tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post186288738759663401..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: गजल "अरुण मित्तल अद्भुत"शैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger19125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-27334704990813404502009-06-17T22:50:51.926+05:302009-06-17T22:50:51.926+05:30अद्भुत गज़ल है | बधाई !
थी दुआ जिसकी बेअसर उसकी
...अद्भुत गज़ल है | बधाई !<br /><br />थी दुआ जिसकी बेअसर उसकी<br />बद्दुआ में भी दम नहीं है रे<br /><br />वो मेरा हमसफ़र तो होगा पर<br />वो मेरा हमकदम नहीं है रे<br /><br />दर्द दे और छीन ले आँसू<br />इससे बढ़कर सितम नहीं है रेAmbarish Srivastavahttps://www.blogger.com/profile/06514999274631808844noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-75662883820084466962009-06-16T20:01:54.902+05:302009-06-16T20:01:54.902+05:30gajal main vichar naye ho to accha.
unhi kafiyo, ...gajal main vichar naye ho to accha.<br /><br />unhi kafiyo, kafiko se nayee baat kahna badi baat hai.<br /><br />Gorakhpur se hoon firaq ko rada nahi per bahut suna jaroor hai.ahsan saab sahi keh rahe hai. <br />kum se kum net per bheje to khayal rakhe.Akhileshhttps://www.blogger.com/profile/09641299718027515895noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-43146464701995240102009-06-15T12:37:52.554+05:302009-06-15T12:37:52.554+05:30कौन कहता है गम नहीं है रे
आँख ही बस ये नम नहीं है ...कौन कहता है गम नहीं है रे<br />आँख ही बस ये नम नहीं है रे<br />.....शानदार......रश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-32466621522895638202009-06-13T16:14:21.364+05:302009-06-13T16:14:21.364+05:30ऐसा कई बार हो जाता है कि अगर काफिया और रदीफ मिलता ...ऐसा कई बार हो जाता है कि अगर काफिया और रदीफ मिलता हो तो बाकि शे'रो के भाव भी मिल जाते है , ये सब इसलिए होता है क्योकि हर इंसान की सोच दूसरे से मिलती है बस शब्दो का अंतर होता है<br /><br />कोई शायर ऐसा हो हि नही सकता जो ऐसी बात कह दे जो आज से पहले कभी कही ही ना गयी हो, ये तो असंभव सी बात होगीUnknownhttps://www.blogger.com/profile/15870115832539405073noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-4582644127353848142009-06-13T11:27:42.723+05:302009-06-13T11:27:42.723+05:30अमित जी,
आपने जिस सकारात्मक ढंग से मेरा मार्गदर्...अमित जी, <br /><br />आपने जिस सकारात्मक ढंग से मेरा मार्गदर्शन किया है मैं आभारी हूँ "मतला तो बदलना ही है" ..... आप ठीक कह रहे हैं मतला सामान होने से बाकी अशआर पर भी संदेह होता है, ये भी सच है की ये सब अनजाने में ही हुआ है मैंने फिराक साहब को याद नहीं पढ़ा भी हैं की नहीं या कब पढ़ा, मुझे याद नहीं ऐसा हो जाता है जब काफिया और रदीफ़ या रदीफ़ का कुछ भाग मेल खाता हो, बाकी गजल पर आपका स्नेह मिला धन्यवाद.. इसी प्रकार संपर्क बनाये रखिये <br /><br />सादर <br /><br />अरुण मित्तल 'अद्भुत'Arun Mittal "Adbhut"https://www.blogger.com/profile/18192424604648383037noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-38891608889644071292009-06-13T09:16:45.500+05:302009-06-13T09:16:45.500+05:30अद्भुत जी,
अद्भुत ग़ज़ल है आपकी। निवेदन है कि यदि स...अद्भुत जी,<br />अद्भुत ग़ज़ल है आपकी। निवेदन है कि यदि सम्भव हो तो मतला बदल दें। यद्यपि बाकी शेर अच्छे हैं और आपके अपने लगते हैं लेकिन मतले मे इतनी ज्यादा समानता है कि सामान्य पाठक के लिये शेष अश’आर भी सन्देह के घेरे में आ जाते हैं। सब के पास गुले-नग़मा तो होगा नहीं कि वो तस्दीक़ करे लेकिन पहला वाला शेर लगभग अधिकतर लोगों को याद होगा और जब पहला मिल रहा है तो बाकी भी वही होगा ऐसा सामान्य अनुमान लगाने में कठिनाई नहीं होगी। सन्देह तो मुझे भी हो गया। <br />इस ग़ज़ल के कुछ अश’आर बहुत अच्छे लगे मसलन<br />थी दुआ जिसकी बेअसर उसकी<br />बद्दुआ में भी दम नहीं है रे<br /><br />वो मेरा हमसफ़र तो होगा पर<br />वो मेरा हमकदम नहीं है रे<br />आशा है कि इस टिप्पणी को आप सकारात्मक रूप में लेंगे। आपमें ग़ज़ल कहने की प्रतिभा है। इसे और निखारें। उस्ताद शायरों के कलाम से प्रेरणा लेना बुरी बात नहीं है बस यही ध्यान रखें कि उनका दुहराव न होने पाये।<br />सादर<br />अमितअमिताभ त्रिपाठी ’ अमित’https://www.blogger.com/profile/12844841063639029117noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-70245509609860400612009-06-13T08:11:05.936+05:302009-06-13T08:11:05.936+05:30वो खुद तो अद्भुत हैंही मगर गज़ल उन से भी अद्भुत है ...वो खुद तो अद्भुत हैंही मगर गज़ल उन से भी अद्भुत है किसी एक अश-अर के बारे मे ही खास नहीम कहा जा सकता पूरी गज़ल लाजवाब है बधाईनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-47377646930993348422009-06-13T07:46:21.163+05:302009-06-13T07:46:21.163+05:30मैं हूँ, बस मैं ही, सिर्फ मैं ही हूँ
एक भी शब्द &q...मैं हूँ, बस मैं ही, सिर्फ मैं ही हूँ<br />एक भी शब्द "हम" नहीं है रे<br /><br /><br />इस शेर के साथ पूरी ग़ज़ल ही खुबसूरत हैं.Shamikh Farazhttps://www.blogger.com/profile/11293266231977127796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-30540769798433188842009-06-13T00:23:24.039+05:302009-06-13T00:23:24.039+05:30थी दुआ जिसकी बेअसर उसकी
बद्दुआ में भी दम नहीं है र...थी दुआ जिसकी बेअसर उसकी<br />बद्दुआ में भी दम नहीं है रे...<br />वाह!<br />मेरे जैसों का फ़ायदा है... मैंने फ़िराक व अन्यों को न के बराबर पढ़ा है.. इसलिये मुझे सब नया लगता है... :-)<br />ऊपर से आप जैसे अनुभवी मिल जाते हैं तो चाँदी...<br />न हमने ’फ़िराक’ पढ़ा है सिफ़र बराबर अपनी समझ<br />कब हमने सोचा था, साथ मिलेगा आप सा भी...तपन शर्मा Tapan Sharmahttps://www.blogger.com/profile/02380012895583703832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-31496135664182421542009-06-12T23:26:34.935+05:302009-06-12T23:26:34.935+05:30मैं हूँ, बस मैं ही, सिर्फ मैं ही हूँ
एक भी शब्द &q...मैं हूँ, बस मैं ही, सिर्फ मैं ही हूँ<br />एक भी शब्द "हम" नहीं है रे<br />मुझे ये शेर पसंद आया पूरी ग़ज़ल ही सुंदर है <br />सदर<br />रचना .rachananoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-67011662912845964122009-06-12T23:18:25.066+05:302009-06-12T23:18:25.066+05:30मैं हूँ, बस मैं ही, सिर्फ मैं ही हूँ
एक भी शब्द &q...मैं हूँ, बस मैं ही, सिर्फ मैं ही हूँ<br />एक भी शब्द "हम" नहीं है रे<br /><br />तुम भी तो तुम नहीं हो आज<br />हम भी तो आज हम नहीं <br />-फ़िराक़ <br />अद्भुत साहब, क्या इन दोनों शे'एरो में समानता नहीं है ! हाँ ज़रा उलट के, मेरा मतलब है विपरीत भाव के साथ . <br />मैं यह नहीं कहता कि ऐसा जानबूझ कर किया गया है. कोई करे गा भी नही क्यूँ कि यह फ़िराक़ की काफी मशहूर ग़ज़ल है . <br />आप में इस से बहुत बहतर और खूबसूरत गजलें कहने कि सलाहियत है , कुछ नया कहिये.<br /><br />नयी ज़मीन ढूंढ ले, नयी बहर को कर सलाम <br />शायरी की नित नयी हैं मंजिलें, नित नए मुकाम <br />-अहसनमुहम्मद अहसनnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-19185909885823271532009-06-12T23:05:05.264+05:302009-06-12T23:05:05.264+05:30अरुण जी बहुत ही भावात्मक और सुन्दर रचनाअरुण जी बहुत ही भावात्मक और सुन्दर रचनाकुलदीप "अंजुम"https://www.blogger.com/profile/02096435711959078271noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-45182674282867204842009-06-12T23:04:14.767+05:302009-06-12T23:04:14.767+05:30अरुण जी बहुत ही भावात्मक और सुन्दर रचनाअरुण जी बहुत ही भावात्मक और सुन्दर रचनाकुलदीप "अंजुम"https://www.blogger.com/profile/02096435711959078271noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-23807260871516836722009-06-12T21:41:01.750+05:302009-06-12T21:41:01.750+05:30शुक्र है के नेट है,,,
मतले में तो ख्याल वाकई मेल ख...शुक्र है के नेट है,,,<br />मतले में तो ख्याल वाकई मेल खा रहे हैं....<br />मगर बाकी के शे'र मुझे तो साफ़ तौर पर हट के सन्देश देते लग रहे हैं<br />बाकी वाले न मुझे अलग लग रहे हैं बल्कि <br /><br />चाहता है तू आदमी होना<br />आरजू ये भी कम नहीं है रे<br /><br />थी दुआ जिसकी बेअसर उसकी<br />बद्दुआ में भी दम नहीं है रे<br />कमाल है,,,,,<br />हाँ ख्याल मिलने आम बात है ,,मसलन <br />आदमी वाले शे'र को ही लें....तो मेरे भी कुछ शे'र इस ख्याल पर हैं ,,,,,<br />हो खुदा से बड़ा वाले इंसान<br />आदमी से बड़ा नहीं होता,,,इसी तरह के और भी ,,, अब हम जैसे बिना शायरी पढ़े लोगों को तो कभी पता भी ना चले के हमारा कूब सा शे'र किससे मिल गया...अवचेतन मन में सच ही नहीं पता होता ,,,, एक युग्म पर आने वाली मेरी ग़ज़ल में है के...<br />वो क्या नज़र थी के सीना भी चाक चाक हुआ<br />वो क्या अदा थी के दिल पर मेरे अजाब हुई<br />मैंने ही लिखा है ,,पर लिखते ही लगा के ये या इस से काफी मिलता जुलता शायद कहीं पढा या सुना लगता है,,,<br />कुल मिलाकर एक अच्छी गजल ,,और साथ साथ अहसन जी ने भी एक और गजल पढ़वा दी,,<br />अब इसे ही क्लीयर करना मुश्किल लग रहा है,,,,,manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-51441130737799410862009-06-12T20:50:13.414+05:302009-06-12T20:50:13.414+05:30अहसन जी
धन्यवाद आपने ध्यान दिलाया
पहले शेर यान...अहसन जी <br /><br />धन्यवाद आपने ध्यान दिलाया <br /><br />पहले शेर यानी मतले पर तो मैं मानता हूँ की ये शेर जरा सा बहर में ही अलग है बाकी ख्याल वही है परन्तु बाकी शेर बिलकुल अलग हैं केवल काफिया मिल रहा है <br /><br />मतला बिल्कुल मिल रहा है शायद फिराक को पढने के बाद कभी बहुत पहले ये ख़याल अचेतन दिमाग में रह गया हो लेकिन मेरी समझ में ये एक संयोग ही है <br />बाकी शेर आप जरा ध्यान से पढें और मिला कर देखें भावः बिलकुल अलग हैं<br /><br />सादर <br /><br />अरुण मित्तल अद्भुतArun Mittal "Adbhut"https://www.blogger.com/profile/18192424604648383037noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-79180327269065425952009-06-12T19:59:16.875+05:302009-06-12T19:59:16.875+05:30कृपया श'एर में 'नाम' की जगह 'नम...कृपया श'एर में 'नाम' की जगह 'नम' पढेंमुहम्मद अहसनnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-70137547844410726722009-06-12T19:55:39.635+05:302009-06-12T19:55:39.635+05:30अदुभुत साहेब,
आप की ग़ज़ल फ़िराक़ की एक ग़ज़ल की ज...अदुभुत साहेब,<br /><br />आप की ग़ज़ल फ़िराक़ की एक ग़ज़ल की ज़मीन पर थोड़े हेर फेर से कही गयी है , लेकिन अफ़सोस है कहीं कहीं पर ख़याल भी मिल रहे हैं.<br /><br />कौन कहता है गम नहीं है रे<br />आँख ही बस ये नम नहीं है रे<br /><br />ये तो नहीं कि गम नहीं <br />हाँ मेरी आँख नाम नहीं <br />- फ़िराक़ <br />चाहता है तू आदमी होना<br />आरजू ये भी कम नहीं है रे<br /><br />मौत अगरचे मौत है<br />मौत से जीस्त कम नहीं <br />-फ़िराक़ <br />मैं हूँ, बस मैं ही, सिर्फ मैं ही हूँ<br />एक भी शब्द "हम" नहीं है रे<br /><br />तुम भी तो तुम नहीं हो आज<br />हम भी तो आज हम नहीं <br />-फ़िराक़ <br /><br />थी दुआ जिसकी बेअसर उसकी<br />बद्दुआ में भी दम नहीं है रे<br /><br />कादिर ए दो जहां हैं, गो<br />इश्क के दम में दम नहीं <br />-फ़िराक़मुहम्मद अहसनnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-91903426325786006942009-06-12T15:01:55.405+05:302009-06-12T15:01:55.405+05:30वाह! मुझे तो बहुत पसंद आई आपकी ये ग़ज़ल.. बहुत बहु...वाह! मुझे तो बहुत पसंद आई आपकी ये ग़ज़ल.. बहुत बहुत बधाई!!neeti sagarnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-65879318645182882822009-06-12T14:24:42.385+05:302009-06-12T14:24:42.385+05:30बिलकुल ही निराले अंदाज की ग़ज़ल......बहुत ही सुन्द...बिलकुल ही निराले अंदाज की ग़ज़ल......बहुत ही सुन्दर रचना...बड़ा अच्छा लगा पढना....आभार आपका.रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.com