tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post182970210142445330..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: श्यामल सुमन के साथ 'जागरण'शैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-66925878392496913632007-11-23T00:58:00.000+05:302007-11-23T00:58:00.000+05:30जब लय में कविता लिखी जा रही हो तो छंदविधान का सदैव...जब लय में कविता लिखी जा रही हो तो छंदविधान का सदैव निर्वाह अपेक्षित है। प्रतीत होता है कि आपने इस कविता का आवश्यक अभ्यास नहीं किया था। वैसे कविताओं को प्रकाशित करने का यह उद्देश्य यहाँ पूरा होता है। निम्न पंक्तियाँ पसंद आईं।<BR/>बना हिन्द बाजार जहाँ नित, गिद्ध विदेशी मँडराते हैं।<BR/>यहीं के श्रम और साधन पे, परचम अपना फहराते हैं।शैलेश भारतवासीhttps://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-80391205688270272322007-11-22T17:20:00.000+05:302007-11-22T17:20:00.000+05:30प्रेरित करने वाली कविता है.अवनीश तिवरीप्रेरित करने वाली कविता है.<BR/>अवनीश तिवरीअवनीश एस तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/04257283439345933517noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-89287031272312420002007-11-22T14:28:00.000+05:302007-11-22T14:28:00.000+05:30श्यामल सुमन जी,बहुत ही प्रसंशनीय गीत बन पडा है, गह...श्यामल सुमन जी,<BR/><BR/>बहुत ही प्रसंशनीय गीत बन पडा है, गहरी सोच है पाठक को उर्जावत करने में सफल रचना।<BR/><BR/>*** राजीव रंजन प्रसादराजीव रंजन प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-67315028808403559872007-11-22T05:18:00.000+05:302007-11-22T05:18:00.000+05:30बना हिन्द बाजार जहाँ नित, गिद्ध विदेशी मँडराते हैं...बना हिन्द बाजार जहाँ नित, गिद्ध विदेशी मँडराते हैं।<BR/>यहीं के श्रम और साधन पे, परचम अपना फहराते हैं।<BR/>विश्वग्राम नहीं छद्म गुलामी, का लेकर आया पैगाम।<BR/>आजादी के नव-विहान हित, अलख जगायें हम अविराम।<BR/>सजग रहे माली उपवन का, तभी सुमन खिल पायेंगे।<BR/>या इस आग में हम भी जल जायेंगे।।<BR/><BR/>बहुत सुन्दर कविता! अच्छा चित्रण है<BR/>कड़ी की अन्तिम लाइन बोलते समय<BR/>लय-भंग होता हैHarihar Jhahttps://www.blogger.com/profile/03094272277900318316noreply@blogger.com