tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post5249977841106757128..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: विक्षिप्तशैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-58581073247074187102007-12-18T17:04:00.000+05:302007-12-18T17:04:00.000+05:30आप संवेदनशील कवि हैं। बेहतर लेखनआप संवेदनशील कवि हैं। बेहतर लेखनशैलेश भारतवासीhttps://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-11165199589245603672007-12-18T13:00:00.000+05:302007-12-18T13:00:00.000+05:30जुनून से भरा उसका माथा पकड़ा उंगलियों नेफूट पड़ा एक ...जुनून से भरा उसका माथा पकड़ा उंगलियों ने<BR/>फूट पड़ा एक दर्दनाक प्रतिशोध <BR/>जब बारूद बनी दमित कुंठा<BR/>विषमय बनी यौन पिपासा<BR/>ज्वाला चिंघाड़ी अन्तर्मन की गहराइयों से<BR/>अमंगल ही तो हुआ<BR/>हुआ धमाका<BR/>गाज गिरी जो मिट्टी को मथकर<BR/>राक्षस का उद्गम<BR/>लो एक और आतंकवादी पैदा हुआ ।<BR/>"असीम वेदना और पीड़ा सेभरी ये कवीता काबिले तारीफ है " <BR/>regardsseema guptahttps://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-2233248943576221502007-12-17T17:57:00.000+05:302007-12-17T17:57:00.000+05:30हरिहर जी आपकी यह कविता कई बार पढी, ११ सितम्बर से ए...हरिहर जी आपकी यह कविता कई बार पढी, ११ सितम्बर से एक हताश मन को जोड़कर जो विक्षिप्त स्थिथि बनैयी है आपने वो आपके संवेदनशीलता को बखूबी दर्शाता हैSajeevhttps://www.blogger.com/profile/08906311153913173185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-89964211924157993002007-12-16T20:41:00.000+05:302007-12-16T20:41:00.000+05:30न मिली थीं माँ की थपकियाँऔर अब खो दीप्रेमिका की स्...न मिली थीं माँ की थपकियाँ<BR/>और अब खो दी<BR/>प्रेमिका की स्मित मुस्कान<BR/>तो चल पड़ा वह<BR/>आकांक्षा लिये विश्वविजय की<BR/><BR/>हरिहर जी, आपकी भावों की समझ काबिलेतारीफ़ है।RAVI KANThttps://www.blogger.com/profile/07664160978044742865noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-48538392631421094402007-12-16T19:22:00.000+05:302007-12-16T19:22:00.000+05:30हरिहर जी,मुझे आपकी रचना बेहद जंची, आतंकवाद जैसे वि...हरिहर जी,मुझे आपकी रचना बेहद जंची, आतंकवाद जैसे विषय पर यूं तो बहुत कुछ लिखा सुना जा चुका है पर आपके प्रस्तुति ने मन मोह लिया.<BR/> मुझे आज पता चला की आप मेलबोर्न मी हैं,मैं तो चकित रह गया की वहां रह कर भी आपने भारतीय तहजीब को बरकरार रक्खा.<BR/> बहुत बहुत शुभकामनाएं.<BR/> आलोक सिंह "साहिल"Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-66559758030350603162007-12-16T15:49:00.000+05:302007-12-16T15:49:00.000+05:30हरिहर जी सोचने को विवश करती आपकी रचना........हरिहर जी सोचने को विवश करती आपकी रचना........anuradha srivastavhttps://www.blogger.com/profile/15152294502770313523noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-86717883391871410742007-12-16T12:50:00.000+05:302007-12-16T12:50:00.000+05:30डूबा वह शतरंज की क्रीड़ा मेंमोहरा बनाजुनून से भरा उ...डूबा वह शतरंज की क्रीड़ा में<BR/>मोहरा बना<BR/>जुनून से भरा उसका माथा पकड़ा उंगलियों ने<BR/>फूट पड़ा एक दर्दनाक प्रतिशोध<BR/>जब बारूद बनी दमित कुंठा<BR/><BR/>बहुत सही भाव हैं आपकी इस रचना में हरिहर जी ...रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-49606882786596551102007-12-16T12:37:00.000+05:302007-12-16T12:37:00.000+05:30''न मिली थीं माँ की थपकियाँ--अब खो दी प्रेमिका की ...''न मिली थीं माँ की थपकियाँ--अब खो दी <BR/>प्रेमिका की स्मित मुस्कान----दबा गया कोमल भाव-- <BR/>--अकेलेपन का सताया--<BR/>डूबा वह शतरंज की क्रीड़ा में <BR/>मोहरा बना ---फूट पड़ा एक दर्दनाक प्रतिशोध <BR/>-गाज गिरी जो मिट्टी को मथकर<BR/>राक्षस का उद्गम''<BR/>यह कुछ पंक्तियाँ आप की कविता में बहुत ही सशक्त हैं और सारी कविता को अपने कन्धों पर लेकर चल रही हैं-बहुत खूबसूरती से आप ने भावों को कविता का रूप दे दिया है-कैसे भीतर का आक्रोश एक नकारात्मक रूप ले सकता है यह बताने की अच्छी कोशिश की है.किसी भी गंभीर विषय पर लिखना आसान नहीं होता,लेकिन आप ने बहुत हद तक सफल कोशिश की है.<BR/>हरिहर जी, मैंने आप की पुरानी कवितायेँभी आज ही हिंद युग्म पर पढीं ,यह आप की अब तक की प्रकाशित रचनाओं में सबसे बेहतर लगी. बधाई स्वीकारिये-Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-58832779450634872512007-12-16T11:20:00.000+05:302007-12-16T11:20:00.000+05:30एक आतंकवादी के बनने के मूल जड़ को पकडा है आपने |यह...एक आतंकवादी के बनने के मूल जड़ को पकडा है आपने |<BR/>यही आतंकवाद का मूल हल भी है |<BR/><BR/>सुंदर बधाई<BR/>अवनीश तिवारीAnonymousnoreply@blogger.com