tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post5226545847015063072..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: उस दिन सूर्यास्त भी नहीं होताशैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-33934958406363711042009-11-01T18:26:27.202+05:302009-11-01T18:26:27.202+05:30This comment has been removed by the author.Ajay Bhaskarhttps://www.blogger.com/profile/10688201275750973816noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-55065232059628569742009-10-30T08:22:04.740+05:302009-10-30T08:22:04.740+05:30अग्नि
जब गरीब का पेट नहीं भरा तो राजा का यग्य किस ...अग्नि<br />जब गरीब का पेट नहीं भरा तो राजा का यग्य किस काम का<br />करारा व्यंग्यदेवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-75288315840113406622009-10-15T13:43:25.056+05:302009-10-15T13:43:25.056+05:30दिनेश जी की कविता अग्नि मैं पहले ही पढ़ चुका था......दिनेश जी की कविता अग्नि मैं पहले ही पढ़ चुका था... आपने दो और कविताएं पढ़ने का अवसर दिया... बधाई... दिनेश जी का रचना संसार इतनी सहजता से मन में प्रवेश करता है जैसे ये स्वयं का विचार हो...<br />नाज़िम नक़वीAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-87375248438244015892009-10-13T22:19:42.267+05:302009-10-13T22:19:42.267+05:30जहां एक ओर इतनी श्रेष्ठ रचनाओं को पढ़ने का सुयोग द...जहां एक ओर इतनी श्रेष्ठ रचनाओं को पढ़ने का सुयोग देकर आप साधुवाद के हकदार हैं वहीं दूसरी ओर इन कविताओं को पढ़कर एक भावनात्मक राहत मिली।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-11775459648933567852009-10-13T20:15:02.042+05:302009-10-13T20:15:02.042+05:30इसीलिए आती है कविता
भीतर पैठे
उन जगहों को छुए
जहाँ...इसीलिए आती है कविता<br />भीतर पैठे<br />उन जगहों को छुए<br />जहाँ तक<br />नहीं पहुँच पाती हैं डालें<br />नहीं पहुँच पाता प्रकाश<br />या पवन झकोरा<br />संदेशों के पंछी भी<br />पर मार न पाते<br />जिन जगहों पर<br /><br />घुस कर गहन अंधेरे में भी<br />सभी तरह के<br />बन्दीगृह की काली चीकट दीवारों पर<br />कविता भित्तिचित्र लिखती हैंबहुत सी पँक्तियाँ हैं दोनो कवितायों मे जो मन के अन्दर तक छू गयीं दोनो ही कवितायें लाजवाब हैं<br />दिनेश कुमार शुक्ल जी को बहुत बहुत बधाई और आपका धन्यवाद्निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-34070341872091347952009-10-13T19:53:52.659+05:302009-10-13T19:53:52.659+05:30इसीलिये
छत की मुंडेर तक
आतीं आम-नीम की डालें
झाँक ...इसीलिये<br />छत की मुंडेर तक<br />आतीं आम-नीम की डालें<br />झाँक सकें आँगन में<br />जानें<br />घर में बंद बहू का<br />सुख-दुख.......वाह !रश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-18092613605111582552009-10-13T19:50:49.486+05:302009-10-13T19:50:49.486+05:30कभी तो खुलें कपाट:
इसीलिये
छत की मुंडेर तक
आतीं आम...कभी तो खुलें कपाट:<br />इसीलिये<br />छत की मुंडेर तक<br />आतीं आम-नीम की डालें<br />झाँक सकें आँगन में<br />जानें<br />घर में बंद बहू का<br />सुख-दुख<br />विनोद जी और सुष्मिता जी के साथ मेरे मन को भी इन्ही पंक्तियों ने सबसे ज्यादा छुआ<br /><br />वह दिन भी मनोहारी चित्रण है:<br />गिलहरी बन कर<br />खुशी उतरती है<br />पेड़ से और<br />आ बैठती है<br />तुम्हारी गोद में<br /><br />अति सुंदर <br />बधाईराकेश कौशिक https://www.blogger.com/profile/13818078212163432024noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-15491571619229797032009-10-13T15:16:55.331+05:302009-10-13T15:16:55.331+05:30इसीलिये
छत की मुंडेर तक
आतीं आम-नीम की डालें
झाँक ...इसीलिये<br />छत की मुंडेर तक<br />आतीं आम-नीम की डालें<br />झाँक सकें आँगन में<br />जानें<br />घर में बंद बहू का<br />सुख-दुख<br />वाह ! वाह ! वाह! गांव की याद दिला दी। बहुत भाव हैं आपकी कविता में दिनेश जी बधाई!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-64728032638249809392009-10-13T13:32:10.062+05:302009-10-13T13:32:10.062+05:30इसीलिये
छत की मुंडेर तक
आतीं आम-नीम की डालें
झाँक ...इसीलिये<br />छत की मुंडेर तक<br />आतीं आम-नीम की डालें<br />झाँक सकें आँगन में<br />जानें<br />घर में बंद बहू का<br />सुख-दुख<br /><br />बहुत बढ़िया भाव...सुंदर कविताएँ..<br />बधाई दिनेश जी..विनोद कुमार पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/17755015886999311114noreply@blogger.com