tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post2738657109232681437..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: कवयित्री अनुराधा का ज़ालिम पाठक (जुलाई माह की प्रतियोगिता के परिणाम)शैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger32125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-65255886555848191282007-12-04T19:32:00.000+05:302007-12-04T19:32:00.000+05:30अनुराधा जी उनिकवित्री बनने पर बधाई देने के लिए बहु...अनुराधा जी उनिकवित्री बनने पर बधाई देने के लिए बहुत विलम्ब हो चुका है,फ़िर भी इसके लिए बधाई.<BR/> वैसे तो आपने मौन के इतने छुए अनछुए पहलुओं को टटोला है की ऐसा प्रतीत होता है मनो अपने मौन पर बाकायदा शोध करी है जिसके लिए की आप बधाई की पत्र हैं<BR/> अच्छी रचना के लिए बधाई.<BR/> अलोक सिंह "साहिल"आलोक साहिलhttps://www.blogger.com/profile/07273857599206518431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-87197404191436897462007-08-20T18:48:00.000+05:302007-08-20T18:48:00.000+05:30काव्य की महत्ता प्रतिपादन में संलग्न हिन्दी-युग्म ...काव्य की महत्ता प्रतिपादन में संलग्न हिन्दी-युग्म के संचालकों को नमन् है। लगता है वैदिक पौराणिक युग लौटनेवाला है, जब गणित, ज्योतिष, आयुर्वेद, अर्थशास्त्र, प्रौद्योगिकी आदि के गूढ़ सूत्र भी पद्यों/श्लोकों में ही होते थे। आशा है कि विज्ञान एवं तकनीकी विषय भी अब छन्दबद्ध, तालबद्ध, लयबद्ध कविताओं में लिखे जाएँगे, ताकि बच्चे भी आसानी से याद कर सकें और जीवन में कभी भूल न पाएँ।हरिरामhttps://www.blogger.com/profile/12475263434352801173noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-39601197758269409322007-08-20T18:46:00.000+05:302007-08-20T18:46:00.000+05:30This comment has been removed by the author.हरिरामhttps://www.blogger.com/profile/12475263434352801173noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-15036451299645402162007-08-09T21:05:00.000+05:302007-08-09T21:05:00.000+05:30all poetry is really incredible .some poets used t...all poetry is really incredible .some poets used there imagination and deep sentiments . really i enjoyed the great effortsAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-20591670903164459262007-08-09T14:52:00.000+05:302007-08-09T14:52:00.000+05:30सभी विजेताओं को बधाई।-रचना सागरसभी विजेताओं को बधाई।<BR/><BR/>-रचना सागरअभिषेक सागरhttps://www.blogger.com/profile/02262214864547622776noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-81554494469428870442007-08-08T19:41:00.000+05:302007-08-08T19:41:00.000+05:30मौन, तुम इतने मुखर क्यों हो? : http://hindyugm.myp...मौन, तुम इतने मुखर क्यों हो? : <A HREF="http://hindyugm.mypodcast.com/2007/08/post-33469.html" REL="nofollow">http://hindyugm.mypodcast.com/2007/08/post-33469.html</A>Vikashhttps://www.blogger.com/profile/01373877834398732074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-24393544771704808612007-08-08T18:20:00.000+05:302007-08-08T18:20:00.000+05:30सभी प्रतिभागियों एवं इस माह के विजेताओं को मेरी और...सभी प्रतिभागियों एवं इस माह के विजेताओं को मेरी और से हार्दिक शुभकामनायें।Mohinder56https://www.blogger.com/profile/02273041828671240448noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-74801921661979057922007-08-08T13:45:00.000+05:302007-08-08T13:45:00.000+05:30अनुराधा जी,आपको इस माह की प्रतियोगिता की विजेता बन...अनुराधा जी,<BR/>आपको इस माह की प्रतियोगिता की विजेता बनने पर हार्दिक बधाई <BR/>"मौन" वास्तव में सम्पूर्ण रचना है और विजेता कविता के सर्वथा योग्य<BR/>पुनः बधाई<BR/><BR/>हमारे इस माह के यूनिपाठक जालिम जी को भी हार्दिक बधाई<BR/>पाठक किसी कवि के लिये सबसे महत्वपूर्ण होता है, और आप तो अच्चे समीक्षक भी हैं<BR/><BR/>विपिन जी,<BR/>आपकी कविता बहुत अच्छी लगी, आपमें बहुत संभावनायें हैं<BR/>आपको भी बधाई, प्रयास जारी रखें<BR/><BR/>"बोलो बंधु किस ठाँव" स्तरीय रचना है, श्रीकान्त जी को बधाई<BR/>"परछाइयों की भीड में" बहुत ही सुन्दर है<BR/><BR/>पुनः सभी विजेताओं को हार्दिक बधाई<BR/><BR/>सस्नेह<BR/>गौरव शुक्लGaurav Shuklahttps://www.blogger.com/profile/12422162471969001645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-50885919176409790842007-08-08T09:52:00.000+05:302007-08-08T09:52:00.000+05:30सभी प्रतिभागियों एवं इस माह के विजेताओं को हार्दिक...सभी प्रतिभागियों एवं इस माह के विजेताओं को हार्दिक शुभकामनायें।<BR/><BR/>*** राजीव रंजन प्रसादराजीव रंजन प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-29725219593729485532007-08-07T18:23:00.000+05:302007-08-07T18:23:00.000+05:30सभी रचनायें मन को प्रसन्न कर देने वाली हैं।बहुत बह...सभी रचनायें मन को प्रसन्न कर देने वाली हैं।<BR/>बहुत बहुत आभारAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-50366082141576903602007-08-07T14:55:00.000+05:302007-08-07T14:55:00.000+05:30विपिन जी कविता बहुत ही सुन्दर है । कोमल भावों की अ...विपिन जी कविता बहुत ही सुन्दर है । कोमल भावों की अभिव्यक्ति दी है ।<BR/>किसी एक पंक्ति को उदधृत करने की धृष्टता नहीं कर सकती ।<BR/><BR/>ग्रहण भय से सूर्य छिपता<BR/>हाय यह कैसी बिडम्बन<BR/>बन्द होठों में छिपा है<BR/>शोषितों का करूण क्रन्दन<BR/>अन्याय शोषण कूट का ये गरल रस है<BR/>कवि लगा जीवन दाँव<BR/>बोलो बन्धु अब किस ठांव<BR/>श्रीकांत जी कटु सत्य लिखा है । पंक्तियाँ सटीक है ।<BR/><BR/>नियति धरा है,<BR/>परिणति धरा है<BR/>कुछ तो ऐसा नहीं है<BR/>जो उन्हें अपनी ओर मोहित करे<BR/>उनकी ऊँचाइयां मिथ्याभास हैं<BR/>अस्तित्व उनका है तब तक<BR/>जब तक नभ में सूर्य का प्रकाश है<BR/>अंततः उन्हें तम में<BR/>विलीन हो जाना है<BR/>निरुद्देश्य लगता जीवन उन्हें<BR/>इस जगत से उन्हें कुछ नहीं पाना है<BR/>शैलेन्द्र जी आपकी कविता ने प्रभावित किया ।anuradha srivastavhttps://www.blogger.com/profile/15152294502770313523noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-47395870325897134502007-08-07T13:54:00.000+05:302007-08-07T13:54:00.000+05:30अनुराधा जी,हिन्द-युग्म की दुनिया में आपका हार्दिक ...अनुराधा जी,<BR/><BR/>हिन्द-युग्म की दुनिया में आपका हार्दिक स्वागत है। हम बहुत खुशनसीब है कि हमें आपकी तरह का शब्द-शिल्पकार मिला। निश्चित रूप से आने वाले दिनों में हिन्द-युग्म की सक्रियता और स्तर दोनों बढ़ने वाले हैं। मौन का मानवीकरण वो भी इतनी विविधता के साथ करके आपने हमें अगली कविता का इंतज़ार दे दिया है।<BR/><BR/>हमेशा ही हमारे ज़ज़ों को सर्वश्रेष्ठ कविता चुनने में दुविधा होती है। बाकी की तीनों कविताएँ कमतर नहीं है। विपिन जी कविताओं का स्तर हम पिछली प्रतियोगिता और इस बार के काव्य-पल्लवन में देख चुके हैं। श्रीकांत मिश्र 'कांत' के लिए जितना कहा जाय, उतना कम होगा। शैलेन्द्र जी की प्यास शीर्षक से कविता भी मैंने काव्य-पल्लवन में पढ़ी थी, लाजवाब थी।<BR/><BR/>पाठकों में बढ़ रहा घमासान हमारे लिए गौरव की बात है। ज़ालिम ने जिस तरह हमें सराहा, पुस्तक-वितरण में हमारा सहयोग दिया, हम उनके हृदय से आभारी हैं। <BR/><BR/><B>शोभा जी,</B><BR/><BR/>यहाँ जो आपके मन में आता है वो लिख देती हैं उसका मतलब साकारात्मक ही है। प्रेषक कहना चाह रहा है कि आप कुछ बनावटी नहीं लिखतीं, बल्कि जैसा आपको लगता है, वैसा लिख देती हैं। आपकी उपस्थिति हिन्द-युग्म का हर्षोल्लास है।<BR/><BR/>तपन जी और पीयूष जी की बधाइयाँ। <BR/><BR/>सभी प्रतिभागियों से चाहे वो कवि हों या पाठक, हम यही कहेंगे कि कृपया फ़िर से भाग लें, और इंटरनेट की दुनिया में हिन्दी का वर्चस्व बनावें।<BR/><BR/>धन्यवाद।शैलेश भारतवासीhttps://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-87255597368998643012007-08-07T13:12:00.000+05:302007-08-07T13:12:00.000+05:30सभी .....बहुत सुंदर लगी ...सभी विजेताओं एवं प्रतिभ...सभी .....<BR/>बहुत सुंदर लगी ...<BR/><BR/><BR/>सभी विजेताओं <BR/>एवं प्रतिभागियों को <BR/>हार्दिक <BR/>बधाईगीता पंडितhttps://www.blogger.com/profile/17911453195392486063noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-44354626114321371182007-08-07T12:47:00.000+05:302007-08-07T12:47:00.000+05:30विजेताओं को हार्दिक बधाई एवं अन्य प्रतिभागियों को ...विजेताओं को हार्दिक बधाई एवं अन्य प्रतिभागियों को अगली बार के लिये शुभकामनायें!SahityaShilpihttps://www.blogger.com/profile/12784365227441414723noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-22006498474732037722007-08-06T23:50:00.000+05:302007-08-06T23:50:00.000+05:30सर्वप्रथम अनुराधाजी एवं सुनीलजी को हार्दिक शुभकामन...सर्वप्रथम अनुराधाजी एवं सुनीलजी को हार्दिक शुभकामनाएँ।स्तरीय रचनाओं को पढ़्कर मन आह्लादित हो गया।अनुराधाजी ने मन के विभिन्न पहलुओं को जिस बारीकि से छुआ है वह प्रसन्श्नीय है।<BR/><BR/>मौन, तुम इतने ढोंगी क्यों हो<BR/>कभी आ जाते हो बहाने से पड़ोसन की तरह<BR/>करने इधर-उधर की<BR/>कर जाते हो कटाक्ष<BR/>फिर बन जाते हो आदर्शवादी<BR/><BR/>ये पंक्तियाँ काफ़ी अच्छी लगीं।<BR/>कविता के प्रारंभ में "मौन, तुम इतने मुखर क्यों हो?" और अंत में "मौन, तुम इतने वाचाल क्यों हो"पुनरूक्ति जैसा लगता है।<BR/>विपिनजी ने शृंगार के संयोग पक्ष का सुंदर वर्णन किया है। कितना सही कहा है कवि ने-<BR/><BR/>हार-जीत की बातें करने से अब कोई लाभ नहीं<BR/>कभी-कभी छुप ही जाती है<BR/>जीवन भर की जीत हार में<BR/>गुजरी सारी रात प्यार में<BR/>गुजरी सारी रात प्यार में<BR/><BR/>श्रीकांत मिश्र जी की कविता ‘बोलो बंधु अब किस ठाँव‘समाज को आईना दिखाती हुई प्रतीत होती है। शैलेन्द्रजी की पंक्तियाँ-मैं परछाइयों की भीड़ से घिरा<BR/>आदर्श के प्रतिमानों की<BR/>व्याख्या करता हूँ<BR/>इस आस में<BR/>जग आलोकित हो उठेगा<BR/>तारा बन चुकी किसी<BR/>परछाई के प्रकाश में विचारोत्तेजक हैं।RAVI KANThttps://www.blogger.com/profile/07664160978044742865noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-32179579083019777812007-08-06T22:52:00.000+05:302007-08-06T22:52:00.000+05:30विजेता मेरी बधाईयाँ स्वीकारें। मौन बहोत पसंद आई।विजेता मेरी बधाईयाँ स्वीकारें। मौन बहोत पसंद आई।Tushar Joshihttps://www.blogger.com/profile/03931011991029693685noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-7448834681902961182007-08-06T20:52:00.000+05:302007-08-06T20:52:00.000+05:30अनुराधा जी को बहुत बहुत बधाई ! आपकी कविता सचमुच दि...अनुराधा जी को बहुत बहुत बधाई ! आपकी कविता सचमुच दिल को छू गयी ....<BR/>मौन, तुम इतने ढोंगी क्यों हो<BR/>कभी आ जाते हो बहाने से पड़ोसन की तरह<BR/>करने इधर-उधर की<BR/>कर जाते हो कटाक्ष<BR/>फिर बन जाते हो आदर्शवादी<BR/>मौन, तुम इतने कुटिल क्यों हो<BR/>पा अकेली घेर लेते हो झंझावत की तरह<BR/>दागते हो पश्न दर पश्न<BR/>और चक्रव्यूह में उलझा जाते हो<BR/>मौन, तुम इतने प्रखर क्यों हो<BR/>मौन, तुम इतने वाचाल क्यों हो<BR/><BR/>इतनी मर्म स्पर्शी कविता कॅया आस्वादन करने के लिए शुक्रिया,.........<BR/>वैसे विपिन जी की कविता भी कुछ कम नही थी विशेषकर यह पंक्तियाँ पसंद आई....<BR/>और चन्द्रमा अभी तलक<BR/>था सोया मेरे आलिंगन में<BR/>ऐसे क्षण तो कभी-कभी<BR/>ही आते हैं इस जीवन में<BR/>प्रेम साथ हो और कटे<BR/>रैना सारी खुले नयन में<BR/>हार-जीत की बातें करने से अब कोई लाभ नहीं<BR/>कभी-कभी छुप ही जाती है<BR/>जीवन भर की जीत हार में<BR/>गुजरी सारी रात प्यार में....<BR/>गुजरी सारी रात प्यार में....<BR/><BR/>श्रीकांत जी और शैलेंद्र जी की रचना भी प्रभावित करतीं है |<BR/>सभी विजेताओं को बहुत बहुत बधाई........<BR/>ज़ालिम जी के बारे मैं क्या कहूँ ...उनकी टिप्पणियाँ ही उनकी साहित्यिक समझ को पारिलक्षित करती हैं|<BR/>पाठक कवि के लिए उतने ही महत्वपूर्ण होते हैं जीतने भक्त के लिए भगवान...और इस मामले मैं पीयूष जी ने भी हमारा बहुत साथ दिया है<BR/>सुनील जी ,पीयूष जी, शोभा जी तपन जी को भी बहुत बहुत धन्यवाद..विपुलhttps://www.blogger.com/profile/15032635217536871012noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-58390769652635024592007-08-06T20:33:00.000+05:302007-08-06T20:33:00.000+05:30सर्वप्रथम सारे प्रतिभागियों को शुभकामनाएँ । अनुराध...सर्वप्रथम सारे प्रतिभागियों को शुभकामनाएँ । अनुराधा जी और सुनील जी तो बधाई के पात्र हैं हीं लेकिन हम बाकी लोगों को भी नहीं भूल सकते हैं। उन सारे लोगों के सहयोग के कारण हीं हिन्द-युग्म अपने लक्ष्य की ओर बढने में सफल हो रहा है। <BR/>हिन्द-युग्म के लिए सबसे सुखद बात यह है कि इस बार यूनिकवयित्री ने शीर्षपद प्राप्त किया है। इसके लिए मैं अनुराधा जी के हौसले को धन्यवाद देता हूँ। सुनील जी आप भी हिन्द-युग्म पर इसी तरह अपना स्नेह बनाए रखें। <BR/>एक बार फिर से सारे लोगों को बधाई।विश्व दीपकhttps://www.blogger.com/profile/10276082553907088514noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-37390717722108325572007-08-06T19:05:00.001+05:302007-08-06T19:05:00.001+05:30शैलेश जी ,मेरे मन में जो आता है टिप्पणी कर देती हू...शैलेश जी ,<BR/>मेरे मन में जो आता है टिप्पणी कर देती हूँ का आपने क्या अर्थ<BR/>लिया मुझे समझ में नहीं आया । और यदि आप जो कह रहे हैं वही अर्थ आप<BR/>समझे हैं तो आपको पुरूस्कार देने के बारे में पुनः विचार करना चाहिए । <BR/>जो मन में आता है से मेरा तात्पर्य था जो मुझे सही लगता है तथा जो उस समय<BR/>मेरी प्रतिक्रिया होती है ।शोभाhttps://www.blogger.com/profile/01880609153671810492noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-84814431227655770602007-08-06T18:34:00.000+05:302007-08-06T18:34:00.000+05:30अनुराधा जी को पहली महिला युनिकवि बनने पर हार्दिक ब...अनुराधा जी को पहली महिला युनिकवि बनने पर हार्दिक बधाई....क्या बात है हिंद युग्म भी देश की राह पर चल रहा है.... मौन पहले भी लिखा गया है.....मुझे भी ऐसे विषय पसंद हैं...मगर फिर भी आप कि कविता में नयापन तो है ही.....बहरहाल, विपिन की कविता भी कहीँ से कमतर नही थी...अनुराधाजी ने मौन के आयाम दर्शाए तो विपिन ने प्रेम के सबसे एकांत क्षणों का खूबसूरत खींचा...............ये देखिए..........<BR/>मदमाती निश्चल काया ने <BR/>जब अपना सिर रखा हृदय पर<BR/>अधिक गर्व हो आया मुझको <BR/>उस व्याकुलता पूर्ण समय पर<BR/>कौन जीव जीवित रख पाता<BR/>खुद को ऐसे प्रेम प्रणय में <BR/>लौकिक सुख था, छलक उठा<BR/>तभी अचानक अश्रुधार में<BR/>गुजरी सारी रात प्यार में....<BR/><BR/>वाह...........<BR/><BR/>सबसे ज़्यादा बधाई सुनील डोगरा जीं को.....लगातार हिंद युग्म को अपनी सेवाएँ देना बड़ा काम है.....हम सब उनके शुक्रगुजार हैं....आप तो कब से हमारे युनी पाठक हैं, ये पुरस्कार तो महज एक बहाना है..... <BR/><BR/>डाक्टर शैलेंद्र जीं कि कविता भी बेहद अच्छी है...परछाई जैसे विषय पर इतना सूक्ष्म लिख पाना आसान नही होता...कवि पहले कुछ स्थितियाँ खुद जीता है, फिर कविता जाती हैं.............शैलेंद्र कि कविता जीं हुई लगती है...आपका स्थान चौथे से कहीँ आगे भी है.....प्रयत्न जारी रखें..........<BR/><BR/>निखिलNikhilhttps://www.blogger.com/profile/16903955620342983507noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-39675894526953963342007-08-06T18:01:00.000+05:302007-08-06T18:01:00.000+05:30वाह! सचमुच हिन्दी कविताओं का स्तर उच्च से उच्चतर ह...वाह! सचमुच हिन्दी कविताओं का स्तर उच्च से उच्चतर होता जा रहा है। इसके लिये हिन्द-युग्म के संकल्पनाकार और उसके कर्ता-धर्ता बधाई के पात्र हैं।<BR/><BR/>सभी विजाताओं को बधाई तथा प्रतिभागियों को सफलता के लिये शुभकामनायें!अनुनाद सिंहhttps://www.blogger.com/profile/05634421007709892634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-42449720874807781132007-08-06T17:24:00.000+05:302007-08-06T17:24:00.000+05:30अनुराधा जी और ज़ालिम जी को मेरी तरफ से बहुत बधाई।अन...अनुराधा जी और ज़ालिम जी को मेरी तरफ से बहुत बधाई।<BR/>अनुराधा जी, आप सचमुच प्रथम पुरस्कार की हक़दार हैं। बहुत अनूठी और सम्पूर्ण कविता है आपकी। आपके आने से हिन्द-युग्म का काव्य बहुत समृद्ध होने की आशा है।<BR/>शेष प्रतिभागियों को भी बधाई तथा मैं आशा करता हूँ कि सब इस माह की प्रतियोगिता में भाग लेकर प्रतियोगिता को और स्तरीय तथा मुश्किल बनाएँगे।गौरव सोलंकीhttps://www.blogger.com/profile/12475237221265153293noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-14033905634613265862007-08-06T16:28:00.000+05:302007-08-06T16:28:00.000+05:30sabhi vijetaon aur pratibhagiyon ko badhaaisabhi vijetaon aur pratibhagiyon ko badhaaiAlok Shankarhttps://www.blogger.com/profile/03808522427807918062noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-24898112032189435082007-08-06T16:05:00.000+05:302007-08-06T16:05:00.000+05:30हिन्द युग्म प्रतियोगिता के सभी विजेताओं को मेरी हा...हिन्द युग्म प्रतियोगिता के सभी विजेताओं को मेरी हार्दिक बधाई । <BR/>अनुराधा जी की मौन कविता बहुत कुछ कहती है । इसमें अनेक <BR/>प्रश्न उठाए गए हैं पर उत्तर कैसे मिलेंगें ? मौन रहने वाला इन प्रश्नों <BR/>का उत्तर दे देगा तो मौन कैसे कहलाएगा ? खैर अच्छा प्रयोग है ।<BR/>विपिन चौहान जी की कविता गुज़री सारी रात प्यार में मुझे सबसे<BR/>अधिक पसन्द आई । प्रणय की इतनी सुन्दर तसवीर उतारने के लिए<BR/>कवि को बहुत- बहुत बधाई । <BR/>मि़श्र जी की कविता बोलो बन्धु यथार्थ के बहुत करीब है । आपने बहुत<BR/>ही प्रासंगिक विषयों को उठाया है । क्या बोलें बन्धु ? आज की स्थिति सचमुच<BR/>चिन्ता जनक है । कोई नहीं बोलता । कवि ने मानस को झकझोरा है ।<BR/>शैलेन्द्र जी की कविता- परछाइयों की भीड़ से में कवि ने अच्छा लिखा है ।<BR/>परछाइयों के चेहरे पर भाव नहीं होते । हँसते- रोते कहकहा लगाते वे एक सी<BR/>लगती हैं । पंक्तियाँ अच्छी लगी। किन्तु बन्धु मुझे समझ नहीं आया कि आप<BR/>परछाइयों से इतने प्रभावित क्यों हैं ?शोभाhttps://www.blogger.com/profile/01880609153671810492noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-87173465008497567662007-08-06T15:54:00.000+05:302007-08-06T15:54:00.000+05:30अनुराधा जी को मेरी ओर से बहुत बहुत बधाई..रचना बहुत...अनुराधा जी को मेरी ओर से बहुत बहुत बधाई..<BR/>रचना बहुत ही सुन्दर है...<BR/>और सुनील जी को यूनिपाठक बनने पर भी बहुत बहुत बधाई...<BR/>बहुत खुसी की बात है की हिन्द युग्म निरन्तर सफलता के मार्ग पर अग्रसर है..<BR/>हिन्द युग्म के इस सराहनीय प्रयास को मेरा नमन है..<BR/>विपिन चौहान "मन"विपिन चौहान "मन"https://www.blogger.com/profile/10541647834836427554noreply@blogger.com