tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post4278333524401754284..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: कोई हम सा क्या कभी जलवे में होशैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-449092798407419962009-10-13T16:55:44.038+05:302009-10-13T16:55:44.038+05:30aalok
jab ye kavita prakasit huyee thi ,net probl...aalok <br />jab ye kavita prakasit huyee thi ,net problem se comment nahi d paya.<br /><br />per maine vyaktigat mail se hindyugm tak baat pahucha di thi ki yeh rachna har lihaaj ( Katya /silp/pathniyta ) se yugm ke star ki hai. <br />kuch line to kai stapit rachnakaro se kamter nahi hai.Akhileshhttps://www.blogger.com/profile/09641299718027515895noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-61109257204698642042009-09-19T15:30:03.103+05:302009-09-19T15:30:03.103+05:30इस हौसलाअफजाई के लिए
धीर जी , मंजू जी , रचना जी ...इस हौसलाअफजाई के लिए <br /><br />धीर जी , मंजू जी , रचना जी , सुमिता जी, अरुण जी , विश्वदीपक तन्हा जी , नीलम जी , विमल जी , सुनील जी <br /><br />आप सभी लोगो का तहेदिल से शुक्रियाआलोक उपाध्यायhttps://www.blogger.com/profile/13650810810396418631noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-14993004975276010912009-09-19T01:20:06.238+05:302009-09-19T01:20:06.238+05:30जनाब नज़र जी, आपकी जानदार लफ्जावली के लिए मुबारकबाद...जनाब नज़र जी, आपकी जानदार लफ्जावली के लिए मुबारकबाद! <br />रही बात स्तर की तो रास्ते कभी नहीं पूछते की राहगीर कौन है! आसमान में पंछी भी उड़ते हैं और जहाज भी.. स्तर उसी का जो मुकाम तक पहुंचे.. नज़र जी दुआ है कि अगली बार यूनिकवि का खिताब आपको ही मिले...Adminhttps://www.blogger.com/profile/13066188398781940438noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-69049166001694801772009-09-18T18:00:34.997+05:302009-09-18T18:00:34.997+05:30"उम्र जलवों में बसर हो ये ज़रूरी तो नहीं
हर ..."उम्र जलवों में बसर हो ये ज़रूरी तो नहीं <br />हर शब-ए-ग़म की सहर हो ये ज़रूरी तो नहीं <br />चश्मे-साकी से पियो या लब-ए -सागर से <br />बेखुदी आठों पहर हो ये ज़रूरी तो नहीं "<br />किसी महान शायर के इन अल्फ़ाज़ों के साथ हमारी <br />आप सभी लोगों से गुजारिश है की हमें इस मात्रा, लय, बहर, मकता, काफिये के अनमोल दलदल में इस तरह से तो न घसीटें <br />अभी बच्चे हैं हम ..दम सा घुटने लगता है ....जब अभ्यस्त हो जायेंगे तो ज़रूर आप लोगों का साथ पाने की कोशिश करेंगे ..तब तक के लिए हमें बाहर रखते हुए इस दलदल के गुर और तरीके बताते रहिएगा .....हम सीखने की भरपूर कोशिश करेंगे |<br /><br />आप सभी लोगों का बहुत बहुत शुक्रिया <br />खास तौर पे "अद्भुत जी " काआलोक उपाध्यायhttps://www.blogger.com/profile/13650810810396418631noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-49984858346216556052009-09-18T14:05:32.592+05:302009-09-18T14:05:32.592+05:30अच्छी कविता के लिए बहुत बहुत बधाई, धन्यवाद
विमल...अच्छी कविता के लिए बहुत बहुत बधाई, धन्यवाद <br /><br />विमल कुमार हेडाAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-12766774043913400522009-09-18T13:23:52.195+05:302009-09-18T13:23:52.195+05:30उस हर गुलिस्ताँ ने हमें ठुकरा दिया
जिसकी ज़रूरतें ...उस हर गुलिस्ताँ ने हमें ठुकरा दिया<br />जिसकी ज़रूरतें पहुंचाई ख़ुर्शीद तलक<br />"नज़र" के दायरे को गुरूर न समझो<br />वो आज भी कायम है तहज़ीब तलक<br /><br /> बेहद भाव पूर्ण रचना है ,बहुत बहुत पसंद आई अद्भुत जी की बात से सत-प्रतिशत असहमत हूँ और धीर जी की बात का पूरा पूरा समर्थन करती हूँ <br />बधाई स्वीकारें हमारी तरफ से भीneelamhttps://www.blogger.com/profile/00016871539001780302noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-60186054040659973572009-09-18T13:01:21.967+05:302009-09-18T13:01:21.967+05:30नज़र जी! मुझे आपकी यह रचना पसंद आई।
लगता है, "...नज़र जी! मुझे आपकी यह रचना पसंद आई।<br /><br />लगता है, "गज़ल है या नहीं"- इस प्रश्न के बहाने फिर से हिन्द-युग्म के स्तर का निर्धारण शुरू होने जा रहा है। देखते हैं, इस बार इस दंगल में कौन-कौन उतरता है।<br /><br />मुझे बस रचना से मतलब है.........एक बात और, युग्म जिन रचनाओं को पुरस्कार से नवाज़ता है, वे रचनाएँ युग्म खुद पैदा नहीं करता, वो उसके पास प्रतिभागियों की ओर से आती हैं। तो विजेता उन्हीं में से कोई होगा, हम और आप नहीं(जो हिस्सा नहीं लेते)।<br /><br />अच्छा है कि नियंत्रक ने "टिप्पणी नियंत्रण" की शुरूआत कर दी है, नहीं तो अब तक न जाने क्या हो गया होता।<br /><br />सादर,<br />विश्व दीपकविश्व दीपकhttps://www.blogger.com/profile/10276082553907088514noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-33934566924524720852009-09-18T10:10:04.919+05:302009-09-18T10:10:04.919+05:30अद्भुत जी ,मैंने आपकी टिपण्णी के बाद अनेकानेक रचना...अद्भुत जी ,मैंने आपकी टिपण्णी के बाद अनेकानेक रचनाएँ पढ़कर हिंद-युग्म के स्तर को जानना चाहा और मुझे लगता है ये रचना हिंद-युग्म के स्तर की है .जहाँ अनेकों रचनाएँ भाव-विहीन हैं और केवल शब्द योजना के कारण प्रशंसा पाती हैं,वहीँ ये रचना (ग़ज़ल तो आप मानते नहीं) मुझे बड़ी संतुलित लगी ..मैं मानता हूँ मुझे ग़ज़ल की बारीकियों का ज्ञान नहीं ..बेहतर होता आप उन कारणों पर प्रकाश डाल देते जिन्होंने इसे ग़ज़ल बनने से वंचित रखाDChttps://www.blogger.com/profile/02011311076382006162noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-83434478182979546342009-09-18T00:05:20.462+05:302009-09-18T00:05:20.462+05:30धीर और सुमिता जी को पहले तो यह सादर बता दूं की ये ...धीर और सुमिता जी को पहले तो यह सादर बता दूं की ये गजल नहीं है <br /><br />हिन्दयुग्म पर स्तर के हिसाब से ये रचना काफी हल्की है ........... <br /><br />सादर: <br /><br />अरुण मित्तल अद्भुतArun Mittal "Adbhut"https://www.blogger.com/profile/18192424604648383037noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-88153046473807401352009-09-17T22:00:17.631+05:302009-09-17T22:00:17.631+05:30नजर जी को बधाई...बहुत सुंदर गजल से रूबरू कराया..धन...नजर जी को बधाई...बहुत सुंदर गजल से रूबरू कराया..धन्यवाद.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-75196473514412067932009-09-17T21:44:41.327+05:302009-09-17T21:44:41.327+05:30खुदा चंद साँसे बख्श दे दीद तलक
कोई हम सा क्या कभी ...खुदा चंद साँसे बख्श दे दीद तलक<br />कोई हम सा क्या कभी जलवे में हो<br />ईद से होली तो होली से ईद तलक<br />उस हर गुलिस्ताँ ने हमें ठुकरा दिया <br />sunder line<br />चोथे स्थान के लिए बधाई <br />रचनाrachananoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-55811589606725851602009-09-17T20:45:41.795+05:302009-09-17T20:45:41.795+05:30नजर को यूँ ही नजर आता रहे 'नजर ' का नजराना...नजर को यूँ ही नजर आता रहे 'नजर ' का नजराना .चौथे स्थान के लिए बधाई .Manju Guptahttps://www.blogger.com/profile/10464006263216607501noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-34317247268112605902009-09-17T20:04:33.757+05:302009-09-17T20:04:33.757+05:30हालात घर से बेघर कभी करने लगे
हमें हौसला खींच लाय...हालात घर से बेघर कभी करने लगे <br />हमें हौसला खींच लाये दहलीज़ तलक<br /><br />क्या बात है ..अति सुन्दर ग़ज़लDChttps://www.blogger.com/profile/02011311076382006162noreply@blogger.com