tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post3364503205845483495..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: मर्दित स्वप्नों का सारशैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-26603173042212981352009-08-12T17:07:17.254+05:302009-08-12T17:07:17.254+05:30Good Brother...... really good thoughts and touche...Good Brother...... really good thoughts and touched to deep reality.Anuj AKShttps://www.blogger.com/profile/15961224173804034182noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-78805026136849042032009-05-04T11:53:00.000+05:302009-05-04T11:53:00.000+05:30अलोक जी सर्वप्रथम तो आपको हार्दिक बधाइयाँ ..........अलोक जी सर्वप्रथम तो आपको हार्दिक बधाइयाँ .......... और मैं आशा करती हू की वो समझ सके......... इन मर्दित स्वप्नों का सार !!Unknownhttps://www.blogger.com/profile/11301295915358989576noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-34938728489279172292009-05-04T02:56:00.000+05:302009-05-04T02:56:00.000+05:30सब ने सब कुछ कहदिया
अब बचा क्या है कहने को
कविता...सब ने सब कुछ कहदिया <br />अब बचा क्या है कहने को <br />कविता बहुत सुंदर है <br />दिल चाहता है ये कहने को <br />अच्छी कविता <br />रचनाrachananoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-44279043700806333952009-05-03T23:06:00.000+05:302009-05-03T23:06:00.000+05:30सर्वप्रथम, मैं आप सभी लोगों को धन्यवाद देना चाहता ...सर्वप्रथम, मैं आप सभी लोगों को धन्यवाद देना चाहता हूँ जिन्होंने कविता में व्यक्त भाव को न केवल समझा अपितु अपनी विशेष टिप्पणियों के माध्यम से मेरा उत्साहवर्धन भी किया| किसी भी रचनाकार के लिए पाठकों की प्रशंसा और स्नेह से बढ़ कर कोई प्रोत्साहन नहीं होता और आप सभी के इस सहयोग के लिए मैं आपका आभारी हूँ| निश्चय ही भविष्य में भी मैं हिंद-युग्म के माध्यम से अपनी अच्छी रचनाएँ आपके समक्ष प्रस्तुत करता रहूँगा|<br />सधन्यवाद,<br />आपका सहयोगाकांक्षी<br />आलोक सारस्वतआलोक सारस्वतhttp://kavita.hindyugm.com/2009/05/mardit-swapno-ka-saar-alok-saraswat.htmlnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-7844255642581166112009-05-03T17:04:00.000+05:302009-05-03T17:04:00.000+05:30बधाई स्वीकारेंबधाई स्वीकारेंतपन शर्मा Tapan Sharmahttps://www.blogger.com/profile/02380012895583703832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-67665727179300136062009-05-03T11:02:00.000+05:302009-05-03T11:02:00.000+05:30आलोक जी,
सर्वप्रथम तो एक सुसंस्कृत ,सुगठित रचना के...आलोक जी,<br />सर्वप्रथम तो एक सुसंस्कृत ,सुगठित रचना के लिए सैकड़ों बधाईयाँ। आपने स्वप्न और यथार्थ के बीच के द्वंद्व को बड़ी हीं सुंदरता से व्यक्त किया है। शब्दों के चुनाव को देखकर मुझे युग्म के हीं "आलोक शंकर" जी की याद आ गई है। युग्म का सौभाग्य है कि एक आलोक के बाद हमें एक दूसरा आलोक मिल गया है। प्रथम या द्वितीय आना बड़ी बात नहीं है, बड़ी बात है लोगों के दिल में स्थान करना। आपकी कविता भले हीं नौवें पायदान पर है,लेकिन टिप्पणियों ने साबित कर दिया है कि आपकी कविता कितनी प्रशंसनीय है। <br /><br />नौव पायदान पर आने का एक कारण मुझे जो समझ आता है, वह यह है कि अगर आप एक हीं प्रतियोगिता में गज़ल,छंद-बद्ध कविता, छंद-मुक्त कविता(जिसे कई कथित जानकार अकविता भी कहते हैं), हास्य-कविता और न जाने कौन-कौन-सी कविताओं को आमंत्रित करेंगे तो निर्णायकों की पसंद के अनुसार क्रम ऊपर-नीचे तो हो हीं सकता है। और वैसे भी यहाँ दो चरणों में (तो कभी तीन चरणों में) मूल्यांकन होता है, तो फ़र्क पड़ने की संभावना रहती है।<br /><br />लेकिन ऎसा नहीं है कि युग्म बस यूनिकवि को हीं सम्मान देता है, युग्म की नज़र में जो भी अच्छे कवि होते हैं, सभी सम्मान पाते हैं। उदाहरण के लिए: एक-दो दिन पहले हीं "अद्भुत" जी को युग्म का सम्मान दिया गया है(युग्म की सदस्यता दी गई है) ।<br /><br />-विश्व दीपकविश्व दीपकhttps://www.blogger.com/profile/10276082553907088514noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-513592629835368022009-05-03T07:32:00.000+05:302009-05-03T07:32:00.000+05:30शन्नो जी की छोटी सी टिपण्णी से और अहसान जी से सहम...शन्नो जी की छोटी सी टिपण्णी से और अहसान जी से सहमत हूँ,,,,<br />वाकई में इस कविता को दसवां पायदान ज्यादा पीछे है,,manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-68058280153511456022009-05-03T01:55:00.000+05:302009-05-03T01:55:00.000+05:30बहुत बहुत बधाई आलोक ...
पिछले करीब एक साल से बोल ...बहुत बहुत बधाई आलोक ...<br />पिछले करीब एक साल से बोल रहा था मैं तुमसे की अपनी कविता भेजो हिंद युग्म पे !! <br />मुझे ख़ुशी है तुमने बात मान ली मेरी ...<br />कविता के बारे मैं पहले भी बोल चुका हूँ , कि इस तरह की कवितओं से निश्चय ही ये मंच , हिंदी और पढने वाले सभी samridh होंगे ..<br />वैसे भी तुम प्रसून जोशी के कॉलेज के हो ... तो इतनी जिम्मेदारी तो तुम्हे उठानी ही चाहिए ...पता नहीं तुम्हारे यहाँ का कोई और alumnus ये प्रसून जोशी की विरासत को आगे बढा भी रहा है नहीं ...तुम बढा सकते हो !!<br /><br />सादर <br />दिव्य प्रकाश दुबेDivya Prakashhttps://www.blogger.com/profile/03694378793921509465noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-78994727422016044792009-05-02T21:35:00.000+05:302009-05-02T21:35:00.000+05:30इस कविता की जितनी प्रशंसा की जाए इस मंच पर कम है, ...इस कविता की जितनी प्रशंसा की जाए इस मंच पर कम है, विशेष कर कसे बंधे हिंदी के अप्रदूषित शब्दों के प्रयोग के कारण ... इस कविता का कहीं अधिक सम्मान किया जाना चाहिए था <br />- ahsanmohammad ahsannoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-27055777893329358612009-05-02T19:15:00.000+05:302009-05-02T19:15:00.000+05:30आलोक
ढेरों बधाइयाँ!!
इतनी गहरी बात शब्दों में पि...आलोक <br />ढेरों बधाइयाँ!! <br />इतनी गहरी बात शब्दों में पिरोना हर किसी के सामर्थ्य में नहीं.. प्रथम प्रयास के लिए शुभकामनाएं... आगे भी ऐसे रचनायें तुमसे अपेक्षित हैं..Geetikanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-90203074305334380122009-05-02T16:17:00.000+05:302009-05-02T16:17:00.000+05:30मैं इन सभी लोगों से सहमत हूँ. धन्यबाद.मैं इन सभी लोगों से सहमत हूँ. धन्यबाद.Shanno Aggarwalhttps://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-17842091102846034212009-05-02T16:10:00.000+05:302009-05-02T16:10:00.000+05:30आलोक,
सर्वप्रथम तो बधाईयाँ।
प्रस्तुत कविता में न...आलोक,<br /><br />सर्वप्रथम तो बधाईयाँ।<br /><br />प्रस्तुत कविता में निम्न पंक्तियाँ बहुअत अच्छी लगी :-<br /><br />या नियति का विधान नकारती हुई चेष्टाओं का उपक्रम ? बात <br /><br />आचार्य श्री संजीव सलिल साहब की बात बहुत भली लगी, कि " इसीलिये तो हर अभियंता,<br />कोशिश की जय-जय गाता है." शायद, मेरे अपने अभियंता होने से दिल और व्यवहार के करीब हैं।मुकेश कुमार तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/04868053728201470542noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-32710819307580241042009-05-02T15:53:00.000+05:302009-05-02T15:53:00.000+05:30स्वप्नों के यदि अर्थ न खोजे,
तो कैसे साकार करोगे?
...स्वप्नों के यदि अर्थ न खोजे,<br />तो कैसे साकार करोगे?<br />निराकार को अगर न जाना,<br />तो कैसे आकार गढोगे?<br />अभियंता तकनीक साथ ले,<br />कर प्रयास हर प्रश्न बूझता.<br />शिल्प-परिश्रम कभी न हारे, <br />उत्तर खुद ही सदा सूझता. <br />उम्र न आड़े आती किंचित,<br />अनुभव भी होता जाता है.<br />इसीलिये तो हर अभियंता,<br />कोशिश की जय-जय गाता है.Divya Narmadahttps://www.blogger.com/profile/13664031006179956497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-78387270362597230242009-05-02T15:12:00.000+05:302009-05-02T15:12:00.000+05:30इतनी कम उम्र और सपनों में अर्थ ढूँढने की सार्थक को...इतनी कम उम्र और सपनों में अर्थ ढूँढने की सार्थक कोशिश........<br />इसे प्रयास नहीं कहते,निष्ठा कहते हैं और निष्ठा को मूर्त रूप मिलता है,<br />बहुत ही अच्छी रचना,,,,,रश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-56916979462177253232009-05-02T14:57:00.000+05:302009-05-02T14:57:00.000+05:30हार्दिक बधाइयॉं।
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TSALIIM
SBAIहार्दिक बधाइयॉं।<br /><br />-----------<br /><A HREF="http://tasliim.blogspot.com/" REL="nofollow">TSALIIM</A> <br /><A HREF="http://sciblogindia.blogspot.com/" REL="nofollow">SBAI</A>adminhttps://www.blogger.com/profile/09054511264112719402noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-54340747043056437582009-05-02T13:01:00.000+05:302009-05-02T13:01:00.000+05:30SATYA KO PRADARSHIT AUR PARILAKSHIT KARTI YA KAVIT...SATYA KO PRADARSHIT AUR PARILAKSHIT KARTI YA KAVITA...<br /><br />ATHAAH BHAVO SE BAHARI HUI... BADHAAYEE<br /><br />ARSH"अर्श"https://www.blogger.com/profile/15590107613659588862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-6120834444839501232009-05-02T12:49:00.000+05:302009-05-02T12:49:00.000+05:30bahut sunder......practical thinkingbahut sunder......practical thinkingप्रियाhttps://www.blogger.com/profile/04663779807108466146noreply@blogger.com