05:302010-02-11T19:42:33.708+05:30bahut dino baad apko padha per dil kuch dukhi sa h...bahut dino baad apko padha per dil kuch dukhi sa ho gaya. kisi achhe din per kavita likhiye.शोभाhttps://www.blogger.com/profile/01880609153671810492noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-37634470119539367062010-02-11T18:06:19.870+05:302010-02-11T18:06:19.870+05:30जिस दिन गर्मी हो जायेगी बर्दाश्त से बाहर, फ़िर जन्म...जिस दिन गर्मी हो जायेगी बर्दाश्त से बाहर, फ़िर जन्म लूँगा मैं - उस दिन मैं भाप बनकर चीर डालूँगा धरती का सीना.....वाह! क्या लिखा है...धन्यबाद इस सुन्दर रचना के लिएप्रकाश पंकज | Prakash Pankajhttps://www.blogger.com/profile/05215136201174516321noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-15071630014242756192010-02-11T17:44:41.444+05:302010-02-11T17:44:41.444+05:30जिस दिन गर्मी
हो जायेगी बर्दाश्त से बाहर,
फ़िर जन्म...जिस दिन गर्मी<br />हो जायेगी बर्दाश्त से बाहर,<br />फ़िर जन्म लूँगा मैं -<br />उस दिन मैं भाप बनकर<br />चीर डालूँगा धरती का सीना...सुंदर रचना के लिये बधाई !Anonymousnoreply@blogger.com