tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post4460475157728419983..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: इंतज़ारशैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-35378982753374467762007-10-29T21:57:00.000+05:302007-10-29T21:57:00.000+05:30अक्स का मतलब परछाईं होता है। इसलिए यहाँ अक्स का प्...अक्स का मतलब परछाईं होता है। इसलिए यहाँ अक्स का प्रयोग चिंत्य है। वैसे आपने इंतज़ार को हर एक छंद में निबाहा है। दिल से लिखी गई रचना है। मुझे पसंद आई।शैलेश भारतवासीhttps://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-34934265934724529162007-10-26T22:29:00.000+05:302007-10-26T22:29:00.000+05:30सुंदर, बहुत बढ़िया!!सुंदर, बहुत बढ़िया!!Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-40870538302678368102007-10-26T16:12:00.000+05:302007-10-26T16:12:00.000+05:30रंजू जी,आँखो में तो भरे थे बादलफिर भी क्यों वो ख़ा...रंजू जी,<BR/><BR/><BR/>आँखो में तो भरे थे बादल<BR/>फिर भी क्यों वो ख़ाली निकले<BR/><BR/>खुशबू चाँद ,किरण, औ हवा, में<BR/>हर शे में बस तुम्हें तलाशा<BR/><BR/>दीप जलाए अंधेरे दिल में<BR/>तू इस राह से शायद निकले<BR/><BR/>बिखर चुकी हूँ कतरा- कतरा<BR/>अब तेज़ हवाओं से डर कैसा<BR/><BR/><BR/>सुंदर भाव .... <BR/>बधाई स्वीकारें ।गीता पंडितhttps://www.blogger.com/profile/17911453195392486063noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-49423882082885806962007-10-26T14:30:00.000+05:302007-10-26T14:30:00.000+05:30आँखो में तो भरे थे बादलफिर भी क्यों वो ख़ाली निकले...आँखो में तो भरे थे बादल<BR/>फिर भी क्यों वो ख़ाली निकले<BR/><BR/>खुशबू चाँद ,किरण, औ हवा, में<BR/>हर शे में बस तुम्हें तलाशा<BR/><BR/>दीप जलाए अंधेरे दिल में<BR/>तू इस राह से शायद निकले<BR/><BR/>बिखर चुकी हूँ कतरा- कतरा<BR/>अब तेज़ हवाओं से डर कैसा<BR/>फिर भी दिल मासूम ये सोचे<BR/>कि यह तूफ़ान ज़रा थम के निकले<BR/><BR/>रंजू जी,<BR/>सुंदर रचना है।प्रेम की अनुभूति एवं पराकाष्ठा दोनों देदीप्यमान है। अच्छे भाव हैं। बधाई स्वीकारें।<BR/><BR/>(थोड़ी आलोचना-<BR/>जब तुकबंदी लिखें तो तुकबंदी को निबाहें। थोड़ी कमजोर है , इस मामले में यह कविता। :) आप समझ गई होंगी।<BR/>)<BR/><BR/>-विश्व दीपक 'तन्हा'विश्व दीपकhttps://www.blogger.com/profile/10276082553907088514noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-13897491113928563682007-10-26T11:16:00.000+05:302007-10-26T11:16:00.000+05:30रंजना जीबहुत सुन्दर प्रेम भरी कविता है । नारी हृदय...रंजना जी<BR/>बहुत सुन्दर प्रेम भरी कविता है । नारी हृदय की वेशालता का चित्रण किया है । <BR/>बिखर चुकी हूँ कतरा- कतरा<BR/>अब तेज़ हवाओं से डर कैसा<BR/>फिर भी दिल मासूम ये सोचे<BR/>कि यह तूफ़ान ज़रा थम के निकले !!<BR/>किन्तु याद रखें निराश होना उसका स्वभाव नहीं । बधाईशोभाhttps://www.blogger.com/profile/01880609153671810492noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-18815277988824913892007-10-25T21:51:00.000+05:302007-10-25T21:51:00.000+05:30वाकई इस इंतजार का मजा ही कुछ और है सच लिखा भावनाओं...वाकई इस इंतजार का मजा ही कुछ और है सच लिखा भावनाओं को शब्दों में गहनता से उतारा है…।Divine Indiahttps://www.blogger.com/profile/14469712797997282405noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-16558537912855801412007-10-25T15:51:00.000+05:302007-10-25T15:51:00.000+05:30"कि यह तूफ़ान ज़रा थम के निकले !!"रंजू जी,'तूफान स..."कि यह तूफ़ान ज़रा थम के निकले !!"<BR/>रंजू जी,'तूफान से पहले की शांति' को आपकी कविता "इंतजार" ने हलचल मचा दी है। अब इसे आपकी लेखनी की जादूगरी कहूं या सर्द हवाओं की सदा ?Atul Chauhanhttps://www.blogger.com/profile/13418818413795828946noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-10892644841352074372007-10-25T15:39:00.000+05:302007-10-25T15:39:00.000+05:30रंजना जी !अब तेज़ हवाओं से डर कैसाफिर भी दिल मासूम...रंजना जी !<BR/><BR/>अब तेज़ हवाओं से डर कैसा<BR/>फिर भी दिल मासूम ये सोचे<BR/>कि यह तूफ़ान ज़रा थम के निकले !!<BR/>..<BR/>वाह ... !!<BR/><BR/>एक और भावपूर्ण रचना का आपकी कलम से<BR/>स्वागतAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/09417713009963981665noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-1301955892510535122007-10-25T12:33:00.000+05:302007-10-25T12:33:00.000+05:30बहुत खूब रंजना जीआपकी टू लेखनी की तारीफ करने के लि...बहुत खूब रंजना जी<BR/>आपकी टू लेखनी की तारीफ करने के लिए अल्फाज़ नही हैं अब तोः मेरे पास. बहुत ही उम्दा लिखा है आपने.<BR/>गुज़रे वक़्त का साया है तू<BR/>फिर भी निहारुं राह तुम्हारी<BR/>दीप जलाए अंधेरे दिल में<BR/>तू इस राह से शायद निकले<BR/><BR/>वाह वाहManuj Mehtahttps://www.blogger.com/profile/12578930117506914122noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-56244669759776971932007-10-25T11:45:00.000+05:302007-10-25T11:45:00.000+05:30waah ranju ji baht sundar nazm hai aur akhiri misr...waah ranju ji baht sundar nazm hai aur akhiri misra behad pyara hai <BR/>बिखर चुकी हूँ कतरा- कतरा<BR/>अब तेज़ हवाओं से डर कैसा<BR/>फिर भी दिल मासूम ये सोचे<BR/>कि यह तूफ़ान ज़रा थम के निकले !!Sajeevhttps://www.blogger.com/profile/08906311153913173185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-90648306787254910452007-10-25T10:50:00.000+05:302007-10-25T10:50:00.000+05:30गुजरे लम्हे फिर ना गुज़रेगुज़रे वक़्त का साया है त...गुजरे लम्हे फिर ना गुज़रे<BR/><BR/>गुज़रे वक़्त का साया है तू<BR/>फिर भी निहारुं राह तुम्हारी<BR/>दीप जलाए अंधेरे दिल में<BR/>तू इस राह से शायद निकले<BR/><BR/>बिखर चुकी हूँ कतरा- कतरा<BR/>अब तेज़ हवाओं से डर कैसा<BR/><BR/>बहुत ही सुन्दर कविता है रंजना जी। मासूम मनोभावों को आपके शब्द बहुत सुन्दरता से चित्रित करते हैं। बधाई।<BR/><BR/>*** राजीव रंजन प्रसादराजीव रंजन प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-76348564013008593482007-10-25T10:47:00.000+05:302007-10-25T10:47:00.000+05:30रंजना जी,विरह वेदना आस लिये..टूटी, पर विश्वास लिय...रंजना जी,<BR/><BR/>विरह वेदना आस लिये..<BR/>टूटी, पर विश्वास लिये..<BR/>शब्दों की, लडियां प्यारी<BR/>हे कलम, जऊँ मै बलिहारी..<BR/><BR/>कमाल का लिखती हो रंजना जी..भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghavhttps://www.blogger.com/profile/05953840849591448912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-39680300085962695552007-10-25T10:04:00.000+05:302007-10-25T10:04:00.000+05:30रंजना जी,हमें आपका लिखा बहुत पसन्द आया..गुज़रे वक़...रंजना जी,<BR/><BR/>हमें आपका लिखा बहुत पसन्द आया..<BR/><BR/>गुज़रे वक़्त का साया है तू<BR/>फिर भी निहारुं राह तुम्हारी<BR/>दीप जलाए अंधेरे दिल में<BR/>तू इस राह से शायद निकले<BR/><BR/><BR/>बिखर चुकी हूँ कतरा- कतरा<BR/>अब तेज़ हवाओं से डर कैसा<BR/>फिर भी दिल मासूम ये सोचे<BR/>कि यह तूफ़ान ज़रा थम के निकले !!<BR/><BR/>निकले तो है... पर लगता है.. अब भी अरमान कम हैं निकले :)Mohinder56https://www.blogger.com/profile/02273041828671240448noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-73883148171484059612007-10-25T04:15:00.000+05:302007-10-25T04:15:00.000+05:30अक़्स का मतलब क्या होता है?अक़्स का मतलब क्या होता है?आलोकhttps://www.blogger.com/profile/03688535050126301425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-1308938517989610602007-10-25T03:33:00.000+05:302007-10-25T03:33:00.000+05:30बढ़िया है जी:बिखर चुकी हूँ कतरा- कतराअब तेज़ हवाओं ...बढ़िया है जी:<BR/><BR/>बिखर चुकी हूँ कतरा- कतरा<BR/>अब तेज़ हवाओं से डर कैसा<BR/>फिर भी दिल मासूम ये सोचे<BR/>कि यह तूफ़ान ज़रा थम के निकले !!<BR/><BR/><BR/>--बधाई!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-17254759217495232332007-10-25T01:29:00.000+05:302007-10-25T01:29:00.000+05:30बिखर चुकी हूँ कतरा- कतराअब तेज़ हवाओं से डर कैसा क...बिखर चुकी हूँ कतरा- कतरा<BR/>अब तेज़ हवाओं से डर कैसा<BR/> कभी ऐसा होता है कि जो हम सोच रहे होते है लेकिंन शब्दो मे नही बाँध पाते ,,उसे कविता मे पाकर उदास मन भी खुश हो जाता है... बहुत सुन्दर कविता...मीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.com