tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post2469043366757888788..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: कुछ त्रिवेणियाँशैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-11419106317659460062008-01-06T17:49:00.000+05:302008-01-06T17:49:00.000+05:30आँखों से, आइनों से कभी गुफ्तगू न करना,कमबख्त सच कह...आँखों से, आइनों से कभी गुफ्तगू न करना,<BR/>कमबख्त सच कहने की इन्हें आदत-सी पड़ी है।<BR/><BR/>अपना-सा मुँह लेकर लौटोगे तो जानोगे ॥<BR/><BR/>बहुत खूब लिखतें हैं आप ....बहुत ही सुन्दर लिखी है यह सब ..मज़ा आ गया पढ़ के !!रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-40111174616171311822008-01-01T12:07:00.000+05:302008-01-01T12:07:00.000+05:30कुदरत इन्हें यूँ हीं हँसता-मुस्कुराता छोड़ दे,कि क्...कुदरत इन्हें यूँ हीं हँसता-मुस्कुराता छोड़ दे,<BR/>कि क्या पता कब जिंदगी के ख्वाब ना रहें ।<BR/><BR/>नीम-नींद में हँसते हुए बच्चे हैं ये सारे <BR/>वाह <BR/>तनहा जी त्रिवेनियों के प्रयोग सिर्फ आप ही कर रहे हैं और बहुत अच्छा कर रहे हैं, जारी रखियेगा,Sajeevhttps://www.blogger.com/profile/08906311153913173185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-66120394738195731972008-01-01T12:01:00.000+05:302008-01-01T12:01:00.000+05:30तनहा जी,त्रिवेणियाँ आपने साध ली हैं, आपसे यहाँ विध...तनहा जी,<BR/><BR/>त्रिवेणियाँ आपने साध ली हैं, आपसे यहाँ विधा सीखने के लिये कोचिंग लेनी पडेगी। हर एक बेहतरीन है विषेश कर:<BR/><BR/>फेविक्विक डाला पर जोड़ अब भी चुभते हैं॥<BR/><BR/>अपने हाथों से बुनकर दिया था जो स्वेटर,<BR/>सुना है उससे तुम अब पाँव पोछते हो।<BR/><BR/>दिल से धूल का सफर पेशे-खिदमत है॥<BR/><BR/>अपना-सा मुँह लेकर लौटोगे तो जानोगे ॥<BR/><BR/>नीम-नींद में हँसते हुए बच्चे हैं ये सारे ॥<BR/><BR/>***राजीव रंजन प्रसादराजीव रंजन प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-81849937252193539502007-12-31T12:41:00.000+05:302007-12-31T12:41:00.000+05:30तनहा जी अच्छी है सारी त्रिवेनियाँ. ख़ास कर---'आँखो...तनहा जी अच्छी है सारी त्रिवेनियाँ. <BR/>ख़ास कर---<BR/>'आँखों से, आइनों से कभी गुफ्तगू न करना,<BR/>कमबख्त सच कहने की इन्हें आदत-सी पड़ी है।<BR/>अपना-सा मुँह लेकर लौटोगे तो जानोगे ॥'<BR/>-खूब लिखा है.<BR/>*लेकिन 'फेविक्युइक' शब्द का प्रयोग त्रिवेणी २ में मुझे पसंद नहीं आया.क्यों कि ऐसे शब्दों से भावों का वज़न कम हो जाता है [ऐसा मेरा अपना विचार है].Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-15691450737340712452007-12-31T11:37:00.000+05:302007-12-31T11:37:00.000+05:30तनहा जीआपने बहुत सुन्दर त्रिवेणियाँ लिखी हैं । विश...तनहा जी<BR/>आपने बहुत सुन्दर त्रिवेणियाँ लिखी हैं । विशेष रूप से<BR/>आँखों से, आइनों से कभी गुफ्तगू न करना,<BR/>कमबख्त सच कहने की इन्हें आदत-सी पड़ी है।<BR/><BR/>अपना-सा मुँह लेकर लौटोगे तो जानोगे ॥<BR/><BR/>५ एक दुकान हो जहाँ हो शर्म की खरीद-फरोख्त,<BR/>सेर- सवा सेर खरीदकर उन्हें उपहार दूँ ।<BR/><BR/>बहुत ही बढ़िया लिखा है । बधाई स्वीकारेंशोभाhttps://www.blogger.com/profile/01880609153671810492noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-64888403262551069712007-12-31T11:24:00.000+05:302007-12-31T11:24:00.000+05:30२ शीशे के तेरे वादे जो गढे थे मेरे वास्ते,आह! तूने...२ शीशे के तेरे वादे जो गढे थे मेरे वास्ते,<BR/>आह! तूने हीं अपने हाथों उन्हें तोड़ डाला।<BR/><BR/>फेविक्विक डाला पर जोड़ अब भी चुभते हैं॥<BR/><BR/>फेविक्विक...के मध्यम से आप ने उसके किए हुए वादे को जोड़ने की असफल कोशिश कर बैठे .!<BR/>हाए रे कितना चुभा होगा ..:-)<BR/>अच्छा प्रयोग है <BR/>सुनीता यादवDr. sunita yadavhttps://www.blogger.com/profile/00087805599431710687noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-12135191724518191522007-12-30T23:46:00.000+05:302007-12-30T23:46:00.000+05:30तनहाजी, बढिया लगी सभी पंक्तियाँ !धन्यवाद ! अपनी एक...तनहाजी, <BR/><BR/>बढिया लगी सभी पंक्तियाँ !<BR/><BR/>धन्यवाद ! अपनी एक रचना आपके नजर कर रहा हूँ , कृपया स्वीकार करें: <BR/>......<BR/>एक ज़माना था, जब थे यह कहते,<BR/>' कितने हैं हमारे खयालात मिलते!'<BR/>अब तो यह आलम है के हर पल<BR/>कहते हैं याद कर गुज़रा हुआ कल,<BR/>'हमखयाल, और हम ? इम्पॉसिबल!'<BR/>.....<BR/>सतीश वाघमारेAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-82304002856323987052007-12-30T20:41:00.000+05:302007-12-30T20:41:00.000+05:30"कुदरत इन्हें यूँ हीं हँसता-मुस्कुराता छोड़ दे,कि क..."कुदरत इन्हें यूँ हीं हँसता-मुस्कुराता छोड़ दे,<BR/>कि क्या पता कब जिंदगी के ख्वाब ना रहें ।<BR/><BR/>नीम-नींद में हँसते हुए बच्चे हैं ये सारे "<BR/><BR/>ये विशेष अच्छी है.....feviquick वाला क्या था ??? कोई मोबाइल संदेश था क्या....<BR/><BR/>निखिलNikhilhttps://www.blogger.com/profile/16903955620342983507noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-18471701723873067812007-12-30T18:44:00.000+05:302007-12-30T18:44:00.000+05:30नमस्कार ,आपकी कविता मुझे बहुत ही अच्छी लगी है ... ...नमस्कार ,<BR/>आपकी कविता मुझे बहुत ही अच्छी लगी है ... .<BR/>खैर मेरे बस में इतना टू नही है की मैं अआप की कविता में कोई नुक्स निकल सकूं ...<BR/>नव वर्ष की शुभ कामनाओं के साथ .......अश्वनी कुमार गुप्ता ...anshhttps://www.blogger.com/profile/07768008988685381384noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-42486224779222134282007-12-30T18:43:00.000+05:302007-12-30T18:43:00.000+05:30नमस्कार ,आपकी कविता मुझे बहुत ही अच्छी लगी है .......नमस्कार ,<BR/>आपकी कविता मुझे बहुत ही अच्छी लगी है .....<BR/>खैर मेरे बस में इतना टू नही है की मैं अआप की कविता में कोई नुक्स निकल सकूं ...<BR/>नव वर्ष की शुभ कामनाओं के साथ .......अश्वनी कुमार गुप्ता ...anshhttps://www.blogger.com/profile/07768008988685381384noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-23252670401348025522007-12-30T18:21:00.000+05:302007-12-30T18:21:00.000+05:30वाह जी वह तन्हा जी! कमाल कर दिया आपने तो बहुत ही ध...वाह जी वह तन्हा जी! कमाल कर दिया आपने तो बहुत ही धांसू कविता लगी, मजा आ गया<BR/> बधाई समेत<BR/> आलोक सिंह "साहिल"Anonymousnoreply@blogger.com