tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post3835870049435139682..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: मेरे तिरंगे प्यारेशैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-13179302997251401862011-05-15T20:57:40.470+05:302011-05-15T20:57:40.470+05:30बहुत तल्खी के साथ कहना पड रहा है कि भारत में भजनों...बहुत तल्खी के साथ कहना पड रहा है कि भारत में भजनों और देश्प्रेम की कविताओं के लिये पेरोडी का ही भरोसा है. ये कविता नहिं भडेंती है.बब्लीnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-67851124838729793772007-08-21T11:10:00.000+05:302007-08-21T11:10:00.000+05:30फिल्मी गीत अय्र पैरोडी भी तो एक विधा ही है। यह कवि...फिल्मी गीत अय्र पैरोडी भी तो एक विधा ही है। यह कविता इसी श्रेणी की है।अभिषेक सागरhttps://www.blogger.com/profile/02262214864547622776noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-49944557781495093802007-08-17T19:20:00.000+05:302007-08-17T19:20:00.000+05:30भाव अच्छे हैं, प्रस्तुतिकरण ठीक-ठाक... जिस माहौल म...भाव अच्छे हैं, प्रस्तुतिकरण ठीक-ठाक... जिस माहौल में आपने यह रचना प्रकाशित की है, वहाँ केवल जय हिन्द ही लिखा हो तो भी बहुत अच्छा लगता है, आपकी रचना भी माहौल के अनुकूल है।<BR/><BR/>बधाई!!गिरिराज जोशीhttps://www.blogger.com/profile/13316021987438126843noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-86290725338927899182007-08-16T12:53:00.000+05:302007-08-16T12:53:00.000+05:30यदि याल्ला याल्ला बल्ले बल्ले से आप प्रेरित नहीं ह...यदि याल्ला याल्ला बल्ले बल्ले से आप प्रेरित नहीं होते तो रचना का स्तर निश्चय ही बहुत बढ़ जाता।<BR/>जैसा कि सबने कहा, देशभक्ति से ओतप्रोत भाव हैं आपके।गौरव सोलंकीhttps://www.blogger.com/profile/12475237221265153293noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-23751987555269754442007-08-16T11:12:00.000+05:302007-08-16T11:12:00.000+05:30अच्छी कविता है पंकज जीबधाईसस्नेहगौरव शुक्लअच्छी कविता है पंकज जी<BR/><BR/>बधाई<BR/><BR/>सस्नेह<BR/>गौरव शुक्लGaurav Shuklahttps://www.blogger.com/profile/12422162471969001645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-23453862615121666352007-08-16T10:07:00.000+05:302007-08-16T10:07:00.000+05:30सबसे बडी बात है राष्ट्रभक्ति का जज़्बा, जो कि इस रच...सबसे बडी बात है राष्ट्रभक्ति का जज़्बा, जो कि इस रचना में कूट कूट कर भरा हुआ है।राजीव रंजन प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-78839511148679452812007-08-15T22:21:00.000+05:302007-08-15T22:21:00.000+05:30मजा नहीं आया। शुरूआती दिन लिखना शायद सहानुभूति बन ...मजा नहीं आया। शुरूआती दिन लिखना शायद सहानुभूति बन गई। परन्तु यह कविता जरा भी आकर्षक नहीं है पता नहीं कैसे आपका मन दसे हिन्द युग्म जैसे मंच पर डालने के लिए राजी हो गया।Adminhttps://www.blogger.com/profile/13066188398781940438noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-59706971797556807492007-08-15T21:32:00.000+05:302007-08-15T21:32:00.000+05:30:) ह्ह्ह्म्म्म्म अच्छा है:) ह्ह्ह्म्म्म्म अच्छा हैAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-25400491323776525342007-08-15T16:58:00.000+05:302007-08-15T16:58:00.000+05:30पंकज जी ..गीत शुरुआती दिनों का है..अच्छा है..पढ कर...पंकज जी ..<BR/>गीत शुरुआती दिनों का है..<BR/>अच्छा है..<BR/>पढ कर मजा आया ...<BR/>पैरोडी ठीक बनाई हैविपिन चौहान "मन"https://www.blogger.com/profile/10541647834836427554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-38620352262655928512007-08-15T16:47:00.000+05:302007-08-15T16:47:00.000+05:30पंकज जी जान कर अच्छा लगा कि ये आपके शुरुआती दिनों ...पंकज जी जान कर अच्छा लगा कि ये आपके शुरुआती दिनों की कविता है ।<BR/>अन्तिम पंक्तियाँ छोड दी जाये तो कविता बहुत ही अच्छी है ।anuradha srivastavhttps://www.blogger.com/profile/15152294502770313523noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-15443823198697816312007-08-15T13:05:00.000+05:302007-08-15T13:05:00.000+05:30पंकज जी,विचार अच्छे हैं, और चूँकि कविता शुरुआती दि...पंकज जी,<BR/>विचार अच्छे हैं, और चूँकि कविता शुरुआती दिनों की है तो उस हिसाब से अच्छी है।<BR/>तपन शर्माAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-88459111629354331562007-08-15T12:40:00.000+05:302007-08-15T12:40:00.000+05:30पंकज जी,शुरुआती दिनों के हिसाब से तो ठिक है अन्यथा...पंकज जी,<BR/>शुरुआती दिनों के हिसाब से तो ठिक है अन्यथा रचना कुछ ज्यादा प्रभावित नही करती। कथ्य में नयापन नही है।<BR/>’भेद मिटा दो प्रेम बढ़ा लो’ प्रासंगिक है।RAVI KANThttps://www.blogger.com/profile/07664160978044742865noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-54502760649221607892007-08-15T12:35:00.000+05:302007-08-15T12:35:00.000+05:30कविता तो कुछ खास नहीं किन्तु आज के दिवस पर देश के ...कविता तो कुछ खास नहीं किन्तु आज के दिवस पर देश के बारे में जो <BR/>भी कहा जाए कम ही है । सभी देश के लोगो में देश भक्ति की भावना<BR/>रहे और राष्ट के लिए सर्वस्व समर्पण का इरादा हो तो अच्छा होगा ।<BR/>क्योंकि अगर देश है तो हम हैं , देश के स्वाभिमान से बड़ा कुछ भी नहीं ।शोभाhttps://www.blogger.com/profile/01880609153671810492noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-87185164920763100382007-08-15T11:43:00.000+05:302007-08-15T11:43:00.000+05:30क्षमा करे पंकज जी मै ने ये ना पड़ा कि यह कविता आपक...क्षमा करे पंकज जी मै ने ये ना पड़ा कि यह कविता आपके शुरुआती दीनो कि है..........तथ किसी फ़िल्म से प्रेरित है......... <BR/>उस हिसाब से रचना अच्छी है क्यूँकी फ़िल्मो के गीत इस ही तरह के होते है ....... <BR/>क्षमा करें........ <BR/>धन्यवादAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-5744090357533837032007-08-15T11:30:00.000+05:302007-08-15T11:30:00.000+05:30कविता अच्छी है............ भाव भी गहरे है परंतु प्...कविता अच्छी है............ <BR/>भाव भी गहरे है परंतु प्रस्तुति करण ठीक नही बैठता......... <BR/>यदि पदयंत् कुछ और होता यल्ला यल्ला बल्ले बल्ले कि जगह तो कावित और सुंदर हो सकती थी<BR/>क्यूँकी इस ही कि टुक मिलने के चक्कर मे आपने अन्य पदयों का भी टुक बिगड़ दिया है जैसे<BR/>गल्ले गल्ले<BR/>तथा<BR/>जल्ले जल्ले<BR/>आदि<BR/><BR/>शुभकामनाएँAnonymousnoreply@blogger.com