tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post1771884467779935775..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: शोभा की नज़र में 'आधुनिक नारी'शैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-64512607229967552732007-11-02T19:38:00.000+05:302007-11-02T19:38:00.000+05:30अच्छी रचना के लिए साधुवादअच्छी रचना के लिए साधुवादSunny Chanchlanihttps://www.blogger.com/profile/02921620323003577787noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-70545056634459230152007-11-01T15:23:00.000+05:302007-11-01T15:23:00.000+05:30आज भी आखों में आँसूऔर दिल में पीड़ा है ।आज भी नारी...आज भी आखों में आँसू<BR/>और दिल में पीड़ा है ।<BR/>आज भी नारी-<BR/>श्रद्धा और इड़ा है ।<BR/>अंतर केवल इतना है <BR/>कल वह घर की शोभा थी<BR/>आज वह दुनिया को महका रही है ।<BR/>किन्तु आधुनिकता के युग में<BR/>आज भी ठगी जा रही है ।<BR/><BR/>वाह....शोभा जी,<BR/>सुन्दर चित्रण आधुनिक नारी का....<BR/><BR/><BR/>बधाई।गीता पंडितhttps://www.blogger.com/profile/17911453195392486063noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-25851263009243730362007-11-01T09:59:00.000+05:302007-11-01T09:59:00.000+05:30शोभा जी आपका स्वागत है ...अच्छी लगी आपकी यह रचना न...शोभा जी आपका स्वागत है ...अच्छी लगी आपकी यह रचना नारी के स्वरूप को दर्शाती <BR/><BR/>विश्वासों के सम्बल<BR/>हर बार टूट जाते हैं ।<BR/>किन्तु उसकी जीवन शक्ति<BR/>फिर उसे जिला जाती है ।<BR/>संघर्षों के चक्रव्यूह से<BR/>सुरक्षित आ जाती है ।<BR/>नारी का जीवन<BR/>कल भी वही था-<BR/>आज भी वही है ।<BR/>अंतर केवल बाहरी है ।<BR/><BR/>बहुत सही बात कही आपने ..<BR/><BR/>आपके लिखे का इंतज़ार रहेगा शुभकामना के साथ <BR/>रंजूरंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-75030039101445124082007-11-01T02:19:00.000+05:302007-11-01T02:19:00.000+05:30acchi tarah se likha hai ....acchi tarah se likha hai ....Kamlesh Nahatahttps://www.blogger.com/profile/02147828461830184145noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-39413288043714944752007-10-31T16:51:00.001+05:302007-10-31T16:51:00.001+05:30प्रवाह, संदेश, समसामयिकता की दृष्टि से कविता तो उत...प्रवाह, संदेश, समसामयिकता की दृष्टि से कविता तो उत्तम है लेकिन आधुनिक नारी पर व्यंग्य करती, आसू बहाती इसी तरह की और रचनाएँ भी पढ़ने को खूब मिलती हैं। इन्हीं सब पर तो तसलीमा का पूरा साहित्य है। प्रस्तुतिकरण में नयापन नहीं है।शैलेश भारतवासीhttps://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-79166122862014617412007-10-31T16:51:00.000+05:302007-10-31T16:51:00.000+05:30शोभाजी स्थायी कवि बनने के लिए आप को बहोत बधाईयां. ...शोभाजी स्थायी कवि बनने के लिए आप को बहोत बधाईयां. <BR/>नारी के कितने रूप है - बेटी, बहन, प्रेमिका, दोस्त, पत्नी, माँ, दादी और न जाने कितने ही. और हर एक पात्र वह बखूबी निभा लेती है बिना किसी से कोई शिकायत के और अगर कोई शिकायत भी होती है फ़िर भी कभी जबान पर नही आती. और इसी लिए नारी को भारत में इतना महत्व मिला है हमेशा से जिस का कोई जोड़ नही है. हाँ अब भी बहोत कुछ सहन कर रही है नारी पर जिस तरह से इतनी तरक्की की है और भी जरूर होगी और अपना लोहा मनवा कर के छोदेगी यह नारी. इतनी अच्छी कविता बना ने पर भी आप को बधाई.Rajeshhttps://www.blogger.com/profile/00204407170714546335noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-9669494804705584302007-10-31T12:57:00.000+05:302007-10-31T12:57:00.000+05:30बहुत खुब.बिल्कुल सतीक शब्दों मे आलोचना की है.बधायी...बहुत खुब.<BR/>बिल्कुल सतीक शब्दों मे आलोचना की है.<BR/><BR/>बधायी.<BR/><BR/>अवनीश तिवारीअवनीश एस तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/04257283439345933517noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-36680109348360036212007-10-31T12:42:00.000+05:302007-10-31T12:42:00.000+05:30शोभा जी,हिंद-युग्म का स्थाई सदस्य बनने पर बधाई स्व...शोभा जी,<BR/>हिंद-युग्म का स्थाई सदस्य बनने पर बधाई स्वीकार करें।<BR/>धन्यवाद,<BR/>तपन शर्माAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-1925735167787822732007-10-31T12:37:00.000+05:302007-10-31T12:37:00.000+05:30शोभा जी,संघर्षों के चक्रव्यूह जाने कहाँ से चले आते...शोभा जी,<BR/><BR/>संघर्षों के चक्रव्यूह <BR/>जाने कहाँ से चले आते हैं ?<BR/>विश्वासों के सम्बल <BR/>हर बार टूट जाते हैं ।<BR/><BR/>आज भी उसे कुचला जाता है ।<BR/>घर, समाज व परिवार में<BR/>उसका देने का नाता है ।<BR/>आज भी आखों में आँसू<BR/>और दिल में पीड़ा है ।<BR/>आज भी नारी-<BR/>श्रद्धा और इड़ा है ।<BR/>अंतर केवल इतना है <BR/>कल वह घर की शोभा थी<BR/>आज वह दुनिया को महका रही है ।<BR/>किन्तु आधुनिकता के युग में<BR/>आज भी ठगी जा रही है ।<BR/>प्रश्न और चिरन दोनों ही बहुत अच्छा है रचना में। नारी समस्या/पीडा और स्वाभिमान के सशक्त प्रश्न हैं आपकी रचना में। बधाई।<BR/><BR/>*** राजीव रंजन प्रसादराजीव रंजन प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-78130445614658140892007-10-31T10:55:00.000+05:302007-10-31T10:55:00.000+05:30बहुत बढिया चित्र उकेरा है आधुनिक नारी का..बहुत अच्...बहुत बढिया चित्र उकेरा है आधुनिक नारी का..<BR/>बहुत अच्छाभूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghavhttps://www.blogger.com/profile/05953840849591448912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-24368625065712980862007-10-31T10:49:00.000+05:302007-10-31T10:49:00.000+05:30शोभा जी,सुन्दर चित्रण किया है आपने आधुनिक नारी का....शोभा जी,<BR/>सुन्दर चित्रण किया है आपने आधुनिक नारी का.<BR/>दोहरे भार (पारिवारिक और व्यवसायिक) के कारण जीवन कठिन हो जाता है.. परन्तु नारी में असीम सहनशीलता उसे सुगम बनाती है. आगे बढने की चाह और अपना मुकाम बनाने की चाह में कुछ सुखों को तिलांजली देनी ही पडती है.Mohinder56https://www.blogger.com/profile/02273041828671240448noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-20862078145595696462007-10-31T10:29:00.000+05:302007-10-31T10:29:00.000+05:30वाह आज के "सुपर वूमन" की वेदना को साकार रूप देने म...वाह आज के "सुपर वूमन" की वेदना को साकार रूप देने में सफल रही हैं आपSajeevhttps://www.blogger.com/profile/08906311153913173185noreply@blogger.com