tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post3801560866796668001..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: आँखों में सपनों की छोटी बड़ी इमारतें नज़र आतीं हैंशैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-54884212761386355932009-06-22T14:54:53.478+05:302009-06-22T14:54:53.478+05:30'आशा की ज़मीन पर आंखों में भी नई इमारतें बनती ...'आशा की ज़मीन पर आंखों में भी नई इमारतें बनती हैं <br />आशा! उम्मीद! ये शब्द भर नहीं हैं' <br />laajavaab,Badhiyaa Kavitaa.<br />Congrets.Jitendra Davehttps://www.blogger.com/profile/04316093164602468349noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-29055450965145923792009-06-17T22:46:24.929+05:302009-06-17T22:46:24.929+05:30अच्छी व प्रभावशाली रचना, बधाई |
ये सब कुछ उनकी आं...अच्छी व प्रभावशाली रचना, बधाई |<br /><br />ये सब कुछ उनकी आंखों मे दिखता है<br />ये सब कुछ बिना पैसे के बिकता है<br />पर ऐसा तो नहीं आंखों में खड़ी ये इमारते<br />ज़मीन पे आ जायें<br />घर टूटता है तो दुनिया देखती है<br />सपनों का महल ढहता है तो<br />तकलीफ़ ये आंखें ही कहती हैं<br />और जैसे कि ध्वंश के अवशेष पर फिर से निमार्ण होता है<br />नई रचना होती है<br />आशा की ज़मीन पर आंखों में भी नई इमारतें बनती हैं<br />आशा! उम्मीद! ये शब्द भर नहीं हैं<br />ये शब्द भर नहीं हैं, उनके लिए जिनका कुछ टूट गया होता है<br />ये नवनिमार्ण की जरूरत हैं<br />ये नई शुरूआत की ताक़त हैAmbarish Srivastavahttps://www.blogger.com/profile/06514999274631808844noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-36003265083784283482009-06-15T13:15:21.364+05:302009-06-15T13:15:21.364+05:30रवि मिश्रा जी,
बहुत बढ़िया कविता लिखी है आपने, उ...रवि मिश्रा जी, <br /><br />बहुत बढ़िया कविता लिखी है आपने, उम्मीद है आगे भी आपकी कविताएँ पढने को मिलेंगी .<br />बधाई.Pooja Anilhttps://www.blogger.com/profile/11762759805938201226noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-12779095054569920912009-06-15T10:14:23.471+05:302009-06-15T10:14:23.471+05:30निर्मला जी ने ठीक कहा.....एक संवेदनशील व्यक्ति ही ...निर्मला जी ने ठीक कहा.....एक संवेदनशील व्यक्ति ही ऐसी सोच रख सकता है...समाज को ऐसे ही महसूस करते रहें, अच्छी कविताएं खुद बनती रहेंगी...Nikhilhttps://www.blogger.com/profile/16903955620342983507noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-21773418139190066592009-06-15T08:09:53.728+05:302009-06-15T08:09:53.728+05:30bबेहद संवेदनशील व्यक्ति जो समाज की चेहरे पढने की न...bबेहद संवेदनशील व्यक्ति जो समाज की चेहरे पढने की नज़र रखता है वही ऐसी रचना लिख सकता है रवि मिश्र जी को मेरी हार्दिक बधाई और शुभकामनायं आभार्निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-38045441086787322982009-06-15T08:09:51.250+05:302009-06-15T08:09:51.250+05:30bबेहद संवेदनशील व्यक्ति जो समाज की चेहरे पढने की न...bबेहद संवेदनशील व्यक्ति जो समाज की चेहरे पढने की नज़र रखता है वही ऐसी रचना लिख सकता है रवि मिश्र जी को मेरी हार्दिक बधाई और शुभकामनायं आभार्निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-22865499421961580772009-06-14T21:00:14.238+05:302009-06-14T21:00:14.238+05:30aapki rachna ki khasiyat ye lagi mujhe ki aapne......aapki rachna ki khasiyat ye lagi mujhe ki aapne....samajik rojmarra ki jadojad mein lage.. aam insaan, gareeb ki bhavna ko ukera ...parantu ant sakaratmakta ke saath kiya <br /><br />"एक छोटे बच्चे की आंखों में देखा<br />तो आईसक्रीम की बड़ी इमारत दिखी मुझे<br />भिख़ारी को देखा रोटी की ज़रूरत दिखी मुझे<br />किसी प्रमिका को प्रेमी के संग<br />घर संसार का सपना<br />किसी बेरोज़गार के घिसते चप्पलों को<br />एक अदद नौकरी के लिए जपना<br />ये सब कुछ उनकी आंखों मे दिखता है " <br /><br />yahi to karta hain roz insaan ...umeed ke saath .....Umeed kayam raheप्रियाhttps://www.blogger.com/profile/04663779807108466146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-50905363288051180882009-06-14T07:39:55.023+05:302009-06-14T07:39:55.023+05:30एक छोटे बच्चे की आंखों में देखा
तो आईसक्रीम की बड...एक छोटे बच्चे की आंखों में देखा <br />तो आईसक्रीम की बड़ी इमारत दिखी मुझे <br />भिख़ारी को देखा रोटी की ज़रूरत दिखी मुझे <br />एक सुन्दर रचना । बधाई रवि जीHariharhttps://www.blogger.com/profile/07513974099414476605noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-81367345440592441862009-06-13T19:39:39.099+05:302009-06-13T19:39:39.099+05:30आशा की ज़मीन पर आंखों में भी नई इमारतें बनती हैं
...आशा की ज़मीन पर आंखों में भी नई इमारतें बनती हैं <br />आशा! उम्मीद! ये शब्द भर नहीं हैं <br />ये शब्द भर नहीं हैं, उनके लिए जिनका कुछ टूट गया होता है <br />ये नवनिमार्ण की जरूरत हैं<br />Asha hi jivan ko apne laksh tak pahuchati hai.Asha hi Navnirman ka dusara sutra hai.बधाई.<br />Manju Gupta.Manju Guptahttps://www.blogger.com/profile/10464006263216607501noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-43757528934073686482009-06-13T19:31:12.241+05:302009-06-13T19:31:12.241+05:30हर चेहरा मुझे दो जोड़ी आंखों जैसा लगता है
जिसमें ...हर चेहरा मुझे दो जोड़ी आंखों जैसा लगता है <br />जिसमें सपनों की छोटी बड़ी इमारतें नज़र आतीं हैं <br />जिनकी एक-एक ईंट उम्र भर जोड़ता है <br />रोज़ कुछ गढ़ता है, उन इमारतों का मालिक <br />जैसे एक घर बनने में सालों लगते है <br />एक-एक तिनका जुड़ता है <br />तो आशियाने बनते हैं <br />ऐसा ही कोई मकां उन आंखों में भी खड़ा होता है <br /><br />शीर्ष दस कविओं में स्थान बनाने पर बधाई.Shamikh Farazhttps://www.blogger.com/profile/11293266231977127796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-16112761498352410912009-06-13T19:10:38.281+05:302009-06-13T19:10:38.281+05:30ek sundar rachana jisame sirf bhawanao ko majboota...ek sundar rachana jisame sirf bhawanao ko majboota karane wala sakaratmaka soch bhi hai,,,,ओम आर्यhttps://www.blogger.com/profile/05608555899968867999noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-30818849957608019442009-06-13T18:25:17.480+05:302009-06-13T18:25:17.480+05:30ये नवनिमार्ण की जरूरत हैं
ये नई शुरूआत की ताक़त ह...ये नवनिमार्ण की जरूरत हैं <br />ये नई शुरूआत की ताक़त है <br />मेरी आंखों में भी कुछ ऐसी ही इमारतें खड़ी हैं <br />जो रोज़ ढह जाती हैं <br />और अगली सुबह तनी खड़ी कहीं मिल जाती हैं <br />तभी मैं जीवन की राह पर अनवरत चलता जा रहा हूं<br /><br />बहुत बढ़िया लगी रचना . रवि मिश्र जी को बधाई.समयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.com