tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post175986960349951596..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: पिता, पापा, डैडी, अब्बा, बाऊजी, बाबूजी और कविताएँशैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger61125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-10570548671524793052009-07-05T11:01:46.336+05:302009-07-05T11:01:46.336+05:30सभी ने बहुत ही अच्छी तरह से पिता के व्यक्तित्व को ...सभी ने बहुत ही अच्छी तरह से पिता के व्यक्तित्व को उभारा है| सभी को बहुत-बहुत बधाई |<br /><br />सादर,<br />नील श्रीवास्तव<br />छात्र कक्षा आठUnknownhttps://www.blogger.com/profile/06297754446335502692noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-2330791149966058362009-07-03T10:31:26.673+05:302009-07-03T10:31:26.673+05:30आप सभी हमारी शुभकामनायें, व अच्छी कविताओं हेतु बधा...आप सभी हमारी शुभकामनायें, व अच्छी कविताओं हेतु बधाई !Ambarish Srivastavahttps://www.blogger.com/profile/06514999274631808844noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-65222719022111010452009-07-01T20:49:05.794+05:302009-07-01T20:49:05.794+05:30ममनून हूँ शामिख साहेब aur 'mere lafz', आप ...ममनून हूँ शामिख साहेब aur 'mere lafz', आप को इस नज़्म के कुछ हिस्से पसंद आए <br />अहसनमुहम्मद अहसनnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-64320767712480456952009-06-30T13:27:48.806+05:302009-06-30T13:27:48.806+05:30तपती धूप की शिद्दत,
बर्फ सी ठंढी हवाएं ,
तेज़ ओ तु...तपती धूप की शिद्दत,<br />बर्फ सी ठंढी हवाएं ,<br />तेज़ ओ तुन्द तूफां के झक्कड़ ,<br />दुनिया के काले नाग और कंटीले रास्ते ;<br />मुझे हिफाज़त करनी है तेरी एक नाज़ुक पौध की मानिंद ,<br />तेरी उम्र को सींचूं गा मै अपने रगों के खून से ,<br />अपने फ़िक्र ओ फ़न से ;<br />खाद दूँ गा तेरी जड़ों को <br />अपने पसीने की बूंदों से ;<br />तुझे बढ़ता देखूँ गा मैं<br />एक मुस्तहकम दरख्त की मानिंद ,<br />वो दरख्त कि जिस में <br />इल्म की शाखें हों ,<br />अक़ीदे के फूल हों,<br />फ़राएज़ के फल हों ;<br />खिदमत का साया हो,<br />और सब्र ओ सुकूं के बर्ग हों <br />वो दरख्त जो सूख कर भी जिंदगी बख्शे <br /><br />अहसान जी कविता को काफी गहराई से लिखा है. मुबारकबाद.Shamikh Farazhttps://www.blogger.com/profile/11293266231977127796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-82698356002173367302009-06-28T22:41:29.363+05:302009-06-28T22:41:29.363+05:30तेरी आँखों की सच्चाई मेरी ज़ंजीरें
तेरे चेहरे का भ...तेरी आँखों की सच्चाई मेरी ज़ंजीरें<br />तेरे चेहरे का भोलापन मेरी बेडी <br />तेरी सांसें , जिंदगी का हासिल <br />तेरे थके पाँव की मंजिल ,मेरा कान्धा ;<br />मैं खुद से भाग सकता हूँ,<br />जिंदगी से भाग सकता हूँ<br />मगर जाऊं गा कहाँ तुझ से भाग कर <br /><br />बहुत फिलोस्फिकल है.MultiWit Technologieshttps://www.blogger.com/profile/13929793466398388587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-78841933280569945712009-06-27T23:40:06.967+05:302009-06-27T23:40:06.967+05:30Der aye durust aye, sabhi ki kavita
ek se badhkar ...Der aye durust aye, sabhi ki kavita<br />ek se badhkar ek hai.<br />Bhadhayi.<br />Manju Gupta.Manju Guptahttps://www.blogger.com/profile/10464006263216607501noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-35912112580509503992009-06-27T08:28:54.122+05:302009-06-27T08:28:54.122+05:30शिकवे गिले क्या करें इनसे
जहाँ ये हमारा आबाद करते...शिकवे गिले क्या करें इनसे <br />जहाँ ये हमारा आबाद करते हैं ..<br />खालीपन सूनापन जब महसूस होता है <br />इन लम्हों को फिर हम याद करते हैं.. <br />ये मेरी बगिया के सुन्दर फूल <br />ये जान ये दिल तुम्हें निसार करते हैं..डा.संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमीhttps://www.blogger.com/profile/01543979454501911329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-87278605061855624502009-06-26T21:42:35.942+05:302009-06-26T21:42:35.942+05:30अम्बरीश जी,
मन प्रसन्न हो गया . सही बात तो यह है क...अम्बरीश जी,<br />मन प्रसन्न हो गया . सही बात तो यह है की टिप्पणियों के माध्यम से प्राप्त कवितायेँ न केवल चित्र के बहुत् निकट हैं बल्कि मेरी कविता से बहतर हैं. मैं सभी कवियों को बधाई देता हूँ <br />प्रसन्न रहियेमुहम्मद अहसनnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-54698429968784989332009-06-25T23:00:39.970+05:302009-06-25T23:00:39.970+05:30माननीय अहसन साहब,
बहुतेरे पाठकों नें चित्र के करीब...माननीय अहसन साहब,<br />बहुतेरे पाठकों नें चित्र के करीब पहुँचती हुई रचनाएँ टिप्पणियों में पोस्ट कर डालीं! लीजिये! आपकी यह इच्छा तो उपर वाले नें पूरी कर दी, अब तो प्रसन्न हो जाइये| हम सब आपको सदैव हँसता-मुस्कराता देखना चाहते हैं |<br />सादर,<br />अम्बरीष श्रीवास्तवAmbarish Srivastavahttps://www.blogger.com/profile/06514999274631808844noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-76705887530067339882009-06-25T08:04:58.772+05:302009-06-25T08:04:58.772+05:30मृदुभाषी सन्यासी जैसे
कार्य कुशल कर्तब्य परायण .
...मृदुभाषी सन्यासी जैसे <br />कार्य कुशल कर्तब्य परायण .<br />धर्मालु धर्मांध नहीं पर ,<br />करते प्रतिदिन प्रभु गुण गायन ,<br />स्थितप्रज्ञ मर्मज्ञ पिता जी !<br />नर में लगते एक नारायण . <br />डा. कमल किशोर जी क्या हम भी पिता के इस स्तर को प्राप्त करपायेंगे?डा.संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमीhttps://www.blogger.com/profile/01543979454501911329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-22168039357404472882009-06-25T07:53:01.982+05:302009-06-25T07:53:01.982+05:30पिता
एक ऐसा व्यक्तित्व
जो दिखता है सख्त
किन्तु ह...पिता<br />एक ऐसा व्यक्तित्व <br />जो दिखता है सख्त<br />किन्तु है कोमल ह्रदय<br />जीवन के पग-पग पर<br />हमको दिलाता विजय<br />पिता <br />एक नाम जो जरूरी है<br />यही हमारी पह्चान की धुरी है<br />यूँ तो जन्म देती है माँ<br />पर वो भी इस नाम के बिना अधूरी है<br />पिता<br />एक अटूट हिस्सा जीवन का<br />साथी हमारे बालपन का<br />मेला हो या हो भारी भीड़<br />दिखाये हमें दुनिया की तस्वीर<br />दीपाली जी मां ही नहीं पिता भी मां के बिना अधूरा ही क्यों वह मां के बिना पिता ही नहीं हो सकता. प्रत्येक पुरुष के जीवन को नारी ही दिशा प्रदान करती है.डा.संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमीhttps://www.blogger.com/profile/01543979454501911329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-50850686960961826702009-06-24T22:27:07.903+05:302009-06-24T22:27:07.903+05:30शामिख साहब,
माना कि बक रहा था तल्खी में क्या कुछ न...शामिख साहब,<br />माना कि बक रहा था तल्खी में क्या कुछ न मैं<br />मगर दुनिया ने छेड़ कर, मेरी तल्खी बढा दी कुछ और <br />-अहसनमुहम्मद अहसनnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-74433703619170514852009-06-24T17:03:10.919+05:302009-06-24T17:03:10.919+05:30इतनी सुन्दर सी कविताओं का रसास्वादन कराने हेतु आप...इतनी सुन्दर सी कविताओं का रसास्वादन कराने हेतु आप सभी को आभार सहित मेरा धन्यवाद व बधाई |<br />सादर,<br />अम्बरीष श्रीवास्तवAmbarish Srivastavahttps://www.blogger.com/profile/06514999274631808844noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-88959667282450455892009-06-24T12:32:50.303+05:302009-06-24T12:32:50.303+05:30इसी के साथ सभी लोगो को उनकी कविताओं के लिए मुबारकब...इसी के साथ सभी लोगो को उनकी कविताओं के लिए मुबारकबाद.Shamikh Farazhttps://www.blogger.com/profile/11293266231977127796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-63592603888357233802009-06-24T12:32:10.803+05:302009-06-24T12:32:10.803+05:30मुझे लगता है की अहसन जी की नाराज़गी कुछ हद तक जायज...मुझे लगता है की अहसन जी की नाराज़गी कुछ हद तक जायज़ है. लेकिन शिकायत इतने तल्ख़ अंदाज़ में नहीं करना चाहिए. कवितायेँ चित्र पर आधारित हैं और कुछ नहीं. इस मामले में मुझे अरुण मित्तल जी जा सुझाव अच्छा लगा.Shamikh Farazhttps://www.blogger.com/profile/11293266231977127796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-26525791624147745742009-06-23T23:11:30.436+05:302009-06-23T23:11:30.436+05:30रेहान जी,
आप की टिप्पणी को समर्पित "पिता का प...रेहान जी,<br />आप की टिप्पणी को समर्पित "पिता का पुरुषार्थ"<br />आप ही की शैली में रचना का एक प्रयास |<br /><br />"पिता का पुरुषार्थ" <br /><br />आपका ही अंश हूँ मैं, आपका ही मान हूँ |<br />आपकी संचित धरोहर, आपकी संतान हूँ ||<br /><br />आपसे सब कुछ मिला है, आपका परमार्थ हूँ | <br />आपके गुण सजते है मुझमें, आपका पुरुषार्थ हूँ ||<br /><br />आपकी आँखों का तारा, आपकी सौगात हूँ |<br />आप ही के धर्म से, उपजा हुआ मैं प्रकाश हूँ ||<br /><br />आपके आशीष से, संस्कार अपने पास हैं ||<br />कृपादृष्टि चाहूं तेरी, जब तक ये अपनी साँस है ||<br /><br />स्वर्ग की चाहत नहीं है, वो नहीं कुछ खास है |<br />आप के चरणों में बसता, स्वर्ग मेरे पास है || <br /><br />आपको हँसता ही देखूं , ये ही अपनी चाह है | <br />ऐ पिता तुझको समर्पित, अपना ये साम्राज्य है ||<br /><br />सादर,<br />अम्बरीष श्रीवास्तवAmbarish Srivastavahttps://www.blogger.com/profile/06514999274631808844noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-26485554694845005142009-06-23T21:42:20.224+05:302009-06-23T21:42:20.224+05:30नीलमजी,
उत्साहवर्धन के लिए शत-शत धन्यवाद |
रेहान ...नीलमजी,<br />उत्साहवर्धन के लिए शत-शत धन्यवाद |<br /><br />रेहान जी,<br />कंधे पर मुझको बिठाये, पैदल सफ़र पर चल पड़े हो |<br />ठण्ड से सिहरन बहुत है, आवाज़ पर ताले जड़े हैं ,<br />थकान भी चेहरे पे दिखती, पांव में छाले पड़े हैं |<br />चित्र पर लिखने हेतु बधाई |<br />सादर,<br />अम्बरीष श्रीवास्तवAmbarish Srivastavahttps://www.blogger.com/profile/06514999274631808844noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-87057860966997349812009-06-23T21:42:11.780+05:302009-06-23T21:42:11.780+05:30नीलमजी,
उत्साहवर्धन के लिए शत-शत धन्यवाद |
रेहान ...नीलमजी,<br />उत्साहवर्धन के लिए शत-शत धन्यवाद |<br /><br />रेहान जी,<br />कंधे पर मुझको बिठाये, पैदल सफ़र पर चल पड़े हो |<br />ठण्ड से सिहरन बहुत है, आवाज़ पर ताले जड़े हैं ,<br />थकान भी चेहरे पे दिखती, पांव में छाले पड़े हैं |<br />चित्र पर लिखने हेतु बधाई |<br />सादर,<br />अम्बरीष श्रीवास्तवAmbarish Srivastavahttps://www.blogger.com/profile/06514999274631808844noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-58945551952123332872009-06-23T16:33:50.741+05:302009-06-23T16:33:50.741+05:30मेरा भार उठा रहे, ताने अपना शीश |
उनके भार उठा सकू...मेरा भार उठा रहे, ताने अपना शीश |<br />उनके भार उठा सकूँ, भगवन दो आशीष <br /><br />anbreesh ji ,<br /> sabhi ki yahi ho khawaahish ,isi dua ke saathn achchi kavita ke liye bahut bahut badhaaineelamhttps://www.blogger.com/profile/00016871539001780302noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-12854449055186898292009-06-23T13:43:41.398+05:302009-06-23T13:43:41.398+05:30घर में तुम घोड़ा बने थे, यहाँ भी घोड़ा बने हो,
कंधे ...घर में तुम घोड़ा बने थे, यहाँ भी घोड़ा बने हो,<br />कंधे पर मुझको बिठाये, पैदल सफ़र पर चल पड़े हो |<br />ठण्ड से सिहरन बहुत है, आवाज़ पर ताले जड़े हैं ,<br />थकान भी चेहरे पे दिखती, पांव में छाले पड़े हैं |<br />बगैर किये उम्मीद कोई, मुझको सब कुछ दे रहे हो, <br />पंक्षियों की मानिंद मुझसे , कोई भी ख्वाहिश नहीं है |<br />जानते हो पर निकलते ही आसमान में उड़ जाउँगा,<br />कितना ही मुझको पुकारो, शायद ही साथ होऊंगा |<br />अथाह प्यार दिल में छिपाए, नारियल से लग रहे हो, <br />अपनापन कितना है तुममें, सबको जाहिर हो रहा है|Unknownhttps://www.blogger.com/profile/01584211572819884981noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-57562547839524755172009-06-23T12:50:01.861+05:302009-06-23T12:50:01.861+05:30मान्यनीय अम्बरीश जी
उत्साह वर्धन के लिये बहुत-बहुत...मान्यनीय अम्बरीश जी<br />उत्साह वर्धन के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद<br />दीपली पन्त तिवारी "दिशा"Dishahttps://www.blogger.com/profile/14880938674009076194noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-46206731685631493242009-06-23T12:36:14.222+05:302009-06-23T12:36:14.222+05:30माननीय अहसन जी,
उत्साहवर्धन हेतु शत-शत धन्यवाद |
ह...माननीय अहसन जी,<br />उत्साहवर्धन हेतु शत-शत धन्यवाद |<br />हमारी कामना है कि आपको स्वस्थ जीवन व दीर्घायु मिले |<br /><br />आदरणीया दिशाजी,<br />बहुत खूब ! आपने तो पिता का मर्मस्पर्शी चित्रण कर दिया |<br /><br />माँ जन्म देती है,तो पिता ऊँगली पकड़ चलाता है<br />हमारे भरण-पोषण का भार उठाता है<br />लड़खड़ाताहै जब भी कदम हमारा<br />हाथ दे बन जाता है वो सहारा<br />नारियल की तरह है पिता का प्यार<br />ऊपर से सख्त,अन्दर से नम्रता का भण्डार<br />हमने जब भी कोई,सपना बुना है<br />पिता ही तो है,जिसने उसे सुना है<br />दिया है जीवन को आधार<br />अनमोल है पिता का दुलार<br />खो ना जायें भीड़ में कहीं, यही सोचकर<br />उठा लेता है वो हमें, अपने कांधों पर<br />कभी पिठ्ठू तो कभी घोडा़ बना है<br />हमारे लिये हर दु:ख दर्द सहा है<br /><br />धन्यवाद |Ambarish Srivastavahttps://www.blogger.com/profile/06514999274631808844noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-86536255202329376472009-06-23T10:29:16.565+05:302009-06-23T10:29:16.565+05:30जब-जब महानता का प्रश्न उठा है
हम सभी ने माँ को ही ...जब-जब महानता का प्रश्न उठा है<br />हम सभी ने माँ को ही चुना है<br />ये सही है कि माँ अतुलनीय है<br />लेकिन पिता का ओहदा भी कुछ कम नही है<br />माँ जन्म देती है,तो पिता ऊँगली पकड़ चलाता है<br />हमारे भरण-पोषण का भार उठाता है<br />लड़खड़ाताहै जब भी कदम हमारा<br />हाथ दे बन जाता है वो सहारा<br />नारियल की तरह है पिता का प्यार<br />ऊपर से सख्त,अन्दर से नम्रता का भण्डार<br />हमने जब भी कोई,सपना बुना है<br />पिता ही तो है,जिसने उसे सुना है<br />दिया है जीवन को आधार<br />अनमोल है पिता का दुलार<br />खो ना जायें भीड़ में कहीं, यही सोचकर<br />उठा लेता है वो हमें, अपने कांधों पर<br />कभी पिठ्ठू तो कभी घोडा़ बना है<br />हमारे लिये हर दु:ख दर्द सहा हैDishahttps://www.blogger.com/profile/14880938674009076194noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-47778125008751499412009-06-23T09:43:41.103+05:302009-06-23T09:43:41.103+05:30ambreesh ji,
great.
aap ki kavita padh ke to bas m...ambreesh ji,<br />great.<br />aap ki kavita padh ke to bas mazaa aa gaya. kya siidhi saral bhasha mein 'golu - molu' ka chitran kiya hai. chitra ke bilkul nazdeek aap ki kavita. kya baat hai!<br />prasann rahiye.<br />ahsanmohammad ahsannoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-72127273957319541222009-06-23T07:52:52.051+05:302009-06-23T07:52:52.051+05:30तपती धूप की शिद्दत,
बर्फ सी ठंढी हवाएं ,
तेज़ ओ तु...तपती धूप की शिद्दत,<br />बर्फ सी ठंढी हवाएं ,<br />तेज़ ओ तुन्द तूफां के झक्कड़ ,<br />दुनिया के काले नाग और कंटीले रास्ते ;<br />मुझे हिफाज़त करनी है तेरी एक नाज़ुक पौध की मानिंद ,<br />तेरी उम्र को सींचूं गा मै अपने रगों के खून से ,<br />अपने फ़िक्र ओ फ़न से ;<br />खाद दूँ गा तेरी जड़ों को<br />अपने पसीने की बूंदों से ;<br />तुझे बढ़ता देखूँ गा मैं<br />एक मुस्तहकम दरख्त की मानिंद ,<br />वो दरख्त कि जिस में<br />इल्म की शाखें हों ,<br />अक़ीदे के फूल हों,<br />फ़राएज़ के फल हों ;<br />खिदमत का साया हो,<br />और सब्र ओ सुकूं के बर्ग हों<br />वो दरख्त जो सूख कर भी जिंदगी बख्शे ;<br /><br />बहुत अच्छी रचना अहसन साहबAmbarish Srivastavahttps://www.blogger.com/profile/06514999274631808844noreply@blogger.com