tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post4531863795838824082..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: लहर कहर - शमशान शहर...शैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-7493244434201381612008-06-29T14:58:00.000+05:302008-06-29T14:58:00.000+05:30भूपेंद्र राघव जी अपने भावों को कव्यात्मक रूप मे प्...भूपेंद्र राघव जी <BR/>अपने भावों को कव्यात्मक रूप मे प्रस्तुत करने का यह ढंग बहुत ही सुंदर है.हर शब्द हर पंक्ति मर्म स्पर्शी है. बधाई स्वीकारेंUnknownhttps://www.blogger.com/profile/14239765073800522457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-77406960564727571712008-06-27T17:50:00.000+05:302008-06-27T17:50:00.000+05:30बाढ़ का मार्मिक चित्रण किया है आपने इस रचना में .....बाढ़ का मार्मिक चित्रण किया है आपने इस रचना में ....रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-83985670883523801112008-06-27T01:13:00.000+05:302008-06-27T01:13:00.000+05:30भूपेन्द्र जी,कविता के नामसे ही दिल और दिमाग पर यह ...भूपेन्द्र जी,<BR/>कविता के नामसे ही दिल और दिमाग पर यह रचना छा गयी. अंतत: गलेमें आह और वाह के बीच निर्णय न हो सका . नि:शब्द अभिवादन सहित.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-59968226299301736812008-06-26T11:15:00.000+05:302008-06-26T11:15:00.000+05:30पंजों के बल खड़ा आस में, कोई पास में आयेगा, जल ने ज...पंजों के बल खड़ा आस में, कोई पास में आयेगा, <BR/>जल ने जकड रखा है लेकिन शायद वो बच जायेगा,<BR/>अकड़ गयी लो वृद्ध की काया, एक और जीवन गया,<BR/>जीवन दायी देखो ...........................<BR/>भूपेन्द्र जी ! बहुत करुण चित्रण हैHariharhttps://www.blogger.com/profile/07513974099414476605noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-3756808217239081872008-06-26T10:46:00.000+05:302008-06-26T10:46:00.000+05:30किया तांडव शांत मौन अब, जल मग्न हुई धरती सारीजो नि...किया तांडव शांत मौन अब, जल मग्न हुई धरती सारी<BR/>जो निर्जन में बचे अगर, जन-जन को लेगी बीमारी<BR/>शहर बना शमशान अनौखा, कोई न ओढकर गया कफन गया <BR/>जीवन दायी देखो ...........................<BR/>जीवन दायी देखो कैसा जीवन ग्राही बन गया...............<BR/><BR/>इसे मैं मर्मस्पर्शी नही कहूंगा ! मर्मस्पर्शी तो बाबा नागार्जुन की कविता "बाढ़ के बाद" थी ! यह तो मर्मभेदी है !<BR/>धन्यवाद !!!!करण समस्तीपुरीhttps://www.blogger.com/profile/10531494789610910323noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-66993189155658525022008-06-25T20:52:00.000+05:302008-06-25T20:52:00.000+05:30भूपेन्द्र राघव जी-बाढ़ की विभीषिका व्यक्त करती आपक...भूपेन्द्र राघव जी-<BR/>बाढ़ की विभीषिका व्यक्त करती आपकी रचना हॄदय स्पर्शी है।<BR/>---यहाँ गंगा में भी बाढ़ आई है।<BR/>मणीकर्णिका घाट (स्मशान घाट) में लाशें ऊपर गली किनारे जलाई जा रही हैं।<BR/>अचानक आई बाढ़ में कई पीपे बह गए।<BR/>३०-३० कीलो की मछलियाँ घाट किनारे तड़फड़ाने लगीं। लोग हाथों में पकड़-पकड़कर अपने घर ले जाने लगे।<BR/>जहाँ घाट किनारे लोग परेशान हैं वहीं दूर दराज से लोग बाढ़ का मजा लूटने आ रहे हैं।<BR/>---------------------------------------------------------------------------------------------------------------<BR/>--तेज बही पानी में <BR/> घूम रही घूमरी <BR/> काला सा कीड़ा<BR/> घूम रहा<BR/> झूम रहा।<BR/>---------------------------------------------------------------------------------------------------------------<BR/>-देवेन्द्र पाण्डेय।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-773116504278379032008-06-25T15:59:00.000+05:302008-06-25T15:59:00.000+05:30आंतें टूटी बहुत अबोध हाय! सह न सकीं जो विकट भूख,कि...आंतें टूटी बहुत अबोध हाय! सह न सकीं जो विकट भूख,<BR/>कितनों की सिन्दूर चूड़ियाँ, कितनों का यौवन गया<BR/>बहुत ही मर्मस्पर्शी भावसीमा सचदेवhttps://www.blogger.com/profile/04082447894548336370noreply@blogger.com