tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post5095790653401654727..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: आँखों में हया रखना (प्रतियोगिता से)शैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-41955375264249848482007-08-23T11:46:00.000+05:302007-08-23T11:46:00.000+05:30नरेंद्र जीगज़ल मुझे बहुत अच्छी लगी। हर शेर लाजवाब त...नरेंद्र जी<BR/><BR/>गज़ल मुझे बहुत अच्छी लगी। हर शेर लाजवाब तो हैं ही, साथ ही उनकी रवानगी का कोई सानी नहीं। <BR/><BR/>*** राजीव रंजन प्रसादराजीव रंजन प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-72200780802239639022007-08-21T18:05:00.000+05:302007-08-21T18:05:00.000+05:30गज़ल मुझे बहुत पसन्द आई नरेन्द्र जी।हर शेर उम्दा है...गज़ल मुझे बहुत पसन्द आई नरेन्द्र जी।<BR/>हर शेर उम्दा है। <BR/><BR/>जिस बात से मिटती हो, आपस की गलतफ़हमी<BR/>कह देना ही अच्छा है, उसे दिल में क्या रखना<BR/><BR/>पत्थर भी पिघलते हैं, ज़ज़्बात की गर्मी से<BR/>इज़हार-ए-तमन्ना में, बस सब्र जरा रखना<BR/><BR/>बहुत बड़ी बातें हैं आपके खजाने में..आगे भी पढ़ना चाहूँगागौरव सोलंकीhttps://www.blogger.com/profile/12475237221265153293noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-50668186327676559062007-08-21T14:43:00.000+05:302007-08-21T14:43:00.000+05:30यह मतलब परस्ती तो, हम सबको मिटा देगीइन आग के शोलों...यह मतलब परस्ती तो, हम सबको मिटा देगी<BR/>इन आग के शोलों से, दामन को बचा रखना<BR/><BR/><BR/>पत्थर भी पिघलते हैं, ज़ज़्बात की गर्मी से<BR/>इज़हार-ए-तमन्ना में, बस सब्र जरा रखना<BR/><BR/>Gazal bahut hi achchi lagi magar ye dono sher kafi khoobsurat lage..anuhttps://www.blogger.com/profile/03102859645688314104noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-32293349085162790172007-08-20T23:47:00.000+05:302007-08-20T23:47:00.000+05:30आपका एक शे'र बहुत पसंद आया-तूफान से बचना तो, ऐ दिल...आपका एक शे'र बहुत पसंद आया-<BR/><BR/>तूफान से बचना तो, ऐ दिलबर नहीं मुश्किल<BR/>बेरहम साहिल से, खुद को बचा रखना।<BR/><BR/>आपमें बहुत पोटेंशियल है। आप अगली बार प्रतियोगिता में ज़रूर हिस्सा लें।शैलेश भारतवासीhttps://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-88153671264148304822007-08-19T19:32:00.000+05:302007-08-19T19:32:00.000+05:30नरेन्द्रजी,ग़ज़ल बहुत ही खूबसूरत है...प्रत्येक शे'र ...नरेन्द्रजी,<BR/><BR/>ग़ज़ल बहुत ही खूबसूरत है...प्रत्येक शे'र लाज़वाब है, बधाई!!!गिरिराज जोशीhttps://www.blogger.com/profile/13316021987438126843noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-5168650205456101302007-08-19T12:43:00.000+05:302007-08-19T12:43:00.000+05:30bahut achhi gazal hai mitra, ise dhunon mein dhaal...bahut achhi gazal hai mitra, ise dhunon mein dhaala jaa saktaa hai...<BR/>kaha the aap ab tak........hind yugm par swaagat........<BR/><BR/>nikhilNikhilhttps://www.blogger.com/profile/16903955620342983507noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-91922590055171984022007-08-19T11:07:00.000+05:302007-08-19T11:07:00.000+05:30नरेन्द्र जी,प्रयास सराहनीय पर भविष्य में और श्रेष्...नरेन्द्र जी,<BR/>प्रयास सराहनीय पर भविष्य में और श्रेष्ठ रचनाओं की अपेक्षा।RAVI KANThttps://www.blogger.com/profile/07664160978044742865noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-80077199257196082532007-08-18T22:48:00.000+05:302007-08-18T22:48:00.000+05:30यह ग़ज़ल इतनी भी बुरी नही कि भजन की याद आ जाए |कोई...यह ग़ज़ल इतनी भी बुरी नही कि भजन की याद आ जाए |<BR/>कोई भी कविता भावुकता मे लिखी जाती है और अगर वो प्रेम-विषयक हो तब तो यह निश्चित ही होता है कि उसे लिखते समत कवि का ह्रदय<BR/>बहुत ही उद्वेलित रहा होगा |<BR/>मेरे साथ ऐसा कई बार होता है बल्कि कई बार नही हमेशा ही होता है कि जब मैं कुछ लिखता हूँ तब बड़ा अच्छा लगता है |पर जब कुछ दिनों बाद उसी रचना को पढ़ता हूँ तो लगता है कि क्या बकवास लिख दिया !<BR/>जब हम कविता करते हैं तो अपना सर्वश्रेष्ट देने का प्रयास करते हैं|पूरी कोशिश करते हैं कि हमारे भावो को शब्दों का उचित साथ मिले |<BR/>विपिन जी ने कहा "ऐसा लगा कि पूर्व में गज़ल सुनी हुई है.."|अब यह प्रेम विषय ही ऐसा है कि जो ना सुना हो सब कम | <BR/>पर हाँ यह बात सही है कि पाठक नयापन चाहता है और नयेपन की ख़्वाहिश इस ग़ज़ल को कमज़ोर बना देती है|<BR/>वैसे शिल्प बड़ा ही अच्छा है | हालाँकि मुझे शिल्प के बारे में ज़्यादा कुछ तो पता नही पर प्रवाह बड़ा अच्छा बन पड़ा है |<BR/>सुंदर रचना के लिए बधाई |विपुलhttps://www.blogger.com/profile/15032635217536871012noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-55938980152979050412007-08-18T19:26:00.000+05:302007-08-18T19:26:00.000+05:30उर्दू बहुत कुछ समझ नही आती .......पर तब भी जितनी स...उर्दू बहुत कुछ समझ नही आती .......पर तब भी जितनी समझ आई सुंदर है....... <BR/>शिल्प की दृष्टी से अच्छी और भाव की दृष्टी से थोड़ी कमज़ोर है.......... <BR/>पर चूँकि लेखक मुझसे इतने बड़े है सो यह कहना छ्होटा मुह बड़ी बात होगी............Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-65103029199451616992007-08-18T18:18:00.000+05:302007-08-18T18:18:00.000+05:30गज़ल मुझे कुछ खास नहीं लगी । इसे पढ़कर मुझे एक भजन ...गज़ल मुझे कुछ खास नहीं लगी । इसे पढ़कर मुझे एक भजन याद आ रहा है।<BR/>प्रभु हमपे दया करना प्रभु हमपे कृपा करना ।<BR/>वैकुंठ तो यहीं है --------शोभाhttps://www.blogger.com/profile/01880609153671810492noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-26808360981525694872007-08-18T14:21:00.000+05:302007-08-18T14:21:00.000+05:30प्रिय नरेन्द्र जी..हिन्द युग्म पर आप का स्वागत है....प्रिय नरेन्द्र जी..<BR/>हिन्द युग्म पर आप का स्वागत है..<BR/>गज़ल बहुत अच्छी है..<BR/>शब्द चयन आप की परिपक्वता का परिचय दे रहा है..<BR/>किन्तु फिर भी गज़ल प्रभावशाली नहीं रही..<BR/>भाव भी सन्तुष्टि पूर्ण हैं किन्तु...कुछ नयापन नहीं दिखाई दिया..<BR/>ऐसा लगा कि पूर्व में गज़ल सुनी हुई है..<BR/>पाठक हर रचना में कुछ नयापन चाहता है..<BR/>प्रयास कीजिये..<BR/>एक ऐसी ही गज़ल किसी शायर ने बहुत पहले लिखी थी...<BR/>होटों पे दुआ रखना..राहों पे नज़र रखना..<BR/>आ जाये कोई शायद..दरवाजा खुला रखना..<BR/>एक बूंद भी अश्कों की..दामन ना भिगो पाये..<BR/>गम मेरी अमानत है..पल्कों पे सदा सखना..<BR/>लोगों को निगाहों को पढ लेने की आदत है..<BR/>हालात की तहरीरें चेहरे से बचा रखना..<BR/>अहसास की शम्मा को इस तरह जला रखना..<BR/>अपनी भी खबर रखना..मेरा भी पता रखना..<BR/><BR/>आप को अभी बहुत दूर तक जाना है<BR/>मेरी शुभकामनायें आप के साथ हैं..<BR/>बहुत बहुत आभार..<BR/>विपिन चौहान "मन"विपिन चौहान "मन"https://www.blogger.com/profile/10541647834836427554noreply@blogger.com