tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post3834936468247856860..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: रहस्यमयी प्रेम कथाओं वाले मित्रशैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-19423858335234011762011-01-07T21:16:51.375+05:302011-01-07T21:16:51.375+05:30I agree fully with the Anonymous comments. If Mr ...I agree fully with the Anonymous comments. If Mr Chauhan feels that Kaamsutra and Khajuraho's idols are his true ideals then he should keep that book in his house and refer the same to all the family members. I wonder how the writer finds relevance of this poem with god's picture. If Hindyugm agree with the comments of this writer then this Hindi portal should also start a series of Kaamsutra for its readers shortly.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-17368020460282124252010-12-07T09:10:29.745+05:302010-12-07T09:10:29.745+05:30कविता पढने के लिए कविता प्रेमियों को धन्यवाद
इस कव...कविता पढने के लिए कविता प्रेमियों को धन्यवाद<br />इस कविता पर अष्लीलता का आरोप लगाने वाले कृपया अपनी आंखों से अष्लीलता का चष्मा उतार कर षांति मन से पढें व उन किषोरों की मनः स्थितियों को समझने का प्रयास करें। जिनके मन में विभिन्न तरह की कल्पनाएं जन्म लेती हैं। अगर आप की तरह सोच वाले लोग रहें तो न आज खजुराहो की मूर्तियां देखने को मिलती न वात्स्यायन का कामसूत्र पढने को। और अन्त में बकौल तुलसी दास -जिनकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी।www.puravai.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/03485808500607916718noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-2988751546415331732010-12-07T01:53:28.246+05:302010-12-07T01:53:28.246+05:30BHUT ACHA LAGA PADH K. SABDO KA CHUNAW BEHTREEN HA...BHUT ACHA LAGA PADH K. SABDO KA CHUNAW BEHTREEN HAI........DR.NIRDESH JADAUNnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-4831474892003566312010-12-07T01:39:50.596+05:302010-12-07T01:39:50.596+05:30i appriciate that poem. mujhe bhut acha laga kavit...i appriciate that poem. mujhe bhut acha laga kavita padh k. kavi ne hamare jeevan k us riste ko chuna jo ki hum khud banate hai.............. '''wah ati sundar;;;;;ER.ALOKnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-67234553514195943292010-12-07T01:17:02.891+05:302010-12-07T01:17:02.891+05:30kavi ki kalpana kabil-a-tariff hai.... kavita ek...kavi ki kalpana kabil-a-tariff hai.... kavita ek tarah se mitrwat(friendly) mehsus hoti hai ......vikas singhnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-17644043625883760462010-11-30T11:47:00.504+05:302010-11-30T11:47:00.504+05:30भारत मे विरोध करने वाले कम हैं इसलिए यहाँ भ्रष्टाच...भारत मे विरोध करने वाले कम हैं इसलिए यहाँ भ्रष्टाचार बेईमानी अश्लीलता राज कर रही है। अच्छे कामो की सराहना हो चाहे न हो पर बुरे कामो का विरोध करने वालो का विरोध अवश्य किया जाएगा। गुणवत्ता मे गिरावट आती रही और हम मूक दर्शक बने रहे इसी का नतीजा है कि हमारी फिल्मो और गीत संगीत का इतना पतन हुआ|<br />इस कविता की पाँच पंक्तियाँ मुझे आभास हो गया था कि ये कविता मुझे पसंद नही आएगी सो मैने कविता पढ़ने से पहले टिप्पणी पढ़ने का मन बनाया और प्रथम टिप्पणी इतनी सार्थक है कि मुझे अपने निर्णय पर गर्व महसूस हुआ और मेरा आभास विश्वास मे परिवर्तित हो गया। प्रथम टिप्पणी करने वाले श्रीमान को मेरा हार्दिक धन्यवादसोत्तीhttp://www.facebook.com/HindiRapPrincenoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-11837282953972890772010-11-29T21:02:10.880+05:302010-11-29T21:02:10.880+05:30अनिल जी, वैसे नाम के जानने में रखा ही क्या है? अब ...अनिल जी, वैसे नाम के जानने में रखा ही क्या है? अब आपने अपना नाम बता भी दिया तो क्या फर्क पड़ता है? आपके और मेरे नाम के न जाने कितने लोग होंगे इस देश में ! इस में छुप कर वार करने वाली बात मैं तो समझ नहीं पाया. आखिर हम वार भी क्यों करें? क्या हमें आपस में कुछ बांटना है? या कोई कटुता है? अगर नहीं तो मन-मुटाव कैसा? तो क्या आपको यह कविता अच्छी लगी? और यदि अच्छी लगी भी है तो बताने में संकोच क्यों है? क्या अच्छा लगा इसमें? क्या आपको भी “कथा में एक थी लड़की और उसे फंसाने की अनूठी तरकीब” पसंद आई? या फिर ये पंक्तियाँ आपको भा गई “अट्ठारह पोरों की भस्म<br />भस्म से फंसी लड़की<br />लड़की का रहस्यमयी शरीर<br />एक अनछुआ एहसास<br />एक अनछुई गुदगुदी<br />और गर्म रगों में दौड़ती सनसनी”<br />या फिर इस मित्र की अदाएं आपको अच्छी लग गई---<br />“वह जब भी मिलता आग्रह करता<br />देखने को वैसी ही फिल्में<br />जिसके आगे पानी भरती थी अप्सराएं<br />अब हमारे उसके बीच<br />कोई उम्र की सीमा नहीं थी<br />वह था तो मेरे बाप की उमर का<br />लेकिन इस उम्र में फूटने लगे थे<br />जवानी के कल्ले,”<br />यदि मैं आपको अपना नाम बता भी दूं तो क्या यह मेरी टिप्पणी बदल जायेगी? अगर नहीं तो फिर नाम बताने से सिवाय वैमनस्य बढ़े और तो कुछ हासिल होता नहीं दिखाई देता. यह मेरी पहली टिप्पणी नहीं है हिंद युग्म पर. मैंने ९० प्रतिशत से भी अधिक कविताओं की मुक्त कंठ से प्रशंसा की है. लेकिन जहां आवश्यक हो आलोचना भी करनी ही पड़ती है. मेरा एक सुझाव है आपके लिए यदि बुरा न मानो तो ! यह कविता पढ़ कर आप अपने परिवार के सभी सदस्यों को सुनाएँ और फिर यहाँ पर अपनी टिप्पणी दें कि इस Anonymous की टिप्पणी सार्थक है या नही. हाँ एक बात और ...न तो मैं आपके विषय में कुछ जानता हूँ और न ही इन कवि महोदय के बारे में जिन्होंने ये कविता लिखी है. मैंने तो इस कविता पर पूर्ण इमानदारी से अपनी राय दी है. यह कोई आवश्यक नही है कि सब लोग मेरी बात से सहमत हो ही जाएँ.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-83151049335827992752010-11-29T17:12:21.452+05:302010-11-29T17:12:21.452+05:30पता नहीं क्यों कुछ लोग छुप कर ही वार करते हैं । अर...पता नहीं क्यों कुछ लोग छुप कर ही वार करते हैं । अरे भई, यदि स्वयँ कुछ सार्थक नहीं कर सकते तो दूसरों के प्रयास को क्यों नकारते हो । इसे ही कहते हैं कि कोई व्यक्ति नेगेटिव होता है जन्मजात से ही । परन्तू उस में इतना जिगरा नहीं होता कि वह खुल कर सामने आ सके । एक कवि के अच्छे-भले प्रयास को न जाने क्यों अनानिमसजी ने इस तरह नकार दिया । कवि का प्रयास एव विचार सराहने योग्य है ।डॉ० अनिल चड्डाhttps://www.blogger.com/profile/05113649126978140864noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-47074167166326117732010-11-29T15:48:43.926+05:302010-11-29T15:48:43.926+05:30अक्षरशः उग आती आंखों के सामने
और लहलहाने लगती
सपनो...अक्षरशः उग आती आंखों के सामने<br />और लहलहाने लगती<br />सपनों की फसल। <br /><br />बेहतरीन शब्द रचना ।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-55307210647176033252010-11-28T18:21:56.451+05:302010-11-28T18:21:56.451+05:30इस निरर्थक रचना पर क्या टिप्पणी दें? ऐसा प्रतीत हो...इस निरर्थक रचना पर क्या टिप्पणी दें? ऐसा प्रतीत होता है कि या तो हिंद युग्म को अच्छी कवितायें मिलने में कठिनाई आ रही है या फिर हमारे सम्मानीय निर्णायकों की पसंद में क्रांतिकारी परिवर्तन आ गया है. पूरी कविता को पढ़ कर लगा कि व्यर्थ ही समय नष्ट किया इसे पढ़ने में. यह टिप्पणी भी इसलिए करनी आवश्यक हो गई ताकि भविष्य में अच्छी रचनाएँ ही पढ़ने को मिलें.Anonymousnoreply@blogger.com