tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post456517942813798137..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: सुमित को आजमाकर देखिएशैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-44439190835102086712008-01-20T18:22:00.000+05:302008-01-20T18:22:00.000+05:30सुमित जी बहुत ही प्यारी रचना, दिव्य प्रकाश जी ने ब...सुमित जी बहुत ही प्यारी रचना, दिव्य प्रकाश जी ने बहुत सही कहा.<BR/> मजा आ गया<BR/> आलोक सिंह "साहिल"Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-11892433962144916662008-01-20T17:29:00.000+05:302008-01-20T17:29:00.000+05:30पहली बार पढ़ते ही ऐसा लगा मानो इससे पहले भी इसी तर...पहली बार पढ़ते ही ऐसा लगा मानो इससे पहले भी इसी तरह का कुछ सुना हुआ हो। दिव्य प्रकाश जी ने सही कहा और एयरटेल का ऐड याद आ गया। फिर मौलिकता में जो अंक मिले हैं मैं उससे सहमत हूँ। हो सकता है ये अनजाने में हुआ हो। सुमित की ये प्रथम कविता है उस लिहाज से ये अच्छा प्रयास है। विचार भी अच्छे हैं। उम्मीद है कि आगे और अच्छा लिखने का प्रयास होगा।तपन शर्मा Tapan Sharmahttps://www.blogger.com/profile/02380012895583703832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-61529254198273679332008-01-20T09:07:00.000+05:302008-01-20T09:07:00.000+05:30आप सभी का आभारी हूँ,तपन भैया, आर्यमनु जी और तनु की...आप सभी का आभारी हूँ,<BR/>तपन भैया, आर्यमनु जी और तनु की प्रेरणा से मैने कविता लिखनी शुरू की।<BR/>यह मेरी ३ कविता और हिन्द युग्म पर पहली कविता है।<BR/>आशा करता हूँ आप आगे भी मेरा मार्गदर्शनक करेंगें<BR/>दिव्या जी मै आप की बात से सहमत हूँ, पर जब मैने ये लिखी थी तब मुझे एयरटेल के एड का बिलकुल भी ध्यान नही था, यह मेरी जानकारी मे नही था, मेरे मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद<BR/>एक बार पुन आप सभी का आभार व्यक्त करता हूँ<BR/>सुमित भारद्वाजUnknownhttps://www.blogger.com/profile/15870115832539405073noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-29036389922623365602008-01-20T08:54:00.000+05:302008-01-20T08:54:00.000+05:30भाव अच्छे हैं.प्रयास जारी रखें.शुभकामनाएं.भाव अच्छे हैं.<BR/>प्रयास जारी रखें.<BR/>शुभकामनाएं.Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-38683898247501871452008-01-20T02:28:00.000+05:302008-01-20T02:28:00.000+05:30एयर टेल का एक प्रचार आया था जो बहुत सफल भी रहा , ...एयर टेल का एक प्रचार आया था जो बहुत सफल भी रहा , जिसकी कुकह पंक्तियाँ मैं आपको सुनाता हूँ ,निगाहें निगाहों से मिला के टू देखो , आसमान सिमट जाएगा आगोश मैं , चाहत की बाहें फैला के तो देखो ..इसी तेरह से एक min. लंबा प्रचार था , आपकी कविता पढने की कोशिश की तो , वो प्रचार ही दिमाग मैं गूंजता रहा| उम्मीद करता हूँ आगे आप मौलिक प्रयास करते रहेंगे , कृपया मेरी बात को अन्यथा न लें ,सबसे मत्वपूर्ण लिखना होता है ,उतना तो अपने कर ही दिया है !!!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-6000298362222042292008-01-19T17:50:00.000+05:302008-01-19T17:50:00.000+05:30सुमित जी आपकी कविता अच्छी तो है पर मेरी प्रतिक्रिय...सुमित जी आपकी कविता अच्छी तो है पर मेरी प्रतिक्रिया मिली-जुली है । आपकी कविता की हर कड़ी की पहली पंक्ति से मैं सहमत नहीं हो पाता परन्तु हर कड़ी की दूसरी पंक्ति वास्तव में दमदार है । <I><BR/>पर तुम एक फूल खिला कर तो देखो। पर तुम एक बार तूफान से टकरा कर तो देखो। पर तुम एक पतवार चला कर तो देखो। पर तुम एक बार हाथ बढ़ा कर तो देखो। पर तुम एक बार हाथ बढ़ा कर तो देखो। पर तुम एक जाम उठा कर तो देखो। पर तुम एक जाम उठा कर तो देखो। पर तुम किसी का दर्द उठा कर तो देखो। पर तुम एक बार कदम बढ़ा कर तो देखो। पर तुम किसी बच्चे को हँसा कर तो देखो। तुम इनको एक बार आजमा कर तो देखो।</I><BR/>हर पंक्ति अटूट आशा का आभास देती है । परन्तु सभी की पहली पंक्ति तो सामान्य सामान्य सी बातों को असम्भव की तरह दिखाती है । जहाँ दूसरी पंक्ति कहती हो कि कुछ भी असम्भव नहीं, वहीं पहली पंक्ति उन बातों को भी कहती हो कि यह नहीं होता, वह नहीं होता, जो जीवन में अक्सर देखी जाती हैं-<BR/><I> पतझड़ में कभी बहार नहीं आती, तूफान के आगे कभी कुछ नहीं टिकता, भँवर में कभी नैया नहीं संभलती, संगदिल दुनिया मे कभी संग नहीं मिलता, मधुशाला में कभी मधु नहीं मिलता, दिल का दर्द कभी कम नहीं होता, काँटो भरी राह पर मंजिल नहीं मिलती, कहते है बचपन लौट कर नहीं आता,</I> - ये पंक्तियाँ पहले से ही वह मान लेती हैं जो दूसरी पंक्ति में खण्डित हो जाता है । परन्तु हर कड़ी की दूसरी पंक्ति इसकी काफ़ी कुछ पूर्ति कर देती है । आशा है आप मेरी टिप्पणियों को सकारात्मक लेंगे, हर दूसरी पंक्ति की तरह ।<BR/>आप और भी अच्छा आगे लिखते रहें यह शुभकामना है ।<BR/><BR/>दिवाकर मिश्रदिवाकर मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/15376537950079751261noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-25118547116343369942008-01-19T17:09:00.000+05:302008-01-19T17:09:00.000+05:30सुमित जी..अच्छी कविता.. लिखते रहेंबहुत बहुत शुभकाम...सुमित जी..<BR/><BR/>अच्छी कविता.. <BR/>लिखते रहें<BR/>बहुत बहुत शुभकामनायेंभूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghavhttps://www.blogger.com/profile/05953840849591448912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-70394867926821003082008-01-19T13:29:00.000+05:302008-01-19T13:29:00.000+05:30sumit ji behad sundar kavita hai,tufano se takra k...sumit ji behad sundar kavita hai,tufano se takra kar to dekho,dard uthakar tho dekho,patwar chalakar tho dekho,kitna sahi kaha aapne,ek bar sab kuch kar ke dekh lena chahiye,shayad koi koshish kamayab ho.<BR/>chahe na pata ho manzilo ke nishan,ek bar rah -e-gujar chal kar tho dekho.<BR/><BR/>aapko bahut bahut badhai.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-66109055408728609932008-01-19T13:20:00.000+05:302008-01-19T13:20:00.000+05:30दिल का दर्द कभी कम नहीं होता,पर तुम किसी का दर्द उ...दिल का दर्द कभी कम नहीं होता,<BR/>पर तुम किसी का दर्द उठा कर तो देखो।<BR/><BR/>काँटो भरी राह पर मंजिल नहीं मिलती,<BR/>पर तुम एक बार कदम बढ़ा कर तो देखो।<BR/>" बहुत खूब सुमित जी, क्या कवीता लिखी है ,बहुत अच्छी लिखी है "<BR/>" मोहब्बत मे चाहे लाखों गम मिलें हों, एक बार किसी को दिल मे बसा के तो देखो"<BR/>"चांदनी कहाँ मिलती है, वो भी अंधेरों मे समाई है , रोशनी केलिए ख़ुद अपनी आखें जलाकर तो देखो"<BR/>बधाई हो हिंद युग्म पर चमकने के लिएseema guptahttps://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.com