tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post3009067504318480791..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: पहली बार मिले हो मुझसेशैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-61810897162349574012007-11-28T16:26:00.000+05:302007-11-28T16:26:00.000+05:30गीत लिखें तो शिल्प का ख़ास ध्यान रखें। बारम्बार अभ...गीत लिखें तो शिल्प का ख़ास ध्यान रखें। बारम्बार अभ्यास से यह सम्भव है।<BR/><BR/>जैसे-<BR/>चांद सरीखा उसका चेहरा<BR/>मेरी आंखे थी भर बैठी<BR/>नित नया सपना मुझे रुलाये<BR/>ऊपर से मुस्काऊं मैं<BR/><BR/>की तीसरी पंक्ति में 'मुझे' की कोई ज़रूरत नहीं है।शैलेश भारतवासीhttps://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-32221882196103890852007-11-26T17:16:00.000+05:302007-11-26T17:16:00.000+05:30हिस्से, टुकडों मे बँटा हुआ हूँ ख़ुद को जोड़ न paun...हिस्से, टुकडों मे बँटा हुआ हूँ ख़ुद को जोड़ न paun मैं <BR/><BR/>क्या खूब लिखी है सिर जी आपने.इतने बेहतरीन काव्य के लिए बधाईआलोक साहिलhttps://www.blogger.com/profile/07273857599206518431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-7473010365326587552007-11-23T08:04:00.000+05:302007-11-23T08:04:00.000+05:30दर्दों की हैं परतें दर परतेंऔर यादों के लगे हैं जा...दर्दों की हैं परतें दर परतें<BR/>और यादों के लगे हैं जाले<BR/>खुद भी जहां, नहीं जाता मैं<BR/>तुम्हें कैसे ले जाऊं मैं<BR/><BR/>उम्मीदों से मुझे है दहशत<BR/>और रिश्तों से डर लगता है<BR/>हिस्से, टुकडों में बंटा हुआ हूं<BR/>खुद को जोड न पाऊं मैं<BR/><BR/>अच्छी रचना है मोहिन्दर जी। पहली नज़र के प्यार को चरितार्थ कर रहे हैं आप। पहली बार मिलने पर हीं आपने इतने सारे ख्वाब गढ डालें,और क्या चाहिए!<BR/><BR/>बधाई स्वीकारें।विश्व दीपकhttps://www.blogger.com/profile/10276082553907088514noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-5023823434805097362007-11-21T19:44:00.001+05:302007-11-21T19:44:00.001+05:30पहली बार मिले हो मुझसेतुमको क्या बतलाऊं मैंभीतर से...पहली बार मिले हो मुझसे<BR/>तुमको क्या बतलाऊं मैं<BR/>भीतर से हैं बंद दरवाजे<BR/>जिन्हें खोल न पाऊं मैं<BR/>उम्मीदों से मुझे है दहशत<BR/>और रिश्तों से डर लगता है<BR/>हिस्से, टुकडों में बंटा हुआ हूं<BR/>खुद को जोड न पाऊं मैं<BR/>बढिया है <BR/>बहुत अच्छा<BR/> बधाई।<BR/>सुनीताDr. sunita yadavhttps://www.blogger.com/profile/00087805599431710687noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-57135158921456342322007-11-21T19:44:00.000+05:302007-11-21T19:44:00.000+05:30उतना मज़ा नहीं आया मोहिन्दर जी।अगली बार सही...उतना मज़ा नहीं आया मोहिन्दर जी।<BR/>अगली बार सही...गौरव सोलंकीhttps://www.blogger.com/profile/12475237221265153293noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-13997087003574767232007-11-21T19:06:00.000+05:302007-11-21T19:06:00.000+05:30ना खत हैं, ना तस्वीरेंना सूखे फ़ूल किताबों मेंसाथ ह...ना खत हैं, ना तस्वीरें<BR/>ना सूखे फ़ूल किताबों में<BR/>साथ है मेरे ईक बीता कल<BR/>जिसे भूल न पाऊं मैं<BR/><BR/>वाह-वाह! बहुत अच्छा!RAVI KANThttps://www.blogger.com/profile/07664160978044742865noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-87161851693165954552007-11-21T16:15:00.000+05:302007-11-21T16:15:00.000+05:30मोहिन्दर जीगीत बहुत प्यारा बना है । इसे स्वर बद्ध ...मोहिन्दर जी<BR/>गीत बहुत प्यारा बना है । इसे स्वर बद्ध कर लीजिए । <BR/>उम्मीदों से मुझे है दहशत<BR/>और रिश्तों से डर लगता है<BR/>हिस्से, टुकडों में बंटा हुआ हूं<BR/>खुद को जोड न पाऊं मैं<BR/>बहुत बढ़िया । बधाई स्वीकारें ।शोभाhttps://www.blogger.com/profile/01880609153671810492noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-61336435078925980962007-11-21T08:39:00.000+05:302007-11-21T08:39:00.000+05:30मोहिंदर जी कमाल कर दिया आपने पहली बार मिले हो मुझस...मोहिंदर जी कमाल कर दिया आपने <BR/>पहली बार मिले हो मुझसे<BR/>तुमको क्या बतलाऊं मैं<BR/>भीतर से हैं बंद दरवाजे<BR/>जिन्हें खोल न पाऊं मैं<BR/> सच है पहली बार में कैसे खोल दे दर्द गहरे दिल के <BR/>दर्दों की हैं परतें दर परतें<BR/>और यादों के लगे हैं जाले<BR/>खुद भी जहां, नहीं जाता मैं<BR/>तुम्हें कैसे ले जाऊं मैं<BR/> हम सब यही तो करते हैं रोज<BR/>नित नया सपना मुझे रुलाये<BR/>ऊपर से मुस्काऊं मैं<BR/> बहुत सुंदर<BR/>ना खत हैं, ना तस्वीरें<BR/>ना सूखे फ़ूल किताबों में<BR/> और अन्तिम पक्तियों में किसी नए रिश्ते से लगने वाले डर को कितने अच्छे शब्दों में बंधा है आपने -<BR/>उम्मीदों से मुझे है दहशत<BR/>और रिश्तों से डर लगता है<BR/>हिस्से, टुकडों में बंटा हुआ हूं<BR/>खुद को जोड न पाऊं मैं<BR/> बहुत बहुत बधाईSajeevhttps://www.blogger.com/profile/08906311153913173185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-27453110199644260252007-11-20T19:15:00.000+05:302007-11-20T19:15:00.000+05:30उम्मीदों से मुझे है दहशतऔर रिश्तों से डर लगता हैहि...उम्मीदों से मुझे है दहशत<BR/>और रिश्तों से डर लगता है<BR/>हिस्से, टुकडों में बंटा हुआ हूं<BR/>खुद को जोड न पाऊं मैं<BR/><BR/>पहली बार मिले हो मुझसे<BR/><BR/>पहली बार मिले हो मुझसे<BR/>तुमको क्या बतलाऊं मैं<BR/>भीतर से हैं बंद दरवाजे<BR/>जिन्हें खोल न पाऊं मैं.<BR/><BR/>मोहिन्दर जी !<BR/><BR/>एक प्यारा लयात्मक गीत बधाई बन्धुAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/09417713009963981665noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-59470936381629529222007-11-20T17:44:00.000+05:302007-11-20T17:44:00.000+05:30bahut pyara geet likha hai aapneदर्दों की हैं परते...bahut pyara geet likha hai aapne<BR/><BR/>दर्दों की हैं परतें दर परतें<BR/>और यादों के लगे हैं जाले<BR/>खुद भी जहां, नहीं जाता मैं<BR/>तुम्हें कैसे ले जाऊं मैं<BR/><BR/>ना खत हैं, ना तस्वीरें<BR/>ना सूखे फ़ूल किताबों में<BR/>साथ है मेरे ईक बीता कल<BR/>जिसे भूल न पाऊं मैं<BR/><BR/>ultimate lines hain....kahete hain na der aaye durust aaye....so hum durust aa gaye...Anupamahttps://www.blogger.com/profile/12917377161456641316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-27629531220984135222007-11-20T15:27:00.000+05:302007-11-20T15:27:00.000+05:30पहली बार मिले हो मुझसेतुमको क्या बतलाऊं मैंभीतर से...पहली बार मिले हो मुझसे<BR/>तुमको क्या बतलाऊं मैं<BR/>भीतर से हैं बंद दरवाजे<BR/>जिन्हें खोल न पाऊं मैं<BR/><BR/>सही कहा बन्द दरवाजे खोल पाना<BR/>ही बड़ी बात हैHarihar Jhahttps://www.blogger.com/profile/03094272277900318316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-91797106342057062472007-11-20T14:34:00.000+05:302007-11-20T14:34:00.000+05:30तुसी ग्रेट ओ जी,कमाल कित्ता सी, इक इक शब्द मोती जी...तुसी ग्रेट ओ जी,<BR/>कमाल कित्ता सी, <BR/><BR/>इक इक शब्द मोती जी मोती..भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghavhttps://www.blogger.com/profile/05953840849591448912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-36460240789340554392007-11-20T13:16:00.000+05:302007-11-20T13:16:00.000+05:30बढिया है मोहिन्दर भाई!बढिया है मोहिन्दर भाई!Avanish Gautamhttps://www.blogger.com/profile/03737794502488533991noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-51040090520747412552007-11-20T13:04:00.000+05:302007-11-20T13:04:00.000+05:30वाह वाहदर्दों की हैं परतें दर परतेंऔर यादों के लगे...वाह वाह<BR/>दर्दों की हैं परतें दर परतें<BR/>और यादों के लगे हैं जाले<BR/>खुद भी जहां, नहीं जाता मैं<BR/>तुम्हें कैसे ले जाऊं मैं<BR/><BR/><BR/><BR/>बहुत सुंदर बनी है.<BR/>बधाई<BR/><BR/>अवनीश तिवारीअवनीश एस तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/04257283439345933517noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-59385781246847743922007-11-20T11:04:00.000+05:302007-11-20T11:04:00.000+05:30पहली बार मिले हो मुझसेतुमको क्या बतलाऊं मैंभीतर से...पहली बार मिले हो मुझसे<BR/>तुमको क्या बतलाऊं मैं<BR/>भीतर से हैं बंद दरवाजे<BR/>जिन्हें खोल न पाऊं मैं<BR/><BR/>उम्मीदों से मुझे है दहशत<BR/>और रिश्तों से डर लगता है<BR/>हिस्से, टुकडों में बंटा हुआ हूं<BR/>खुद को जोड न पाऊं मैं<BR/><BR/>पहली बार मिले और वह भी इतने गहरे..बहुत अच्छी रचना मोहिन्दर जी। बधाई।<BR/><BR/>*** राजीव रंजन प्रसादराजीव रंजन प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-55464479643031523692007-11-20T10:51:00.000+05:302007-11-20T10:51:00.000+05:30उम्मीदों से मुझे है दहशतऔर रिश्तों से डर लगता हैहि...उम्मीदों से मुझे है दहशत<BR/>और रिश्तों से डर लगता है<BR/>हिस्से, टुकडों में बंटा हुआ हूं<BR/>खुद को जोड न पाऊं मैं<BR/><BR/>बहुत ही प्यारा गीत मोहिंदर जी ....!रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.com