tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post3351937663421487075..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: औरों के ग़म में रोकर एक बार देखियेशैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-50394370797753764522008-06-25T11:22:00.000+05:302008-06-25T11:22:00.000+05:30सियासत के अंधेरों में डूबी है कौम सारीसूरज को रोशन...सियासत के अंधेरों में डूबी है कौम सारी<BR/>सूरज को रोशनी का तलबग़ार देखिये ....<BR/><BR/>शायरी में इस से अच्छा सामाजिक सरोकार और क्या हो सकता है ????<BR/>ग़ज़ल की परिभाषा पर पूरी तरह खरी !!!!करण समस्तीपुरीhttps://www.blogger.com/profile/10531494789610910323noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-25610724475629800442008-06-21T18:50:00.000+05:302008-06-21T18:50:00.000+05:30भेड़ों पे करने शाषन आये हैं भेड़िये भीवोटों की पेटिय...भेड़ों पे करने शाषन आये हैं भेड़िये भी<BR/>वोटों की पेटियों का चमत्कार देखिये<BR/><BR/>हँस उठेगी ज़िंदगी यूँ खुद-ब-खुद ’अजय’<BR/>औरों के ग़म में रोकर एक बार देखिये<BR/>सच्च कहा आपने किसी के गम अनुभव करके तो देखो ,वास्तविक शान्ति का अनुभव होता है |सीमा सचदेवhttps://www.blogger.com/profile/04082447894548336370noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-20729232282222625472008-06-21T18:07:00.000+05:302008-06-21T18:07:00.000+05:30ajay ji bahut khub.hr sher umda hai .ajay ji <BR/><BR/>bahut khub.hr sher umda hai .Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-1150879844270764672008-06-21T15:29:00.000+05:302008-06-21T15:29:00.000+05:30आदम की ज़िन्दगी की रफ़्तार देखियेइन्सानियत पे हावी क...आदम की ज़िन्दगी की रफ़्तार देखिये<BR/>इन्सानियत पे हावी कारोबार देखिये<BR/><BR/>भेड़ों पे करने शाषन आये हैं भेड़िये भी<BR/>वोटों की पेटियों का चमत्कार देखिये<BR/><BR/>अजय जी आपकी दक्ष कलम से बेहतरीन गज़ल।<BR/><BR/><BR/>***राजीव रंजन प्रसादराजीव रंजन प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-14367873799804076982008-06-21T13:18:00.000+05:302008-06-21T13:18:00.000+05:30औरों के गम में... अच्छा लगा पढकर,ऐसे ही लिखते रहे...औरों के गम में... अच्छा लगा पढकर,ऐसे ही लिखते रहें।व्यंग्य-बाणhttps://www.blogger.com/profile/11989015986655772081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-62151522379238636552008-06-21T13:15:00.000+05:302008-06-21T13:15:00.000+05:30अच्छी रचना है,बधाईअच्छी रचना है,बधाईrajesh singh kshatrihttps://www.blogger.com/profile/05830899015565164627noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-36007662029660986342008-06-21T12:16:00.000+05:302008-06-21T12:16:00.000+05:30हँस उठेगी ज़िंदगी यूँ खुद-ब-खुद ’अजय’औरों के ग़म में...हँस उठेगी ज़िंदगी यूँ खुद-ब-खुद ’अजय’<BR/>औरों के ग़म में रोकर एक बार देखिये<BR/>gajal ke silp ke bare me to mujhe janakaree nahee bhav bahut hi sundar lage.डा.संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमीhttps://www.blogger.com/profile/01543979454501911329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-88645084646328734862008-06-21T08:56:00.000+05:302008-06-21T08:56:00.000+05:30वाह बहुत दिनों में आपकी ग़ज़ल मिली पढने को....बहुत ब...वाह बहुत दिनों में आपकी ग़ज़ल मिली पढने को....बहुत बढ़ियाSajeevhttps://www.blogger.com/profile/08906311153913173185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-86433562713976426982008-06-20T21:48:00.000+05:302008-06-20T21:48:00.000+05:30अजय जी पहली बार पढने पर आपकी ग़ज़ल दिल पर उतर गयी...अजय जी <BR/>पहली बार पढने पर आपकी ग़ज़ल दिल पर उतर गयी.. ग़ज़ल की परिभाषा पर सही बैठ ती हुई..<BR/>बस बहर समझने के लिए आप से सुन ना पड़ेगा..<BR/><BR/>इसके अलावा मै कुछ और बाते कहना चाहूँगा<BR/>१) विराम प्रयोग लुप्त है<BR/>२) अंतिम पंक्ति शीर्षक बन गयी .. अच्छा लग रहा है..<BR/>२) सियासत के अंधेरों में डूबी है कौम सारी<BR/>सूरज को रोशनी का तलबग़ार देखिये<BR/><BR/>भेड़ों पे करने शाषन आये हैं भेड़िये भी<BR/>वोटों की पेटियों का चमत्कार देखिये<BR/>इन शेरो का अर्थ समझने मै दिक्कत हुई.. मै कुछ कुछ समझा हू.. परन्तु शायद सही नहीं हू..<BR/><BR/>सुन्दर रचना के लिए बधाई<BR/><BR/>सादर<BR/>शैलेशShailesh Jamlokihttps://www.blogger.com/profile/17057836670556828623noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-68709462308678101442008-06-20T21:29:00.000+05:302008-06-20T21:29:00.000+05:30सामयिक ..... शुभकामना अजय जीसामयिक ..... शुभकामना अजय जीAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/09417713009963981665noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-5036732787783006372008-06-20T20:37:00.000+05:302008-06-20T20:37:00.000+05:30अजय जीबहुत ही बढिया गजल।काफिया 'आर' और रदीफ 'देखिय...अजय जी<BR/>बहुत ही बढिया गजल।<BR/>काफिया 'आर' और रदीफ 'देखिये' है बहर के बारे मे मुझे जानकारी नही है<BR/>आपके काफिया और रदीफ मे कोई कमी नही है।<BR/>अरे वाह आपने तो मकते मे अपना नाम भी डाला है।<BR/>सुमित भारद्वाजUnknownhttps://www.blogger.com/profile/15870115832539405073noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-44539349941759274372008-06-20T19:57:00.000+05:302008-06-20T19:57:00.000+05:30har sher sahi kissa bayan karta hai,bahut hi khubs...har sher sahi kissa bayan karta hai,bahut hi khubsurat gazal badhaimehekhttps://www.blogger.com/profile/16379463848117663000noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-9811307765831033022008-06-20T18:32:00.000+05:302008-06-20T18:32:00.000+05:30भेंड़ों पे करने शासन आये हैं भेंड़िये भीवोटों की प...भेंड़ों पे करने शासन आये हैं भेंड़िये भी<BR/>वोटों की पेटियों का चमत्कार देखिए<BR/>वाह! अच्छी गजल का अच्छा शेर।<BR/>----यह शेर पढ़कर --श्री हरिशंकर परसाई- की कहानी<BR/>-भेड़ें और भेड़िये- याद आ गई। कहानी के अंत में -परसाई जी-<BR/>लिखतें हैं कि-----------------------------<BR/>----और पंचायत में भेड़ियों ने भेड़ों की भलाई के लिए यह कानून बनाया---<BR/> हर भेड़िये को सवेरे नाश्ते़ के लिए भेंड़ का एक मुलायम बच्चा दिया जाये, दोपहर में एक पूरी भेंड़ तथा शाम को स्वास्थ्य के ख़याल से कम खाना चाहिए, इसलिए आधी भेंड़ दी जाये।<BR/>--देवेन्द्र पाण्डेय।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-88912721262305282562008-06-20T18:06:00.000+05:302008-06-20T18:06:00.000+05:30sundar rachana.badhai ho.sundar rachana.badhai ho.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-101996368411636722008-06-20T16:04:00.000+05:302008-06-20T16:04:00.000+05:30क्या गजल है आपकी हर-एक शेर देखियेनजरें गढा के देखि...क्या गजल है आपकी हर-एक शेर देखिये<BR/>नजरें गढा के देखिये, नज़रें न फेर देखिये<BR/><BR/>कब्रो को दिया जोडने क्या आयेगा कोई कभी<BR/>एक क्षण को यह भी सोचकर रिस्ते बगैर देखिये<BR/><BR/>क्या अँधेरो ने कभी भी कोई पथ उजला किया<BR/>करके जरा एक बार उस सूरज से बैर देखिये<BR/><BR/>कब तक मुखौटा ले चलेंगे भेडिये इस भेष में<BR/>दिन देर है अन्धेर नहीं होगी सवेर देखिये <BR/><BR/>हँस उठेगी जिन्दगी, लेकिन हँसाना है हमें..<BR/>हर होठ पर हर उम्र में हँसती कनेर देखिये <BR/><BR/>अजय जी पता नहीं उपर की पंक्तियां कैसी होंगी पर <BR/>आपकी गजल देखकर लिख तो दिया ही है<BR/>अब दो बार बधाई स्वीकार करो <BR/>एक तो आपकी सुन्दर गजल के लिये<BR/>दूसरी आपकी गजल पढने के बाद मेरी उंगलियाँ जो <BR/>चल पड़ी आपके पद-चिन्हों पर.. <BR/>भले ही गजल बनी हो ना बनी हो पर हिन्दी टंकण का आनन्द तो आया ही और साथ साथ टिप्पणी भी हो गयी...भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghavhttps://www.blogger.com/profile/05953840849591448912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-44584301878777268512008-06-20T13:00:00.000+05:302008-06-20T13:00:00.000+05:30वाह,वाह! अजय जी,आपने क्या खूब जिंदगी का फलसफा दिया...वाह,वाह! अजय जी,आपने क्या खूब जिंदगी का फलसफा दिया.मजा आ गया.<BR/> आलोक सिंह "साहिल"Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-53007278856447239392008-06-20T12:30:00.000+05:302008-06-20T12:30:00.000+05:30भेड़ों पे करने शासन आये हैं भेड़िये भीवोटों की पेटिय...भेड़ों पे करने शासन आये हैं भेड़िये भी<BR/>वोटों की पेटियों का चमत्कार देखिये<BR/><BR/>क्या बात है अजय जी !Hariharhttps://www.blogger.com/profile/07513974099414476605noreply@blogger.com