tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post4913587184396788662..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: हम और तुमशैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-71138905917245065142010-02-17T16:55:22.223+05:302010-02-17T16:55:22.223+05:30Ham aur Tum ke advait par bahut achchi rachna hai....Ham aur Tum ke advait par bahut achchi rachna hai. mri badhai sweekarein....Tanik isi kram mein meri isi sheershak wali kavita jo mere blog par hai use dekhiyega...maza ayega... mera pranam sweekaren.Safarchandhttps://www.blogger.com/profile/15362905291830639168noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-356903032463836472007-12-10T18:45:00.000+05:302007-12-10T18:45:00.000+05:30शोभा जी hamesha se apke samiksha ka intajaar rahta...शोभा जी hamesha se apke samiksha ka intajaar rahta था.आज कविता पढी अब दोगुना इन्तजार करवाएंगी आप.बहुत ही प्यारी कविता.<BR/> अलोक सिंह "साहिल"Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-10690130179932764792007-11-26T18:13:00.000+05:302007-11-26T18:13:00.000+05:30निज से भी अनुत्तरितविचारों से परिष्कृतहृदय से उदार...निज से भी अनुत्तरित<BR/>विचारों से परिष्कृत<BR/>हृदय से उदार<BR/>भीतर से तार-तार<BR/>कहाँ जा रहे हैं ?<BR/>...यह पंक्तियां लाजवाब हैं।आशीष "अंशुमाली"https://www.blogger.com/profile/07525720814604262467noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-49006824792355459272007-11-26T15:44:00.000+05:302007-11-26T15:44:00.000+05:30इसमें तो एक ही बात है कि कैसे तृप्त और अतृप्त हैं।...इसमें तो एक ही बात है कि कैसे तृप्त और अतृप्त हैं। एक ही भाव की बारम्बारता की आवश्यकता नहीं थी। बेवजह का विस्तार है। पहली कुछ पंक्तियाँ ही क्षणिका रूप में सारी बातें कह रही हैं।शैलेश भारतवासीhttps://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-15097925221372822202007-11-19T17:45:00.000+05:302007-11-19T17:45:00.000+05:30क्षमा चाहूँगा शोभा जी लेकिन आध्यात्मिक कविताओं को ...क्षमा चाहूँगा शोभा जी लेकिन आध्यात्मिक कविताओं को मैं समझ नहीं पाता हूँ.Avanish Gautamhttps://www.blogger.com/profile/03737794502488533991noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-26526560971916794822007-11-19T08:22:00.000+05:302007-11-19T08:22:00.000+05:30एक पवित्र प्रेम का दर्शन कराने के लिए धन्यवाद शोभा...एक पवित्र प्रेम का दर्शन कराने के लिए धन्यवाद शोभा जी।<BR/><BR/>मन वृन्दावन हो जाए<BR/>वो ही वो रह जाए<BR/>सारा संशय बह जाए<BR/>बस यही ध्वनि आए<BR/>सुःख आ रहे हैं --<BR/><BR/>बहुत हीं खूबसूरत। हिन्द-युग्म पर आपके हस्ताक्षर इसी तरह हमें लुभाते रहें, यही कामना करता हूँ।<BR/><BR/>-विश्व दीपक 'तन्हा'विश्व दीपकhttps://www.blogger.com/profile/10276082553907088514noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-75415988918209972282007-11-18T18:55:00.000+05:302007-11-18T18:55:00.000+05:30शोभा जी,बहुत प्यारी रचना!! हालांकि-चलो चलें कहीं द...शोभा जी,<BR/>बहुत प्यारी रचना!! हालांकि-<BR/><BR/>चलो चलें कहीं दूर<BR/>जहाँ हो उसका नूर<BR/><BR/>इससे मैं सैद्धांतिक रूप से सहमत नही हुँ। क्योंकि उसका नूर तो हर जगह है, कहीं दूर जाने की क्या जरूरत??? ... मन का वृंदावन हो जाना शुभ है।RAVI KANThttps://www.blogger.com/profile/07664160978044742865noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-33545730804948720902007-11-17T23:53:00.000+05:302007-11-17T23:53:00.000+05:30शोभा जी!!बहुत अच्छी लगी आपकी यह रचना.....हम और तुम...शोभा जी!!<BR/>बहुत अच्छी लगी आपकी यह रचना.....हम और तुम को बहुत ही अच्छा भाव दे कर प्रस्तूत किया है....<BR/>********************<BR/>निज से भी अनुत्तरित<BR/>विचारों से परिष्कृत<BR/>हृदय से उदार<BR/>भीतर से तार-तार<BR/>कहाँ जा रहे हैं ?<BR/><BR/><BR/>चलो चलें कहीं दूर<BR/>जहाँ हो उसका नूर<BR/>निःशेष हो हर कामना<BR/>कभी ना पड़े भागना<BR/>सारे द्वन्द्व जा रहे हैं-<BR/><BR/>मन वृन्दावन हो जाए<BR/>वो ही वो रह जाए<BR/>सारा संशय बह जाए<BR/>बस यही ध्वनि आए<BR/>सुःख आ रहे हैं --"राज"https://www.blogger.com/profile/17803945586042941740noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-62298432558479494842007-11-17T23:33:00.000+05:302007-11-17T23:33:00.000+05:30मन वृन्दावन हो जाएवो ही वो रह जाएसारा संशय बह जाएब...मन वृन्दावन हो जाए<BR/>वो ही वो रह जाए<BR/>सारा संशय बह जाए<BR/>बस यही ध्वनि आए<BR/>सुःख आ रहे हैं --<BR/><BR/>. सुंदर बना है.<BR/>अवनीश तिवारीअवनीश एस तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/04257283439345933517noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-1795660436462325572007-11-17T14:10:00.000+05:302007-11-17T14:10:00.000+05:30हम और तुमसदैव एक दूसरेकी ओर आकर्षितकभी तृप्त,कभी अ...हम और तुम<BR/>सदैव एक दूसरे<BR/>की ओर आकर्षित<BR/>कभी तृप्त,कभी अतृप्त<BR/>कभी आकुल,कभी व्याकुल<BR/>किसी अनजानी कामना से<BR/>बहुत अच्छी शुरुवात है शोभा जी पर कविता आगे चलकर कुछ भटक सी गयी हैSajeevhttps://www.blogger.com/profile/08906311153913173185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-49298211702172069872007-11-17T13:11:00.000+05:302007-11-17T13:11:00.000+05:30मन वृन्दावन हो जाये.....वाह! बहुत सुंदर रचना! बधाई...मन वृन्दावन हो जाये.....<BR/><BR/>वाह! बहुत सुंदर रचना! बधाई स्वीकारें!SahityaShilpihttps://www.blogger.com/profile/12784365227441414723noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-7345796841331896032007-11-17T11:30:00.000+05:302007-11-17T11:30:00.000+05:30एक एक शब्द दिल की गहराइयों में उतर गया... और दिल च...एक एक शब्द दिल की गहराइयों में उतर गया... और दिल चाहने लगा ----<BR/><BR/>चलो चलें कहीं दूर<BR/>जहाँ हो उसका नूर<BR/><BR/>बहुत सुन्दर रचना !मीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-24137858206528239772007-11-17T11:00:00.000+05:302007-11-17T11:00:00.000+05:30मिल जाएँ तो विरक्तना मिल पाएँ तो अतृप्तकभी रूष्ट, ...मिल जाएँ तो विरक्त<BR/>ना मिल पाएँ तो अतृप्त<BR/>कभी रूष्ट, कभी सन्तुष्ट<BR/>कामनाओं के भँवर में<BR/>उलझते जा रहे हैं --<BR/><BR/>शोभाजी, भावों के साथ साथ शब्द चयन भी बहुत <BR/>सुन्दर ! बधाईHarihar Jhahttps://www.blogger.com/profile/03094272277900318316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-7608291528024342662007-11-17T10:38:00.000+05:302007-11-17T10:38:00.000+05:30शोभा जी,सुन्दर रचना है..सच में जो चीज सहज मिल जाती...शोभा जी,<BR/>सुन्दर रचना है..<BR/>सच में जो चीज सहज मिल जाती है हम उस का मोल नही जानते और जो खो जाती है उसके लिए तडफ़ते हैं.. ईश्वर से लग्न ही हर संशय मिटा सकती है बाकी तो सब उलझन ही है<BR/><BR/>बधाईMohinder56https://www.blogger.com/profile/02273041828671240448noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-49189884537801874362007-11-17T09:57:00.000+05:302007-11-17T09:57:00.000+05:30चलो चलें कहीं दूरजहाँ हो उसका नूरनिःशेष हो हर कामन...चलो चलें कहीं दूर<BR/>जहाँ हो उसका नूर<BR/>निःशेष हो हर कामना<BR/>कभी ना पड़े भागना<BR/>सारे द्वन्द्व जा रहे हैं-<BR/><BR/>शोभा जी बेहद खूबसूरत है आपकी रचना ..मन की हलचल को बताती ,बहुत सुंदर गहरे भाव से रची यह रचना दिल को छु गई <BR/>बधाई आपको सुंदर रचना के लिए !!रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-58488925070136681772007-11-17T08:51:00.000+05:302007-11-17T08:51:00.000+05:30आदरणीय शोभा जी !....जहाँ हो उसका नूरनिःशेष हो हर क...आदरणीय शोभा जी !<BR/><BR/>....जहाँ हो उसका नूर<BR/>निःशेष हो हर कामना<BR/>कभी ना पड़े भागना<BR/>............<BR/>मन वृन्दावन हो जाए<BR/>वो ही वो रह जाए<BR/>सारा संशय बह जाए<BR/>.....<BR/>बहुत संदर ...<BR/>आपकी टिप्पणियों के बाद ... आपकी रचनाओं की प्रतीक्षा करना भी सुखद ही हैAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/09417713009963981665noreply@blogger.com