tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post1413507375428535103..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: वेश्याशैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-10595046294353008082011-01-21T22:08:56.759+05:302011-01-21T22:08:56.759+05:30आपने कई समय से समाज मेँ चल रहे कटु सत्य को लिखा। ह...आपने कई समय से समाज मेँ चल रहे कटु सत्य को लिखा। हमें ऐसे शब्द को नब्ट करना होगा।<br />लूणाराम पंवार पत्रकार<br />ईटीवी राजस्थान सांचौर<br />MO.9166487063lunaram panwar junlisthttps://www.blogger.com/profile/03798663669510112510noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-44839204634432887952010-09-06T18:28:37.085+05:302010-09-06T18:28:37.085+05:30Bold poem well writtenBold poem well writtenmonahttps://www.blogger.com/profile/10931995231692418423noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-73876374936444308222008-04-24T11:03:00.000+05:302008-04-24T11:03:00.000+05:30अभिषेक जी!आपने परदे के पीछे की कहानी बताई है, जिसस...अभिषेक जी!<BR/>आपने परदे के पीछे की कहानी बताई है, जिससे बाकी लोग बचकर निकल जाना चाहते हैं। आपकी इस हिम्मत के लिए आपको दाद देता हूँ। <BR/><BR/>कविता हर मामले में सफल है। बधाई स्वीकारें।<BR/><BR/>-विश्व दीपक’तन्हा’विश्व दीपकhttps://www.blogger.com/profile/10276082553907088514noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-31653607232719900672008-04-23T12:14:00.000+05:302008-04-23T12:14:00.000+05:30क्योंकि....हर दिनएक नए रूप मेंढ़ल जाने की कोशिशउसक...क्योंकि....हर दिन<BR/>एक नए रूप में<BR/>ढ़ल जाने की कोशिश<BR/>उसकी ज़िन्दगी का जरिया है<BR/> अभिषेक जी, वैश्या के जीवन में<BR/>कुछ अछुते विचारों को कविता में<BR/>प्रकाश में लाने की कोशिश! बधाईHariharhttps://www.blogger.com/profile/07513974099414476605noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-55682274983249965482008-04-22T21:50:00.000+05:302008-04-22T21:50:00.000+05:30बड़ी अजीब सी बात है हम एक सुख के लिए ,एक प्यास लिए ...बड़ी अजीब सी बात है हम एक सुख के लिए ,एक प्यास लिए वेश्या तक पहुँचते हैं और एक कविता पढ़ना इसी विषय पर कहीं न कहीं मेरी कोई प्यास शांत कर रहा है |हाँ ये प्यास ग़लत नही शायद ....| एक वेश्या ने कितनी ही प्यास शांत कर दी ,लिखने वाले कि पढने वाले की, किस्सी के पति की , वेश्या के पति की ....<BR/> वेश्यावृति जो की दुनिया का सबसे पुराना व्यवसाय है कहीं न कहीं समाज की जरूरतों को पूरा कर रहा है तभी आज तक ये समाज में उपस्थित है | ये कविता एक बेहद ही दर्दनाक सत्य को उजागर करती है | मुझे नही लगता कि हम साहित्य से हटकर कोई भी ऐसा प्रयास कर सकते हैं जो इस विवशता को हटा सके | नग्न सत्य के बेबाक चित्रण के लिए अभिषेक जी को बधाई|<BR/>“?अगर किसी स्त्री के पास पति है तो वो वेश्या क्यों बनेगी? यह बात मेरी समझ नहीं आई!!!”<BR/>पूजा अनिल जी , किस्सी के पास पति है इसका बिल्कुल मतलब नही वो वेश्या नही हो सकती|<BR/>वैसे भी ज्यदा तर वेश्या कोई बनता नही बहुत सारी स्थितियां ,परिथिथियाँ मजबूर कर देती हैं और बना देती हैं शायद येही जवाब होगा अभिषेक जी का भी , इस कविता के परिप्रेक्ष्य में ...मेरे ख्याल से ...<BR/>दिव्य प्रकाशDivya Prakashhttps://www.blogger.com/profile/10953256514562221873noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-78069555734919486702008-04-22T19:52:00.000+05:302008-04-22T19:52:00.000+05:30अभिषेक जी,बहुत ही करारा बाण चलाया है,अद्भुतआलोक सि...अभिषेक जी,बहुत ही करारा बाण चलाया है,अद्भुत<BR/>आलोक सिंह "साहिल"Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-4715001579274663752008-04-22T15:18:00.000+05:302008-04-22T15:18:00.000+05:30अभिषेक जी , अगर किसी स्त्री के पास पति है तो वो व...अभिषेक जी , अगर किसी स्त्री के पास पति है तो वो वेश्या क्यों बनेगी? यह बात मेरी समझ नहीं आई!!!<BR/><BR/>^^पूजा अनिलAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-38551270162802709622008-04-22T14:34:00.000+05:302008-04-22T14:34:00.000+05:30वेश्या जीवन की कशमकश का यथार्थ चित्रण.अच्छी रचना.....वेश्या जीवन की कशमकश का यथार्थ चित्रण.<BR/><BR/>अच्छी रचना.. अवनीश जी का प्रश्न सोचनीय.भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghavhttps://www.blogger.com/profile/05953840849591448912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-67268235504018702752008-04-22T09:12:00.000+05:302008-04-22T09:12:00.000+05:30बिल्कुल सही है अवनीश जी, यही कोशिश होनी चाहिए, दरअ...बिल्कुल सही है अवनीश जी, यही कोशिश होनी चाहिए, दरअसल कविता का मकसद भी यही है, कि किसी मे इस तरह का जज्बा जगे, और अभिषेक की कविता उस मकसद में कमियाब रही हैSajeevhttps://www.blogger.com/profile/08906311153913173185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-45924276003025565492008-04-21T17:05:00.000+05:302008-04-21T17:05:00.000+05:30आपने सामाजिक कटु सत्य या फ़िर किसी की मजबूरी को सीध...आपने सामाजिक कटु सत्य या फ़िर किसी की मजबूरी को सीधे -सादे शब्दों मे व्यक्त कर दियाseema sachdevahttps://www.blogger.com/profile/15533434551981989302noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-34044366437223969812008-04-21T14:53:00.000+05:302008-04-21T14:53:00.000+05:30एक कटु सत्य को निर्भयता से कहने के लिए बधाई |क्या ...एक कटु सत्य को निर्भयता से कहने के लिए बधाई |<BR/>क्या साहित्य से आगे निकल कर इस तरह के विवशता को हटाने के लिए प्रयास करे ?<BR/><BR/>-- अवनीश तिवारीअवनीश एस तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/04257283439345933517noreply@blogger.com