tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post3355885503212732921..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: कैलेंडर बदलने से पहलेशैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-10522885286259142912011-01-05T16:00:39.430+05:302011-01-05T16:00:39.430+05:30सुन्दर शब्दों का संगम ..इस अभिव्यक्ति में ।सुन्दर शब्दों का संगम ..इस अभिव्यक्ति में ।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-61568420673318538472011-01-02T17:22:26.643+05:302011-01-02T17:22:26.643+05:30कुछ लोग दूसरों की टिप्पणी पर अपनी टिप्पणी देने से ...कुछ लोग दूसरों की टिप्पणी पर अपनी टिप्पणी देने से कभी नहीं चूकते, भले ही इस की कहीं कोई आवश्यकता ही न हो. ऐसे व्यक्ति से मैं सिर्फ एक ही बात पूछना चाहता हूँ कि क्या किसी जगह शादी के जश्न में लोग अपने पुरखों को याद करके दो मिनट का मौन रखते हैं? यदि हाँ, तो मैं अपनी टिप्पणी वापिस ले लूंगा.अश्विनी कुमार रॉय Ashwani Kumar Royhttps://www.blogger.com/profile/01550476515930953270noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-25074995495610047262011-01-02T14:20:58.365+05:302011-01-02T14:20:58.365+05:30समय को समेटने का अच्छा प्रयास। आपको भी सपरिवार नये...समय को समेटने का अच्छा प्रयास। आपको भी सपरिवार नये साल की हार्दिक शुभकामनायें।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-76052556930162695712011-01-02T09:41:42.673+05:302011-01-02T09:41:42.673+05:30कविता में सिर्फ so called स्यापा ही नही किया गया ...कविता में सिर्फ so called स्यापा ही नही किया गया इसमें चंद खुशनुमा पलों की कटिंग चुरा कर रख लेने की बात भी की गयी है कुछ कडवे सच जिन से हम आँखे चुरा लेना चाहते है उनको बयां किया है पर खैरियत के साथ.सपनो को जिन्दा रखने की बात की है...पर चीज़ को देखने का हर व्यक्ति का अपना नजरिया होता है...:)डिम्पल मल्होत्राhttps://www.blogger.com/profile/07224725278715403648noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-84868902003476052062011-01-02T00:16:54.632+05:302011-01-02T00:16:54.632+05:30“और हमें अफ़सोस है
उन सबके लिये
जिन्हे अपनी ख्वाहि...“और हमें अफ़सोस है<br />उन सबके लिये<br />जिन्हे अपनी ख्वाहिशों के खेमे उखाड़ने की मोहलत नही मिली<br />और यह साल जिन्हे भूखे अजगर की तरह निगल गया<br />और इससे पहले कि यह साल<br />इस सदी के जिस्म पर किसी पके फ़फ़ोले सा फूटे<br />आओ हम चुप रह कर कुछ देर<br />जमीन के उन बदकिस्मत बेटों के लिये मातम करें<br />जिनका वक्त ने खामोशी से शिकार कर लिया” ऐसा लगता है कि ये बेहद लंबी कविता कोई अफ़सोस प्रकट करती हुई रचना है. सारी दुनिया जहां नए साल के आगमन का स्वागत करती है, वहीँ इसमें मातम मनाने की बात कही गई है. जीवन और मृत्यु का क्रम तो चलता ही रहता है लेकिन प्रदर्शन केवल खुशी का होता है, अफ़सोस करने का नहीं. कवि का यह नजरिया सरासर गलत प्रतीत होता है क्योंकि अगर आप हँसतें हैं तो दुनिया आपका साथ देगी और अगर रोयें तो शायद कोई भी आपका साथ नहीं देगा. ऐसा लगता है कि हिंद-युग्म पर कविता प्रकाशित होने पर बिना-वजह तारीफ़ करने का चलन सा हो गया है. अगर हिंद-युग्म को नए साल के शुरू में स्यापा ही करना या करवाना है तो भला हम क्या कह सकते हैं? अब इस नेक काम में जो साथ देना चाहें, वो जरूर आगे आयें ! मुझे तो इस कविता में कुछ भी काबिले-तारीफ़ नहीं लगा.अश्विनी कुमार रॉय Ashwani Kumar Royhttps://www.blogger.com/profile/01550476515930953270noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-61848697482771396632011-01-01T19:52:33.550+05:302011-01-01T19:52:33.550+05:30अच्छा इयर एंडर तैयार किया है अपूर्व jiअच्छा इयर एंडर तैयार किया है अपूर्व jiअति Randomhttps://www.blogger.com/profile/04443001003779463643noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-78004193783352029082011-01-01T14:00:47.520+05:302011-01-01T14:00:47.520+05:30नये साल की गज़ब शुरुआत :)
सीधी सरल भाषा में एक संव...नये साल की गज़ब शुरुआत :)<br />सीधी सरल भाषा में एक संवेदनशील कविता..<br />कैलेंडर के पन्ने बदलना फिर भी आसान है पर इतना आसान नहीं किसी के विचारों या मनोवृतियों का बदलना...क्यों जो इंसान की फितरत कैलेंडर का कोई पृष्ठ नहीं..फिर भी उम्मीद रखते हुए २ मिनट का मौन तो रख ही लेते है..डिम्पल मल्होत्राhttps://www.blogger.com/profile/07224725278715403648noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-64873507132261790012011-01-01T08:05:56.771+05:302011-01-01T08:05:56.771+05:30सुदूर खूबसूरत लालिमा ने आकाशगंगा को ढक लिया है,
यह...सुदूर खूबसूरत लालिमा ने आकाशगंगा को ढक लिया है,<br />यह हमारी आकाशगंगा है, <br />सारे सितारे हैरत से पूछ रहे हैं,<br />कहां से आ रही है आखिर यह खूबसूरत रोशनी,<br />आकाशगंगा में हर कोई पूछ रहा है,<br />किसने बिखरी ये रोशनी, कौन है वह,<br />मेरे मित्रो, मैं जानता हूं उसे,<br />आकाशगंगा के मेरे मित्रो, मैं सूर्य हूं,<br />मेरी परिधि में आठ ग्रह लगा रहे हैं चक्कर,<br />उनमें से एक है पृथ्वी,<br />जिसमें रहते हैं छह अरब मनुष्य सैकड़ों देशों में,<br />इन्हीं में एक है महान सभ्यता,<br />भारत 2020 की ओर बढ़ते हुए,<br />मना रहा है एक महान राष्ट्र के उदय का उत्सव,<br />भारत से आकाशगंगा तक पहुंच रहा है रोशनी का उत्सव,<br />एक ऐसा राष्ट्र, जिसमें नहीं होगा प्रदूषण,<br />नहीं होगी गरीबी, होगा समृद्धि का विस्तार,<br />शांति होगी, नहीं होगा युद्ध का कोई भय,<br />यही वह जगह है, जहां बरसेंगी खुशियां...<br />-डॉ एपीजे अब्दुल कलाम<br /><br />नववर्ष आपको बहुत बहुत शुभ हो...<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-73976270595317180512011-01-01T02:14:11.913+05:302011-01-01T02:14:11.913+05:30अच्छी कविता है मगर बेवजह बहुत लम्बी हो गई। मुझे अप...अच्छी कविता है मगर बेवजह बहुत लम्बी हो गई। मुझे अपना एक हाइकु याद आ गया। <br /><br />ढूँढे ना मिली<br />खो गई है कविता<br />शब्दों की गली‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-34909776130086427982011-01-01T01:31:01.178+05:302011-01-01T01:31:01.178+05:30कितना कुछ समेटे है समय।कितना कुछ समेटे है समय।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com