tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post2417374364661326162..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: विडम्बनाशैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-57434385287583031312008-05-11T18:26:00.000+05:302008-05-11T18:26:00.000+05:30डा. रमा द्विवेदी... सच में यह विड़म्बना ही ...डा. रमा द्विवेदी...<BR/> <BR/> सच में यह विड़म्बना ही है जिसके जवाब हैं लेकिन उन जवाबों को कोई मानेगा नहीं...इसलिए कोई जवाब नहीं देना चाहता....अच्छी स्तरीय व गंभीर चिंतन की कविता के लिए बधाई....Ramahttps://www.blogger.com/profile/10010943809475838010noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-10265929470273848352008-05-11T08:55:00.000+05:302008-05-11T08:55:00.000+05:30हर एक पंक्ति सीधे दिल में उतर गई. आपकी अभिव्यक्ति ...हर एक पंक्ति सीधे दिल में उतर गई. आपकी अभिव्यक्ति को विनम्र अभिवादन !Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-64125466280509709732008-05-10T23:21:00.000+05:302008-05-10T23:21:00.000+05:30सजीव जी!कविता पढकर ऎसा लगा कि मानो आप अपनी बात पूर...सजीव जी!<BR/>कविता पढकर ऎसा लगा कि मानो आप अपनी बात पूरी तरह से कह नहीं पा रहे हों। कहीं कुछ छूट-सा गया है। लेकिन कविता का विषय आपने बहुत हीं बढिया उठाया है और शब्दों का भी सुंदर जाल बुना है। इसके लिए आप बधाई के पात्र हैं\<BR/><BR/>-विश्व दीपक ’तन्हा’विश्व दीपकhttps://www.blogger.com/profile/10276082553907088514noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-79979291282258035812008-05-10T15:02:00.000+05:302008-05-10T15:02:00.000+05:30सजीव जी ´बस एक अनुत्तरित सवाल है,सचमुच विडंबना है ...सजीव जी ´<BR/>बस एक अनुत्तरित सवाल है,<BR/>सचमुच विडंबना है ,<BR/>शुभकामनाएँ <BR/><BR/>^^पूजा अनिलPooja Anilhttps://www.blogger.com/profile/11762759805938201226noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-29949779052689619362008-05-10T12:09:00.000+05:302008-05-10T12:09:00.000+05:30सजीव जी,बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है.. बहुत बहुत साधू...सजीव जी,<BR/><BR/>बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है.. बहुत बहुत साधूवादभूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghavhttps://www.blogger.com/profile/05953840849591448912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-54344635129392552172008-05-10T00:45:00.000+05:302008-05-10T00:45:00.000+05:30अच्छा हा, लेकिन मजा नही आया :(अवनीश तिवारीअच्छा हा, लेकिन मजा नही आया :(<BR/><BR/>अवनीश तिवारीअवनीश एस तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/04257283439345933517noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-45255398111925820732008-05-09T23:08:00.000+05:302008-05-09T23:08:00.000+05:30क्या बात है सजीव जी, हमेशा की तरह।क्या बात है सजीव जी, हमेशा की तरह।तपन शर्मा Tapan Sharmahttps://www.blogger.com/profile/02380012895583703832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-29691755260068567542008-05-09T21:51:00.000+05:302008-05-09T21:51:00.000+05:30ह्रदय में जारी है उम्र की कवायद,मगज एक मरघट हो जैस...ह्रदय में जारी है उम्र की कवायद,<BR/>मगज एक मरघट हो जैसे,<BR/>कुछ चिताएँ जल रहीं हैं,<BR/>कुछ लाशें सडी हुई सीं,<BR/>पडी हुईं हैं, जिन पर,<BR/>भिनभिनाती है मक्खियाँ<BR/>बहुत सशक्त अभिव्यक्ति, बहुत बधाई.mehekhttps://www.blogger.com/profile/16379463848117663000noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-61867843328151631372008-05-09T21:09:00.000+05:302008-05-09T21:09:00.000+05:30सजीव जीबहुत सुन्दर और गम्भीर भाव लिए है यह कविता-क...सजीव जी<BR/>बहुत सुन्दर और गम्भीर भाव लिए है यह कविता-<BR/>कुछ अनुत्तरित सवालों का समूह्गान जैसे,<BR/>कैसी विडम्बना है ये,<BR/>आखिर हम मुक्त क्यों नही हो पाते...???<BR/><BR/> एक सशक्त अभिव्यक्ति के लिए बधाई।शोभाhttps://www.blogger.com/profile/01880609153671810492noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-7739854709385394922008-05-09T14:46:00.000+05:302008-05-09T14:46:00.000+05:30sunder abhivyaktisunder abhivyaktiAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-88803037457733059662008-05-09T11:44:00.000+05:302008-05-09T11:44:00.000+05:30ह्रदय में जारी है उम्र की कवायद,मगज एक मरघट हो जैस...ह्रदय में जारी है उम्र की कवायद,<BR/>मगज एक मरघट हो जैसे,<BR/>कुछ चिताएँ जल रहीं हैं,<BR/>कुछ लाशें सडी हुई सीं,<BR/>पडी हुईं हैं, जिन पर,<BR/>भिनभिनाती है मक्खियाँ<BR/><BR/>इस घुटन का हल ढूंढने मे जाने कितनी सदिया बीत जायेगी......पर आपने मन मोह लिया...डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-50851218529259419892008-05-09T11:16:00.000+05:302008-05-09T11:16:00.000+05:30सच्च मी कैसी विडम्बना है यह जिससे हम मुक्त नही हो ...सच्च मी कैसी विडम्बना है यह जिससे हम मुक्त नही हो पाते,न चाहते हुए भी यह कड़वे सच्च का जहर पीना पड़ता है | आपने ऐसा सवाल उठाया है ,जिसके जवाब टू बहुत है ,लेकिन कोई हल नही है.....अच्छी रचना के लिए बधाई ...सीमा सचदेवसीमा सचदेवhttps://www.blogger.com/profile/04082447894548336370noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-34266556517009315892008-05-09T10:31:00.000+05:302008-05-09T10:31:00.000+05:30संजीव जी ! काश हम इस विडम्बना सेमुक्त हो पाते !सुन...संजीव जी ! काश हम इस विडम्बना से<BR/>मुक्त हो पाते !<BR/><BR/>सुन्दर अभिव्यक्ति के लिये बधाईHariharhttps://www.blogger.com/profile/07513974099414476605noreply@blogger.com