tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post312722323428179706..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: विदर्भ: कर्जे में कोंपलशैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-14897544168535809762010-01-25T19:32:29.878+05:302010-01-25T19:32:29.878+05:30aap sab ko itni prasansa ke liye dhanyabaad.
itni...aap sab ko itni prasansa ke liye dhanyabaad.<br /><br />itni prasansa pacha nahi pa raha hoon.Akhileshhttps://www.blogger.com/profile/09641299718027515895noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-35725666537528275072010-01-08T22:18:07.475+05:302010-01-08T22:18:07.475+05:30aap ki kavita mujhko rula gai kitni achchhi tarah ...aap ki kavita mujhko rula gai kitni achchhi tarah se aap ne likha hai <br />badhai<br />rachanarachananoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-91973125644286496742010-01-08T17:30:32.126+05:302010-01-08T17:30:32.126+05:30दो माह के दूधमुँहे छुटके को
दो सौ में बेच कर आयी ...दो माह के दूधमुँहे छुटके को <br />दो सौ में बेच कर आयी है डायन<br />आज मेरे चारो बच्चे भात और रोटी<br />दोनो खा रहे है <br />बेहद मार्मिक कविता और आज के किसानों की दुर्दशा को दर्शाति सफ़ल और विचारणीय अभिव्यक्ति..बहुत-बहुत बधाई अखिलेश जी!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-16292220671379641892010-01-07T18:31:57.767+05:302010-01-07T18:31:57.767+05:30अखिलेश भैया
प्रेमचंद जी के कथाओं और उपन्यासों ...अखिलेश भैया <br /> <br />प्रेमचंद जी के कथाओं और उपन्यासों के बाद किसानो की व्यथा पर कोई काव्य रचना मुझे पहली बार इतनी या यूँ कहें सबसे खूबसूरत लगी है |<br />आपकी इस लेखनी में छुपा दर्द ही इसकी खूबसूरती है |<br />बहुत ही ज्यादा मार्मिक और उतनी ही ज़मीनी और बेहद खुबसूरत | गाँव का रहने वाला हूँ सो मैं तो इस रचना को १०० में १०० अंक देता हूँ |<br /><br />बधाई स्वीकारेंआलोक उपाध्यायhttps://www.blogger.com/profile/13650810810396418631noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-2300478359669954872010-01-07T09:15:30.449+05:302010-01-07T09:15:30.449+05:30अखिलेश जी की कविताएं अक्सर जमीन के उन उपेक्षित कोन...अखिलेश जी की कविताएं अक्सर जमीन के उन उपेक्षित कोनों पर मशाल बनती हैं जहाँ तक उम्मीद के सूरज की किरणे भी अक्सर मुश्किल से ही पहुंच पाती हैं..यह कविता भी कर्जे मे डूबे किसान के दर्द को सबसे साझा करने का माध्यम बनती है..खासकर अंतिम पंक्तियाँ तो प्रेमचंद जी की कफ़न की याद दिला देती हैं.अपूर्वhttps://www.blogger.com/profile/11519174512849236570noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-78091358033077215532010-01-07T04:10:16.400+05:302010-01-07T04:10:16.400+05:30कर्जे से दबे किसानो और उनके परिवार की व्यथा की बह...कर्जे से दबे किसानो और उनके परिवार की व्यथा की बहुत ही मार्मिक प्रस्तुति ...!!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-9610397291973121312010-01-06T22:07:25.911+05:302010-01-06T22:07:25.911+05:30बेहद मार्मिक कविता..एक किसान के मन की व्यथा दर्शात...बेहद मार्मिक कविता..एक किसान के मन की व्यथा दर्शाती ...बहुत सुंदर कविता..अखिलेश जी बधाई!!विनोद कुमार पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/17755015886999311114noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-37967401144648238052010-01-06T20:24:44.287+05:302010-01-06T20:24:44.287+05:30"मेरी घरतियादो माह के दूधमुँहे छुटके को दो सौ..."मेरी घरतियादो माह के दूधमुँहे छुटके को दो सौ में बेच कर आयी है डायनआज मेरे चारो बच्चे भात और रोटीदोनो खा रहे है पांचवा मैं खा लूँ गर थोडा सा भात पांच लोगो को श्राद्ध खिलाने की पंडित जी की आज्ञा पूरी हो मिल जाये छुटके को जीते जी मोक्ष" - ऐसा भी होता है. किसानो और खेतिहरों के दर्दों को उजागर करती रचना. अखिलेश कुमार श्रीवास्तव जी, समसामयिक विषय और सुंदर रचना.Anonymousnoreply@blogger.com