tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post4630326593028025365..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: हॄदय पर हस्ताक्षरशैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-51056488029106259402008-07-12T13:42:00.000+05:302008-07-12T13:42:00.000+05:30shreekant ji aapki rachana hradya par hastakshar k...shreekant ji aapki rachana hradya par hastakshar karne wali hai. padh kar accha laga. aapki aage bhi aisi hi rachanaye padhne ko milegi aisi umeed.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-48021380977464928182008-07-12T13:38:00.000+05:302008-07-12T13:38:00.000+05:30shreekant ji aapki rachana hradya par hastakshar k...shreekant ji aapki rachana hradya par hastakshar karne wali hai. padh kar accha laga. aapki aage bhi aisi hi rachanaye padhne ko milegi aisi umeed.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-51801077093004204052008-05-24T21:12:00.000+05:302008-05-24T21:12:00.000+05:30पाता हूँ अपने चारो ओरमानव निर्मित कलाकृतियांझण्डे ...पाता हूँ अपने चारो ओर<BR/>मानव निर्मित कलाकृतियां<BR/>झण्डे ढोल मृदंग मजीरे और<BR/>जय हो का अनवरत तुमुल<BR/>बस ..<BR/>तुम्हें नहीं पाता हूं<BR/><BR/>इन पंक्तियों में जहाँ कवि मन अपनी विवशता बता रहा है वहीं अन्यास एक प्रश्न छोड़ रहा है की क्या जिस शोर शराबे को हम ईश्वर के गुन गान कहते हैं क्या वह सच में ईश्वर तक हमें पहुंचता है ?<BR/><BR/>झांकती ताकती स्मॄतियों के चित्र<BR/>और मैं पह्चानने लगता हूं<BR/>यह है क्षणभंगुर जीवन में भोगा हुआ<BR/>मेरा और तुम्हारा क्षणिक ...<BR/>किन्तु अविभक्त साथ<BR/>हॄदय पर अंकित तुम्हारा हस्ताक्षर<BR/>अविभाज्य अमिट अविस्मृत<BR/>अमर और कालातीत'<BR/><BR/>लेकिन इन पंक्तियों में यह समझ आता है की जो सच्चा भक्त है उस के हृदय में ईश्वर हमेशा किसी न किसी रूप में रहता है--अपनी मौजूदगी का अहसास कराता रहता है....<BR/><BR/>बहुत ही सुंदर रचना......badhayeeAlpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-61813888763650165002008-05-21T18:49:00.000+05:302008-05-21T18:49:00.000+05:30पाता हूँ अपने चारो ओरमानव निर्मित कलाकृतियांझण्डे ...पाता हूँ अपने चारो ओर<BR/>मानव निर्मित कलाकृतियां<BR/>झण्डे ढोल मृदंग मजीरे और<BR/>जय हो का अनवरत तुमुल<BR/>बस ..<BR/>तुम्हें नहीं पाता हूं<BR/><BR/>काश कि सभी लोग इसी तरह सोचते तो धर्म के नाम पर होने वाले बाह्याडंबरों और उससे उपजते साम्प्रदायिक विद्वेष से समाज को मुक्ति मिल जाती.<BR/><BR/>सुंदर और प्रभावी रचना!SahityaShilpihttps://www.blogger.com/profile/12784365227441414723noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-87175172349493397682008-05-20T21:44:00.000+05:302008-05-20T21:44:00.000+05:30और मैं पह्चानने लगता हूंयह है क्षणभंगुर जीवन में भ...और मैं पह्चानने लगता हूं<BR/>यह है क्षणभंगुर जीवन में भोगा हुआ<BR/>मेरा और तुम्हारा क्षणिक<BR/>बहुत सुन्दर भाव,बधाई.mehekhttps://www.blogger.com/profile/16379463848117663000noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-67470937031598363172008-05-20T20:33:00.000+05:302008-05-20T20:33:00.000+05:30श्रीकांत मिश्र जी , बहुत सारे अर्थ समेटे हुए आपकी ...श्रीकांत मिश्र जी , <BR/><BR/>बहुत सारे अर्थ समेटे हुए आपकी कविता अच्छी लगी ( बहुत सारे इसलिए कि पहली बार पढ़ा तो लगा कि प्रेमिका के लिए लिखी गयी है , दूसरी बार भगवान् के लिए लगी , तीसरी बार मैंने पढी ही नहीं :) <BR/><BR/>पाता हूँ अपने चारो ओर<BR/>मानव निर्मित कलाकृतियां<BR/>झण्डे ढोल मृदंग मजीरे और<BR/>जय हो का अनवरत तुमुल<BR/>बस ..<BR/>तुम्हें नहीं पाता हूं<BR/>कहां हो तुम ...<BR/><BR/>बहुत खूब <BR/><BR/>^^पूजा अनिलPooja Anilhttps://www.blogger.com/profile/11762759805938201226noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-27770386145190980592008-05-20T20:05:00.000+05:302008-05-20T20:05:00.000+05:30क्या प्रभावी पंक्तियाँ है - किन्तु अविभक्त साथहॄद...क्या प्रभावी पंक्तियाँ है - <BR/><BR/>किन्तु अविभक्त साथ<BR/>हॄदय पर अंकित तुम्हारा हस्ताक्षर<BR/>अविभाज्य अमिट अविस्मृत <BR/>अमर और कालातीत<BR/><BR/>-- असरदार रचना है |<BR/>अवनीश तिवारीअवनीश एस तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/04257283439345933517noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-51927328692284095672008-05-20T19:51:00.000+05:302008-05-20T19:51:00.000+05:30कांत जी,हमारे हृदय पर कर गयी आपकी रचना हस्ताक्षर ब...कांत जी,<BR/><BR/>हमारे हृदय पर कर गयी आपकी रचना हस्ताक्षर <BR/><BR/>बधाई..भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghavhttps://www.blogger.com/profile/05953840849591448912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-9956130825257741922008-05-20T19:07:00.000+05:302008-05-20T19:07:00.000+05:30बहुत दिनों बाद आपका लिखा पढ़ा श्रीकांत जी अच्छी ल...बहुत दिनों बाद आपका लिखा पढ़ा श्रीकांत जी अच्छी लगी आपकी रचना की यह पंक्तियाँ <BR/><BR/>झांकती ताकती स्मॄतियों के चित्र<BR/>और मैं पह्चानने लगता हूं<BR/>यह है क्षणभंगुर जीवन में भोगा हुआ<BR/>मेरा और तुम्हारा क्षणिक ...किन्तु अविभक्त साथ<BR/>हॄदय पर अंकित तुम्हारा हस्ताक्षर<BR/>अविभाज्य अमिट अविस्मृत अमर और कालातीत<BR/><BR/>बहुत खूब लिखा है आपने ..लिखते रहे ..रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-28866463997311368422008-05-20T16:15:00.000+05:302008-05-20T16:15:00.000+05:30श्रीकान्त जी चिरपरिचित संस्कृत निष्ठ भाषा के साथ ल...श्रीकान्त जी<BR/> चिरपरिचित संस्कृत निष्ठ भाषा के साथ लिखी यह कविता बहुत ही सुन्दर बिम्ब लिए है-<BR/>अनवरत सलिलधारा में<BR/>प्रतिपल कटती ऊंची कगारों से<BR/>जीवाश्मों की भांति झलकती ....<BR/>झांकती ताकती स्मॄतियों के चित्र<BR/>और मैं पह्चानने लगता हूं<BR/>यह है क्षणभंगुर जीवन में भोगा हुआ<BR/>मेरा और तुम्हारा क्षणिक ...<BR/>सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए बधाईशोभाhttps://www.blogger.com/profile/01880609153671810492noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-79304521323811648902008-05-20T14:02:00.000+05:302008-05-20T14:02:00.000+05:30और मैं पह्चानने लगता हूंयह है क्षणभंगुर जीवन में भ...और मैं पह्चानने लगता हूं<BR/>यह है क्षणभंगुर जीवन में भोगा हुआ<BR/>मेरा और तुम्हारा क्षणिक ...<BR/>बहुत अच्छा भावसीमा सचदेवhttps://www.blogger.com/profile/04082447894548336370noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-10969684172284183322008-05-20T14:00:00.000+05:302008-05-20T14:00:00.000+05:30श्रीकांत जीआपकी चिर-परिचित भाषा में एक अच्छी रचना....श्रीकांत जी<BR/><BR/>आपकी चिर-परिचित भाषा में एक अच्छी रचना..<BR/><BR/>यह है क्षणभंगुर जीवन में भोगा हुआ<BR/>मेरा और तुम्हारा क्षणिक ...किन्तु अविभक्त साथ<BR/>हॄदय पर अंकित तुम्हारा हस्ताक्षर<BR/>अविभाज्य अमिट अविस्मृत अमर और कालातीत<BR/><BR/>***राजीव रंजन प्रसादराजीव रंजन प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.com