tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post3381610856841504871..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: मैं-सत्य हूँशैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-34581905287759288012010-02-19T20:29:50.227+05:302010-02-19T20:29:50.227+05:30चलता हूँ फिर भी
पाँव काँधों पर उठाए।
झुकी रीढ़ लिए...चलता हूँ फिर भी<br />पाँव काँधों पर उठाए।<br />झुकी रीढ़ लिए<br />चला आया हूँ<br />आशावान.......<br />कि कहीं कोई बिठाकर.....<br />फिर सहला देगा,<br />और उस बौछार से नम<br />काट लूँगा मैं<br />एक और सदी।<br />......सत्य को किसी सहारे की आवश्यकता नही, किसी की दया का आकांक्षी नहीं ... सत्य सादा ही समय की भाल पर सूर्य सा चमकता रहा है... हाँ ... हमारी नज़र और नजरिया जरूर बदला है सत्य के प्रति... जिससे सत्य में मायने अपनी तरह से लगाया जाने लगा है ... जबकि सत्य अपनी सम्पूर्णता के साथ आज भी अविनाशी है.पद्म सिंहhttp://padmsingh.wordpress.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-64011314186082921252010-02-15T13:12:10.272+05:302010-02-15T13:12:10.272+05:30मैं रहूँगा सदा
बचपन में, पर्वत में, बादल में,
टपकत...मैं रहूँगा सदा<br />बचपन में, पर्वत में, बादल में,<br />टपकते पुआली छप्पर में,<br />महल न मिले न सही<br />बस यूँ ही..........<br />काट लूँगा मैं<br />एक और सदी।<br /><br />satay ke saksh ki ek sunder or saral rachanaरचना प्रवेशhttps://www.blogger.com/profile/04303836897391156919noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-24148227661565407512010-01-25T23:41:31.470+05:302010-01-25T23:41:31.470+05:30bahut sunder kavita hai badhaibahut sunder kavita hai badhaiamitanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-68554186343310586702010-01-25T08:37:48.188+05:302010-01-25T08:37:48.188+05:30आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद...आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद...bhawnahttps://www.blogger.com/profile/06643967250921446367noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-17221934751836901002010-01-23T18:37:25.889+05:302010-01-23T18:37:25.889+05:30मैं रहूँगा सदा
बचपन में, पर्वत में, बादल में,
टपकत...मैं रहूँगा सदा<br />बचपन में, पर्वत में, बादल में,<br />टपकते पुआली छप्पर में,<br />महल न मिले न सही<br />बस यूँ ही..........<br />काट लूँगा मैं<br />एक और सदी।<br />sach kam se kam yahan salamat hai...is ashavadi rachna par bahut bahut badhaiAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/00780750490184053926noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-82719285328545662742010-01-23T18:29:31.862+05:302010-01-23T18:29:31.862+05:30जब गाँधी भी
वर्ष में एक बार आया।
कलपती होगी वह आत्...जब गाँधी भी<br />वर्ष में एक बार आया।<br />कलपती होगी वह आत्मा<br />जब पुष्पहार पहनाते,<br />तस्वीर उतरवाने को.....<br />एक और रपट बनाने को....<br />बह जाते हैं लाखों,<br />गाँधी चौक धुलवाने को,<br />पहले से ही साबुत<br />चश्मा जुड़वाने को<br />और बिलखते रह जाते हैं<br />सैकड़ों भूखे<br />एक टुकड़ा रोटी खाने को।<br />बहुत सुन्दर सटीक अभिव्यक्ति है भावना जी को बधाईनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-18738586233078354392010-01-22T22:13:53.972+05:302010-01-22T22:13:53.972+05:30मैं रहूँगा सदा
बचपन में, पर्वत में, बादल में,
टपकत...मैं रहूँगा सदा<br />बचपन में, पर्वत में, बादल में,<br />टपकते पुआली छप्पर में,<br />महल न मिले न सही<br />बस यूँ ही..........<br />काट लूँगा मैं<br />एक और सदी<br /><br />सत्य का अस्तित्व कभी मिटाया ही नही जा सकता आज की दुनिया में भले थोडा कमजोर पद जाए...बहुत सुंदर रचना बधाई!!विनोद कुमार पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/17755015886999311114noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-59674947106510811982010-01-22T21:21:08.239+05:302010-01-22T21:21:08.239+05:30Nice blog well done, interesting poemsNice blog well done, interesting poemsdr vikramhttp://www.wacky5.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-49462779944651742232010-01-21T21:09:12.039+05:302010-01-21T21:09:12.039+05:30अच्छी कविता.
सरल शब्दों में सफल अभिव्यक्ति के लिए ...अच्छी कविता.<br />सरल शब्दों में सफल अभिव्यक्ति के लिए 'भावना सक्सेना' बधाई की पात्र हैं.देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-21976793177829162942010-01-21T20:57:27.139+05:302010-01-21T20:57:27.139+05:30marmsparsheemarmsparsheeDivya Narmadahttps://www.blogger.com/profile/13664031006179956497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-13155114316244075742010-01-21T19:50:17.439+05:302010-01-21T19:50:17.439+05:30आहत तो हूँ, उसी दिन से
जब मारा गया
अश्वत्थामा गज
औ...आहत तो हूँ, उसी दिन से<br />जब मारा गया<br />अश्वत्थामा गज<br />और असत्य से उलझा<br />भटकता है नर<br />कपटमय आचरण पर<br />कोढ़ का श्राप लिए।<br />आशावान.......<br />कि कहीं कोई बिठाकर.....<br />फिर सहला देगा,<br />और उस बौछार से नम<br />काट लूँगा मैं<br />एक और सदी।<br />सच के साक्ष्य प्रस्तुत करती ह्रदयस्पर्शी रचनाAnonymousnoreply@blogger.com