tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post3757105621087725081..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: ये क्या हो गयाशैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-14267852321489524392008-03-04T00:50:00.000+05:302008-03-04T00:50:00.000+05:30बहुत कमज़ोर रचनाबहुत कमज़ोर रचनाशैलेश भारतवासीhttps://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-6128304648527615102008-02-28T11:35:00.000+05:302008-02-28T11:35:00.000+05:30कर्ण जी!आपसे बहुत ज्यादा अपेक्षाएँ हैं।कर्ण जी!<BR/><BR/>आपसे बहुत ज्यादा अपेक्षाएँ हैं।गीता पंडितhttps://www.blogger.com/profile/17911453195392486063noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-4902984001407830222008-02-20T07:58:00.000+05:302008-02-20T07:58:00.000+05:30केशव जी आप की यह प्रस्तुति बहुत ही साधारण लगी.कवि...केशव जी आप की यह प्रस्तुति बहुत ही साधारण लगी.<BR/>कविता के गठन में कच्चापन दिखा.<BR/>आप यूनी कवि हैं आप से अपेक्षाएं अधिक हैं. <BR/>प्रयास जारी रखिये.Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-26526480798809313522008-02-19T18:32:00.000+05:302008-02-19T18:32:00.000+05:30Keshav, padh k maja aaya.Keep it up.PrasadKeshav, <BR/>padh k maja aaya.<BR/>Keep it up.<BR/>PrasadAtthambihttps://www.blogger.com/profile/17405959380538075988noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-6997724697211389302008-02-18T19:55:00.000+05:302008-02-18T19:55:00.000+05:30टिप्पणियों पर ध्यान दें और प्रयास जारी रखें।टिप्पणियों पर ध्यान दें और प्रयास जारी रखें।RAVI KANThttps://www.blogger.com/profile/07664160978044742865noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-4046014139200779462008-02-18T19:19:00.000+05:302008-02-18T19:19:00.000+05:30कर्ण जी!चूँकि आप यूनिकवि है, आपसे बहुत ज्यादा हीं ...कर्ण जी!<BR/>चूँकि आप यूनिकवि है, आपसे बहुत ज्यादा हीं अपेक्षाएँ हैं। इसलिए पाठकों की बात का बुरा मत मानिएगा और जितना हो सके उतना स्तर ऊँचा रखने की कोशिश कीजिएगा।<BR/><BR/>-विश्व दीपक ’तन्हा’विश्व दीपकhttps://www.blogger.com/profile/10276082553907088514noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-64517666407943136222008-02-18T18:55:00.000+05:302008-02-18T18:55:00.000+05:30कर्ण जी, क्या आप वही हैं जिन्हें मैंने यूनिकवि के ...कर्ण जी, क्या आप वही हैं जिन्हें मैंने यूनिकवि के रूप में पहचाना था?<BR/> खैर,बात समझी जा सकती है कि सर्वश्रेष्ठ की आवृति बारबार नहीं सम्भव पर.............<BR/> खैर,अगली बेहतरीन प्रस्तुति का इन्तजार.........<BR/> आलोक सिंह "साहिल"Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-47765622346990751102008-02-18T18:26:00.000+05:302008-02-18T18:26:00.000+05:30केशव जी,हिन्दी युग्म पर कविता कि स्वस्थ और सटीक सम...केशव जी,<BR/>हिन्दी युग्म पर कविता कि स्वस्थ और सटीक समीख्शा कि जाती है और ये हमारे लिये बहुत ही जरुरी है इससे हमारे लेखन कौशल क विकास होता है आपका प्रयास सराहनीय है और बेहतर करने की उम्मीद हैAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-53779814041902821442008-02-18T15:49:00.000+05:302008-02-18T15:49:00.000+05:30सभी समीक्षकों का कोटिशः धन्यवाद ! छिद्रान्वेषण और...सभी समीक्षकों का कोटिशः धन्यवाद ! छिद्रान्वेषण और कारन गवेश्ना की विशिष्ट शैली के लिए आलोक जी को विशेष धन्यवाद ! मैं आप मनीषियों का ह्रदय से आभारी हूँ ! यह रचना वस्तुतः कॉलेज के दिनों में उमरते जज्वातों की बयानागी ही है ! आगे से प्रयास रहेगा कि आपकी राय के साथ सुधार लाया जाए !करण समस्तीपुरीhttps://www.blogger.com/profile/10531494789610910323noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-87649908829412320062008-02-18T15:00:00.000+05:302008-02-18T15:00:00.000+05:30जिस्म से जान बिल्कुल ज़ुदा हो गया !!'जान' जुदा हो '...जिस्म से जान बिल्कुल ज़ुदा हो गया !!<BR/>'जान' जुदा हो 'गयी' होता है, 'गया' नहीं ।<BR/>आँख की रोशनी छिन गयी आंख से,:- <BR/> आँखों , आँखें दो होतीं हैं । यहाँ एक पँक्ति मे ही शब्द का दुहराव है ।<BR/>जो न सोच वही वाकया हो गया !!--- सोच -सोचा । सोचा लिखने पर भी पंक्ति बाकी कविता से मेल नहीं खाती ।<BR/>सिद्दतों- शिद्दतों<BR/>की- कि<BR/>एन - ऐन<BR/>जुदा -ज़ुदा<BR/>आसमा-आसमाँ<BR/>कांटे- काँटे<BR/>भरी -भारी <BR/>लय ठीक है ।पर यह आधी कविता, आधी गज़ल, और गीत का मिश्रण है। कोई एक होता तो ठीक था । <BR/><BR/>उसके अमृत में दिखता है मुझको जहर !- इस पंक्ति में एक मात्रा ज्यादा है, अमृत को जल्दी पढ़ना पड़ रहा है ।<BR/><BR/> छंट - छँट<BR/>कविता में भाव सशक्त नहीं हैं । एक सपाट थीम को घुमा घुमा कर लिखा गया है । हो सकता है आपके स्कूल के दिनों की कविता हो । <BR/><BR/>चाँद भी आसमा पे खिला है मगर,<BR/>उसके अमृत में दिखता है मुझको जहर !<BR/>फूल कांटे बने !<BR/>साँस भरी हुई !!<BR/>प्रवाह और छन्द परिवर्तन , अनावश्यक । कुल मिलाकर एक पंक्ति भी बाकी कविता के हिसाब से कम है । <BR/>मंच की कविता की तरह बन पड़ी है । साहित्यिक कविता की परिपक्वता नहीं ।<BR/><BR/><BR/>खैर , मेरा काम ही युग्म की कविताओं में गलतियाँ खोजना है । प्रयास ठीक है , पर दुबारा तराशकर लिखने पर कुछ बेहतर होता ।Alok Shankarhttps://www.blogger.com/profile/03808522427807918062noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-44499329783469458562008-02-18T14:52:00.000+05:302008-02-18T14:52:00.000+05:30कर्ण जी, कविता में रवानगी तो अच्छी है परंतु कई जगह...कर्ण जी, <BR/><BR/>कविता में रवानगी तो अच्छी है परंतु कई जगह पर दुरूहता है.. कहीं कहीं यू टर्न मार रही हैं कविता आपकी ..भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghavhttps://www.blogger.com/profile/05953840849591448912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-38153646696594616032008-02-18T14:21:00.000+05:302008-02-18T14:21:00.000+05:30मैं राजीव रंजन और तपन शर्मा की बातों से बिल्कुल सह...मैं राजीव रंजन और तपन शर्मा की बातों से बिल्कुल सहमत नही हूँ | <BR/>केशवजी की कवितायें काफी अच्छी होती हैं |<BR/>और उनकी ये कविता "ये क्या हो रहा है " मुझे बहुत पसंद आई है |<BR/>केशवजी........ बहुत अच्छी कविता है |Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-39878825908419222662008-02-18T13:48:00.000+05:302008-02-18T13:48:00.000+05:30केशव जी, जो आपने संस्कृतनिष्ठ हिंदी कविता लिखी थी,...केशव जी, जो आपने संस्कृतनिष्ठ हिंदी कविता लिखी थी, जिसके लिये आपको प्रथम पुरस्कार मिला उस रचना से ये बेहद अलग है। और निस्संदेह इस प्रयोग से आपका स्तर गिरा ही है। उम्मीद है कि अगली कविता से आप वापसी करेंगे।तपन शर्मा Tapan Sharmahttps://www.blogger.com/profile/02380012895583703832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-17166626726683625902008-02-18T12:54:00.000+05:302008-02-18T12:54:00.000+05:30हिन्द-युग्म के युनिकवि से इस दर्जे की कविता की अपे...हिन्द-युग्म के युनिकवि से इस दर्जे की कविता की अपेक्षा नहीं की जा सकती थी। किसी फिल्मी गीत से भी स्तर कमजोर है...<BR/><BR/>*** राजीव रंजन प्रसादराजीव रंजन प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-13089095508645120752008-02-18T12:17:00.000+05:302008-02-18T12:17:00.000+05:30you need to work very hard to improve your standar...you need to work very hard to improve your standard.Anonymousnoreply@blogger.com