tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post4535683253754119744..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: मोड़ पर आकर मगर ठहरा है वोशैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-24094123401817869282007-12-26T19:31:00.000+05:302007-12-26T19:31:00.000+05:30अंतिम शे'र में नयापन नहीं है। शेष पसंद आये। बधाईअंतिम शे'र में नयापन नहीं है। शेष पसंद आये। बधाईशैलेश भारतवासीhttps://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-92193711224596342332007-12-26T18:46:00.000+05:302007-12-26T18:46:00.000+05:30नीरज जी,एक प्रभावशाली गज़ल।कट नहीं सकता मोहब्बत का ...नीरज जी,<BR/>एक प्रभावशाली गज़ल।<BR/><BR/>कट नहीं सकता मोहब्बत का शज़र<BR/>जितना ऊपर उतना ही गहरा है वो<BR/>बहुत सुन्दर!!<BR/><BR/>जिसको अपने हिस्से की बरसात दी<BR/>क्या पता था यार के सहरा है वो <BR/><BR/>इसमे अफ़सोस की क्या बात है?? सहरा को तो बरसात की सबसे ज्यादा जरूरत है(वैसे ये मेरा निजि विचार है, उम्मीद है अन्यथा न लेंगे)।RAVI KANThttps://www.blogger.com/profile/07664160978044742865noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-63700316371990289852007-12-26T18:07:00.000+05:302007-12-26T18:07:00.000+05:30ध्यान से सुनकर मेरी रुदाद-ऐ-ग़म*उसने हंस के कह दिय...ध्यान से सुनकर मेरी रुदाद-ऐ-ग़म*<BR/>उसने हंस के कह दिया बहरा है वो <BR/>वाह! वाह! वाह! <BR/>बहुत खूब!<BR/>बहुत ही प्यारी सी ग़ज़ल पढने को मिली-<BR/>-धन्यवादAlpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-32962697542238262562007-12-26T17:04:00.000+05:302007-12-26T17:04:00.000+05:30नीरज जी बहुत ही सुन्दर मिली आज पढ़ने को गजल दिल भरा...नीरज जी <BR/><BR/>बहुत ही सुन्दर मिली आज पढ़ने को गजल <BR/>दिल भरा भरा हुआ आँख हो आयीं सजल<BR/>लोग सुन रुदाद-ऐ-ग़म ना जाने क्यूँ बहरे हुए<BR/>दूर जाते देखते, कुछ मोड़ पर ठहरे हुए<BR/>वक्त की चालों में फसना अब फसाना कर गुजर<BR/>आओ दिखा दें दोर को अब वक्त से आगे निकल<BR/>बहुत ही सुन्दर मिली.................<BR/><BR/>नीरज जी बहुत बहुत बधाई <BR/>बहुत बढिया गजल दी आपनेभूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghavhttps://www.blogger.com/profile/05953840849591448912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-62289910655210227102007-12-26T12:40:00.000+05:302007-12-26T12:40:00.000+05:30छा गया बन याद का कोहरा है वोसबके चेहरों में निहां ...छा गया बन याद का कोहरा है वो<BR/>सबके चेहरों में निहां चेहरा है वो <BR/><BR/>नीरज जी बहुत बढिया.Avanish Gautamhttps://www.blogger.com/profile/03737794502488533991noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-30866365585508687022007-12-25T14:52:00.000+05:302007-12-25T14:52:00.000+05:30ध्यान से सुनकर मेरी रुदाद-ऐ-ग़म*उसने हंस के कह दिय...ध्यान से सुनकर मेरी रुदाद-ऐ-ग़म*<BR/>उसने हंस के कह दिया बहरा है वो<BR/><BR/>कट नहीं सकता मोहब्बत का शज़र+<BR/>जितना ऊपर उतना ही गहरा है वो<BR/><BR/>वाह नीरज जी!<BR/>मुझे बहुत अच्छी लगी गज़ल। ऐसी गज़ल कभी कभी ही मिलती हैं पढ़ने को।गौरव सोलंकीhttps://www.blogger.com/profile/12475237221265153293noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-17171871698014884242007-12-24T22:46:00.000+05:302007-12-24T22:46:00.000+05:30बात कहने को तो मैं आजाद हूँहोंट पर लेकिन लगा पहरा ...बात कहने को तो मैं आजाद हूँ<BR/>होंट पर लेकिन लगा पहरा है वो <BR/><BR/>ताकते परचम को तुम पहचान लो <BR/>एक जुनू है जब कहीं फ़हरा है वो <BR/>क्या बात है .... बहुत खूब ! लगे रहिये ...<BR/>सुनीता यादवDr. sunita yadavhttps://www.blogger.com/profile/00087805599431710687noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-53475307414366190962007-12-24T20:15:00.000+05:302007-12-24T20:15:00.000+05:30वह नीरज जी क्या बात है! बड़े दिनों बाद आपकी गजल पद...वह नीरज जी क्या बात है! बड़े दिनों बाद आपकी गजल पद्गने को मिली, लेकिन मिली तो पूरे सबाब के साथ.<BR/> बधाई समेत<BR/> आलोक सिंह "साहिल"Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-4012402419952539082007-12-24T19:55:00.000+05:302007-12-24T19:55:00.000+05:30सीधी सीधी जब सड़क थी साथ थामोड़ पर आकर मगर ठहरा है ...सीधी सीधी जब सड़क थी साथ था<BR/>मोड़ पर आकर मगर ठहरा है वो <BR/>वाह बढ़ियाSajeevhttps://www.blogger.com/profile/08906311153913173185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-81667287088184846862007-12-24T19:50:00.000+05:302007-12-24T19:50:00.000+05:30प्रिये अजय जीआप ने जो शिल्पगत खामियाँ बताई हैं वो ...प्रिये अजय जी<BR/>आप ने जो शिल्पगत खामियाँ बताई हैं वो बिल्कुल सही हैं.मैं अपनी गलती स्वीकार करता हूँ . कई बार ग़ज़ल पूरी करने की हडबडी में हम ग़ज़ल के मूल रूप से खिलवाड़ कर बैठते हैं जो सही नहीं है. आशा करता हूँ की भविष्य में भी आप इसीप्रकार से मार्ग दर्शन करते रहेंगे.<BR/>नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-63220788549756962642007-12-24T19:00:00.000+05:302007-12-24T19:00:00.000+05:30नीरज जीछोटे बहर की सुन्दर गजल है... हर शेर अपनी छा...नीरज जी<BR/><BR/>छोटे बहर की सुन्दर गजल है... हर शेर अपनी छाप छोडता है. बधाईMohinder56https://www.blogger.com/profile/02273041828671240448noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-41460903693375022282007-12-24T18:01:00.000+05:302007-12-24T18:01:00.000+05:30ध्यान से सुनकर मेरी रुदाद-ऐ-ग़म*उसने हंस के कह दिय...ध्यान से सुनकर मेरी रुदाद-ऐ-ग़म*<BR/>उसने हंस के कह दिया बहरा है वो --<BR/><BR/>बहुत अच्छा बना है.<BR/>अवनीश तिवारीAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-84214023622311245462007-12-24T17:57:00.000+05:302007-12-24T17:57:00.000+05:30बहुत सुन्दर रचना है।बधाई।"नीरज" हकीकत बस यही इंसान...बहुत सुन्दर रचना है।बधाई।<BR/><BR/>"नीरज" हकीकत बस यही इंसान की<BR/>वक्त के हाथों में इक मोहरा है वोपरमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-57308542645027104992007-12-24T17:16:00.000+05:302007-12-24T17:16:00.000+05:30वाह बहुत खूब नीरज जी ...सीधी सीधी जब सड़क थी साथ था...वाह बहुत खूब नीरज जी ...<BR/><BR/>सीधी सीधी जब सड़क थी साथ था<BR/>मोड़ पर आकर मगर ठहरा है वो <BR/><BR/>ताकते परचम को तुम पहचान लो<BR/>एक जुनू है जब कहीं फ़हरा है वो<BR/><BR/> खूब लगे यह ..बधाईरंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-52113820463548119492007-12-24T16:43:00.000+05:302007-12-24T16:43:00.000+05:30वाह नीरज जीबहुत बढ़िया गज़ल लिखी है आपने । आनन्द आ ...वाह नीरज जी<BR/>बहुत बढ़िया गज़ल लिखी है आपने । आनन्द आ गया । <BR/>बात कहने को तो मैं आजाद हूँ<BR/>होंट पर लेकिन लगा पहरा है वो <BR/><BR/>ताकते परचम को तुम पहचान लो <BR/>एक जुनू है जब कहीं फ़हरा है वो <BR/><BR/>बहुत अच्छे । बधाईशोभाhttps://www.blogger.com/profile/01880609153671810492noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-61067616651164294042007-12-24T16:42:00.000+05:302007-12-24T16:42:00.000+05:30भावात्मक दृष्टिकोण से सारी गज़ल बहुत सशक्त है. छोटे...भावात्मक दृष्टिकोण से सारी गज़ल बहुत सशक्त है. छोटे-छोटे रूपकों के माध्यम से आपने ज़िन्दगी को बड़े ही प्रभावशाली तरीके से उकेरा है.कुछ अशआर निश्चय ही बहुत अच्छे बन पड़े हैं.<BR/>जिसको अपने हिस्से की बरसात दी<BR/>क्या पता था यार के सहरा है वो <BR/>इस सबके बावज़ूद गज़ल में कुछ शिल्पगत खामियाँ रह गई हैं, मसलन कुछ स्थानों पर लय अवरुद्ध होती है. इसी तरह कोहरा, चेहरा, बहरा का काफ़िया भी पूरी तरह जम नहीं पाया.<BR/>परंतु अपनी समग्रता में गज़ल पाठक पर प्रभाव छॊड़ने में सक्षम है.SahityaShilpihttps://www.blogger.com/profile/12784365227441414723noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-18633020542834280462007-12-24T16:31:00.000+05:302007-12-24T16:31:00.000+05:30ध्यान से सुनकर मेरी रुदाद-ऐ-ग़म*उसने हंस के कह दिय...ध्यान से सुनकर मेरी रुदाद-ऐ-ग़म*<BR/>उसने हंस के कह दिया बहरा है वो <BR/><BR/>Khoobकंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.com