tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post46987659893481998..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: समाजवाद बबुआ..शैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger19125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-37231533596173353262008-11-25T01:00:00.000+05:302008-11-25T01:00:00.000+05:30कुछ लिखने को शब्द चाहिए और जब शब्द लाचारी महसूस कर...कुछ लिखने को शब्द चाहिए और जब शब्द लाचारी महसूस करने लगें तो कोई क्या करे वाही कुछ हुआ है मेरा साथ पहले तो पूरा लेख पढ़ा फ़िर आप की कविता मै तो मूक होगई दर्द और गुस्से का अच्छा इज़हार है आप की कविता में .लेखनी की ताकत पे भरोसा रखें आवाज निकली है तो दूर तलक जायेगी <BR/>सादर<BR/>रचनाAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-45969568874061993202008-03-21T07:28:00.000+05:302008-03-21T07:28:00.000+05:30समसामयिक घटना पर कडा प्रहार किया है राजीव जी आपकी ...समसामयिक घटना पर कडा प्रहार किया है राजीव जी आपकी रचनायें ह्रदय को झंकझोर देती हैंAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-18398349080780789432008-03-20T15:50:00.000+05:302008-03-20T15:50:00.000+05:30Namaskar rajeev jidhanyawad meri li hui tasviron k...Namaskar rajeev ji<BR/><BR/>dhanyawad meri li hui tasviron ko kalam ke madhyam se awaz ke liye. bahut hi sarthkata hai aapki is kavita mein, jis tarah mera hriday Tibetan bhaiyon ke saath rehkar dukhi hua hai shayad humari aazadi se pehle ke parwano ka bhi raha hoga.<BR/>main to in Ahinsa ke pujariyon ke aage natmastak hun.<BR/><BR/>manuj mehtaManuj Mehtahttps://www.blogger.com/profile/12578930117506914122noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-80183222850142068942008-03-19T21:12:00.000+05:302008-03-19T21:12:00.000+05:30राजीव जी,ज्वलंत विषय पर आपने बहुत अच्छा लिखा है ति...राजीव जी,<BR/>ज्वलंत विषय पर आपने बहुत अच्छा लिखा है तिब्बत में जो हो रहा है आपने अपनी कविता के मध्यम से सही चित्रित किया है. मुझे ' धम्मम शरणं गच्छामि ' और सड़कों और मठों पर हुंकार रहा है 'लाल सलाम' बहुत अच्छी लगी. हर पंक्ति एक आवाज़ है जिसे दूर तक जन चाहिए ऐसा मेरा मानना है.abhihttps://www.blogger.com/profile/05669157245340827521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-60594627424704139012008-03-19T17:04:00.000+05:302008-03-19T17:04:00.000+05:30tbansalराजीव जीहमेशा की तरह एक सुंदर तथा बेहतरीन र...tbansalराजीव जी<BR/>हमेशा की तरह एक सुंदर तथा बेहतरीन रचना-<BR/>दूर बहरा कर देने की हद तक<BR/>पीटा जा रहा है ढोल<BR/>नुक्कड़ में क्रांति के ठेकेदार जुटे हैं<BR/>देखो भीड़ नें ताली बजाई<BR/>समाजवाद बबुआ धीरे धीरे आई...।<BR/><BR/>बधाईशोभाhttps://www.blogger.com/profile/01880609153671810492noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-62712758181290738872008-03-19T14:37:00.000+05:302008-03-19T14:37:00.000+05:30घुप्प अंधकार मेंजुगनू की चुनौतीकुचल तो दी जायेगी, ...घुप्प अंधकार में<BR/>जुगनू की चुनौती<BR/>कुचल तो दी जायेगी, तय है<BR/>और मेरी नपुंसक कलम<BR/>आवाज़ नहीं बन सकती, जानता हूँ।<BR/><BR/>दूर बहरा कर देने की हद तक<BR/>पीटा जा रहा है ढोल<BR/>नुक्कड़ में क्रांति के ठेकेदार जुटे हैं<BR/>देखो भीड़ नें ताली बजाई<BR/>समाजवाद बबुआ धीरे धीरे आई...।<BR/><BR/>- बहुत सुन्दर आवाज..भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghavhttps://www.blogger.com/profile/05953840849591448912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-83460110195521889762008-03-19T12:24:00.000+05:302008-03-19T12:24:00.000+05:30तिब्बत में हुये इस दुष्कृत्य की जितनी भी निंदा की ...तिब्बत में हुये इस दुष्कृत्य की जितनी भी निंदा की जाये कम है. चीन से अपने राजनैतिक संबंध सुधारने की उत्कंठा में हम अपनी मानवीय संवेदना को नहीं भूल सकते. स्वयं को साम्यवादी कहने वाले चीन का यह कदम उसके मानवीय समता के प्रति वास्तविक विचारों का मुँह-बोलता प्रमाण है.<BR/>राजीव जी! आपकी कलम से निकली यह रचना हम सबकी आवाज है.SahityaShilpihttps://www.blogger.com/profile/12784365227441414723noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-32920177049479804662008-03-19T11:54:00.001+05:302008-03-19T11:54:00.001+05:30kavita jis jazbe ke saath likhi gai hai us jasbe k...kavita jis jazbe ke saath likhi gai hai us jasbe ko salaam.-AnupamaAnupamahttps://www.blogger.com/profile/12917377161456641316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-62178316173513500252008-03-19T11:54:00.000+05:302008-03-19T11:54:00.000+05:30kavita jis jazbe ke saath likhi gai hai us jasbe k...kavita jis jazbe ke saath likhi gai hai us jasbe ko salaam.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-58307183337610828332008-03-19T11:12:00.000+05:302008-03-19T11:12:00.000+05:30घुप्प अंधकार मेंजुगनू की चुनौतीकुचल तो दी जायेगी, ...घुप्प अंधकार में<BR/>जुगनू की चुनौती<BR/>कुचल तो दी जायेगी, तय है<BR/>और मेरी नपुंसक कलम<BR/>आवाज़ नहीं बन सकती, जानता हूँ।<BR/><BR/>राजीव जी एक लेखक की कलम ही उसकी ताकत और आवाज़ होती है और यही आवाज़ एक दिन आज़ादी का फरमान भी लिखेगी | आपकी कविता पर कोई टिप्पणी कर सकू अपने आप को उस काबिल नही समझती | सीमा सचदेवseema sachdevahttps://www.blogger.com/profile/15533434551981989302noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-51953957303830500592008-03-19T04:45:00.000+05:302008-03-19T04:45:00.000+05:30दूर बहरा कर देने की हद तकपीटा जा रहा है ढोलनुक्कड़...दूर बहरा कर देने की हद तक<BR/>पीटा जा रहा है ढोल<BR/>नुक्कड़ में क्रांति के ठेकेदार जुटे हैं<BR/>देखो भीड़ नें ताली बजाई<BR/>समाजवाद बबुआ धीरे धीरे आई...।<BR/><BR/>वाह राजीव जीHariharhttps://www.blogger.com/profile/07513974099414476605noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-87503220673234261242008-03-18T22:02:00.000+05:302008-03-18T22:02:00.000+05:30राजीव जी आपकी कलम से हमेशा ऐसे ही कविता क़ी प्रतीक...राजीव जी आपकी कलम से हमेशा ऐसे ही कविता क़ी प्रतीक्षा मे रहते है <BR/>बहुत ही सुंदर रचना ..<BR/>जिन पर ये पंक्तिया तो बहुत ही सुंदर है..<BR/>"अफ़ज़लों को पोसने वाले<BR/>इस देश की सधी प्रतिक्रिया है<BR/>दूसरों के फटे में अपनी टाँग क्योंकर?<BR/>वैसे भी यहाँ आज़ादी का अर्थ आखिर<BR/>दीवारों पर पिच्च से थूकना<BR/>या कि सड़कों पर<BR/>अनबुझे सिगरेट के ठुड्डे फेंकना ही तो है?<BR/>फिर सरकार की बैसाखियों का रंग लाल है<BR/>लेनिन के अंधे को लाल-लाल दिखता है<BR/>मजबूरी है भैया<BR/>जय गाँधी बाबा की।"Unknownhttps://www.blogger.com/profile/04142106432783863211noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-44690160305089923542008-03-18T21:46:00.000+05:302008-03-18T21:46:00.000+05:30सही वक़्त पर सही आवाज़।सही वक़्त पर सही आवाज़।गौरव सोलंकीhttps://www.blogger.com/profile/12475237221265153293noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-49006624268992771572008-03-18T19:33:00.000+05:302008-03-18T19:33:00.000+05:30मेरा आक्रोश आपकी कविता में आ गया राजीव जी.... आपकी...मेरा आक्रोश आपकी कविता में आ गया राजीव जी.... आपकी कलम नपुंसक नही......आपने मनुज के इन चित्रों के साथ भरपूर न्याय किया है..... थामे रहिये यूहीं सच्चे बयानों की मशाल ...Sajeevhttps://www.blogger.com/profile/08906311153913173185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-78218026066228034482008-03-18T16:46:00.000+05:302008-03-18T16:46:00.000+05:30बहुत खूब राजीव जी दूर बहरा कर देने की हद तकपीटा जा...बहुत खूब राजीव जी <BR/>दूर बहरा कर देने की हद तक<BR/>पीटा जा रहा है ढोल<BR/>नुक्कड़ में क्रांति के ठेकेदार जुटे हैं<BR/>देखो भीड़ नें ताली बजाई<BR/>आपने तिब्बत्वासियों पर हो रहे अत्याचार के लिए जो लिखा है उसका असर अवश्य होगाanjuhttps://www.blogger.com/profile/05253751080116301279noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-62987537130966954942008-03-18T14:02:00.000+05:302008-03-18T14:02:00.000+05:30फिर सरकार की बैसाखियों का रंग लाल हैलेनिन के अंधे ...फिर सरकार की बैसाखियों का रंग लाल है<BR/>लेनिन के अंधे को लाल-लाल दिखता है<BR/><BR/>सत्य वचन!<BR/><BR/>राजीव जी,<BR/>आपकी रचना सही समय पर सही प्रतिक्रिया के रूप में आई है।तिब्बत में जो हो रहा है , वो नि:संदेह भीषण एवं शर्मनाक है। आशा करता हूँ कि इस नपुंसक एवं भीरू समाज पर आपकी रचना का असर हो।<BR/><BR/>-विश्व दीपक ’तन्हा’विश्व दीपकhttps://www.blogger.com/profile/10276082553907088514noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-12803144045431426862008-03-18T13:03:00.000+05:302008-03-18T13:03:00.000+05:30ल्हासा लाल हो गया हैसाम्यवाद नेखीसें निपोड़ कर कहा...ल्हासा लाल हो गया है<BR/>साम्यवाद ने<BR/>खीसें निपोड़ कर कहा है<BR/>’धम्मम शरणम गच्छामि’<BR/>और पकड़-पकड़ कर तिब्बतियों के<BR/>फोड़े जा रहे हैं सर<BR/>कील लगे बूटों के सेलूट<BR/>खामोश होती गलियों, सड़कों और मठों पर<BR/>हुंकार रहे हैं – लाल सलाम।<BR/>"अच्छे विषय पर अच्छी रचना , काश जुल्म करने वाले ये बात समझ पाएं ..."<BR/>RegardsAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/14410598352038473586noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-29164668141440870862008-03-18T12:38:00.000+05:302008-03-18T12:38:00.000+05:30आपकी प्रतिक्रिया सही है |लेकिन जुल्म करने वाले इतन...आपकी प्रतिक्रिया सही है |<BR/>लेकिन जुल्म करने वाले इतने निर्दयी है कि उन्हें इससे कुछ नही होने वाला |<BR/><BR/>फ़िर भी एक रचनाकार इसी तरह आवाज़ बुलंद करता है |<BR/>-- अवनीश तिवारीअवनीश एस तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/04257283439345933517noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-88670817902180529712008-03-18T12:02:00.000+05:302008-03-18T12:02:00.000+05:30हमेशा की तरह राजीँव जी ज्वलन्त विषय पर अपनी लेखनी ...हमेशा की तरह राजीँव जी ज्वलन्त विषय पर अपनी लेखनी चलाई है -और सफल रहें हैं।anuradha srivastavhttps://www.blogger.com/profile/15152294502770313523noreply@blogger.com