tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post4039602974241061690..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: शामिख़ फ़राज़ की कविता के अक्षर बहुत शैतान हैंशैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-72124281715214994072009-07-07T10:32:19.440+05:302009-07-07T10:32:19.440+05:30खिलने वाली कलियों का ज़िक्र हो
या बिखरे हुए पतझड़ ...खिलने वाली कलियों का ज़िक्र हो<br />या बिखरे हुए पतझड़ के पात हो<br />देखो चाहे कहीं की कोई बात<br />ख़त्म करते हैं तुम्हीं पे ले जाकर<br />छोटे बच्चों जैसे शैतान हैं<br />मेरी कविता के अक्षर<br /><br />बहुत ही सुन्दर रचना, आभार्सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-75619567530044794542009-02-18T09:24:00.000+05:302009-02-18T09:24:00.000+05:30भाई.. बहुत भायी.. तुम्हारी ये शब्द रचना..इस रचना क...भाई.. <BR/>बहुत भायी.. तुम्हारी ये शब्द रचना..<BR/><BR/>इस रचना को पढ़ कर लगा ही नहीं ये ही शब्द इतनी शैतानी करते है..<BR/>अभी तो बहुत शांत और मनमोहक लगे..<BR/><BR/>बार बार पढने को जी हुआ..<BR/><BR/>सादर<BR/>शैलेशShailesh Jamlokihttps://www.blogger.com/profile/17057836670556828623noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-45074192866253532932009-02-15T21:05:00.000+05:302009-02-15T21:05:00.000+05:30सुन्दर अभिव्यक्ति पर बधाईसुन्दर अभिव्यक्ति पर बधाईAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-10788421856931017662009-02-14T08:06:00.000+05:302009-02-14T08:06:00.000+05:30आपके अक्षरों की शैतानियाँ देखकर हमें भी उनसे शैतान...आपके अक्षरों की शैतानियाँ देखकर हमें भी उनसे शैतानी करनी का मन हो रहा है !बहुत ही अच्छी रचना बहुत-बहुत बधाई!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-53703320279543421422009-02-14T07:48:00.000+05:302009-02-14T07:48:00.000+05:30... बहुत खूब।... बहुत खूब।कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-12894081685682462612009-02-14T07:01:00.000+05:302009-02-14T07:01:00.000+05:30कविता की गति तो ठीक है पर जैसा तीसरे चरण के जज ने ...कविता की गति तो ठीक है पर जैसा तीसरे चरण के जज ने कहा है इसमें विचारबोध का प्राबल्य कविता को थोड़ा बोझिल अवश्य करता है. <BR/>रचना सुन्दर है.Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-49219811160583408092009-02-14T01:55:00.000+05:302009-02-14T01:55:00.000+05:30शहरों की चका चौंध में गुम हैं हम इन्सान शब्द वहां...शहरों की चका चौंध में <BR/>गुम हैं हम इन्सान <BR/>शब्द वहां से निकल कविता में आए <BR/>हो गए शैतान <BR/>अम्मी कविता के <BR/> बाकी है दिल पर निशान <BR/>शब्दों का प्रयोग सुंदर है <BR/>कविता अच्छी है <BR/>सादर<BR/>रचनाAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-16289078493899216432009-02-14T00:29:00.000+05:302009-02-14T00:29:00.000+05:30फ़राज़ बधाई स्वीकारिये अक्षर जो बने शैतानपाठक लिखेंग...फ़राज़ बधाई स्वीकारिये अक्षर जो बने शैतान<BR/>पाठक लिखेंगे कविता आप के चित्र पर लगा ध्यानतपन शर्मा Tapan Sharmahttps://www.blogger.com/profile/02380012895583703832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-21241646297530451472009-02-13T21:47:00.000+05:302009-02-13T21:47:00.000+05:30अक्षर,,,,,,,???मुझे तो शामिख भी शैतान लगते हैं,,,,...अक्षर,,,,,,,???<BR/>मुझे तो शामिख भी शैतान लगते हैं,,,,,<BR/><BR/>हा,,हा,,हा,,<BR/>भाई जान ,इसे हलके से लेना,,,,कविता पसंद आयी,,,,,,कुछ दिनों से तल्ख़ कहते लिखते,,आज आपको देखते ही शरारत का मूड हो गया,,,,,अब अपकेकव्यपल्लावन वाले चित्र के लिए भी कुछ सोचते हैं.....वो भी अछा लगा कुछ लिखा गया तो वहा ज़रूर भेजना चाहूंगा,,,....बधाई ,,,manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-21837251880538823622009-02-13T15:11:00.000+05:302009-02-13T15:11:00.000+05:30शमीख जी वास्तव में आपकी कविता के अक्षरों की पहचान ...शमीख जी वास्तव में आपकी कविता के अक्षरों की पहचान <BR/>हमें भी होने लगी है | आपकी पहली कविता के अक्षर <BR/>फोंकानी, सांसी से बहार निकल आई अम्मी..... अभी तक माँ <BR/>की याद दिला जाते है | बहुत ही सुन्दरता से आपने अपने <BR/>भावों को कविता में संजोया है | बहुत-बहुत बधाईसीमा सचदेवhttps://www.blogger.com/profile/04082447894548336370noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-16179792882851878392009-02-13T14:53:00.000+05:302009-02-13T14:53:00.000+05:30होता हूँ जब कभी मैंगुमसुम तनहा और खामोशतुम्हारी, ह...होता हूँ जब कभी मैं<BR/>गुमसुम तनहा और खामोश<BR/>तुम्हारी, हाँ, तुम्हारी<BR/>यादों की तरफ ले जाते हैं<BR/>मेरा हाथ पकड़कर<BR/>छोटे बच्चों जैसे शैतान हैं<BR/>मेरी कविता के अक्षर<BR/>"कविता के अक्षरों की शैतानी को सुन्दरता से अभिव्यक्त किया गया है.."<BR/><BR/>Regardsseema guptahttps://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.com