tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post116832249271734593..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: एक संवाद सूरज से..शैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-1168835889158568002007-01-15T10:08:00.000+05:302007-01-15T10:08:00.000+05:30कविता की सराहना के लिये धन्यवाद|मैं आलोक शंकर जी स...कविता की सराहना के लिये धन्यवाद|मैं आलोक शंकर जी से सहमत हूं कि "जब चेतना पाने के उपाय की बारी आती है तो कवि "यादों की पट्टी " को अचेतना का कारण बताकर खानापूरी कर लेता है" तथापि मुझे लगता है कि "यादों कि पट्टी" पलक से न हटे तो "कसक के सभी द्वार" कैसे खुलेंगे? "खुली स्वास लो" तुम लिखने के अभिप्राय को पानें के लिये बंधन से मुक्ति के चित्रन का प्रयास था जो असफल रहा| इतनी सटीक समालोचना के लिये आलोक जी को साधुवाद|यद्यपि "स्वास" की जगह "श्वास" करने पर अर्थ में अंतर नहीं पडता किंतु काव्य पठन के समय उसकी रवानी में अंतर आता है, मेरे अनुसार भी टाइपिंग मिस्टेक है की जगह "स्वांस" होना चाहिये था, यत्न करूंगा कि अगली पोस्टिंग में ये गल्तियाँ न होंराजीव रंजन प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-1168632211436879412007-01-13T01:33:00.000+05:302007-01-13T01:33:00.000+05:30"स्वास" की जगह "श्वास" होना चहिये , पर संभवतः यह "..."स्वास" की जगह "श्वास" होना चहिये , पर संभवतः यह "टाइपिंग मिस्टेक" हैAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-1168632034497498452007-01-13T01:30:00.000+05:302007-01-13T01:30:00.000+05:30श्रेष्ठ भाव और सुन्दर रचना, सिर्फ़ एक बात- "यादों क...श्रेष्ठ भाव और सुन्दर रचना, सिर्फ़ एक बात- "यादों की पट्टी " से शिकायत है। पूरी कविता उत्कृष्ट मानवीय चेतना की वकालत करती है और जब चेतना पाने के उपाय की बारी आती है तो कवि "यादों की पट्टी " को अचेतना का कारण बताकर खानापूरी कर लेता है जो<BR/><B>"ये उजले सवरे उन्हें ही मिलेंगे<BR/>जो आंखों को मन की खोला करेंगे"</B> <BR/>जैसी पंक्तियों की सुन्दरता पर प्रहार करते हैं।<BR/> कविता की उत्कृष्टता सराहनीय है।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-1168436127551196962007-01-10T19:05:00.000+05:302007-01-10T19:05:00.000+05:30अतिसुन्दर आशावादी कविता.यादों की पट्टी पलक से हटाओ...अतिसुन्दर आशावादी कविता.<BR/><BR/><B>यादों की पट्टी पलक से हटाओ<BR/>कसक के सभी द्वार खोलो<BR/>खुली स्वास लो तुम</B><BR/><BR/><BR/>सही है.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-1168396591900067152007-01-10T08:06:00.000+05:302007-01-10T08:06:00.000+05:30सही है.सही है.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-1168335082887966742007-01-09T15:01:00.000+05:302007-01-09T15:01:00.000+05:30राजीव जी,चलिए अच्छा है। तुषार के बाद आप भी आशावादी...राजीव जी,<BR/><BR/>चलिए अच्छा है। तुषार के बाद आप भी आशावादी कविता के साथ प्रस्तुत हुये हैं।<BR/>आप निम्न पंक्तियों ने मुझे भी जगाया-<BR/><BR/><B><BR/>ये उजले सवरे उन्हें ही मिलेंगे<BR/>जो आंखों को मन की खोला करेंगे<BR/>यादों की पट्टी पलक से हटाओ<BR/>कसक के सभी द्वार खोलो<BR/>खुली स्वास लो तुम<BR/>अपने ही में गुम<BR/>न रह कर उठो तुम<BR/>तो देखो हरएक फूल में<BR/>वो है तुमनें<BR/>पलक मूंद कर जिसको<BR/>मोती बनाया<BR/>नई मंज़िलों को तलाशो तो भाई<BR/></B>शैलेश भारतवासीhttps://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-1168330720662051452007-01-09T13:48:00.000+05:302007-01-09T13:48:00.000+05:30bahut hi achchhi rachna hai. bahut sundar likha ha...bahut hi achchhi rachna hai. <BR/>bahut sundar likha hai apne.विश्व दीपकhttps://www.blogger.com/profile/10276082553907088514noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-1168325937081585872007-01-09T12:29:00.000+05:302007-01-09T12:29:00.000+05:30बहुत ही अच्छी रचना ।बहुत ही अच्छी रचना ।Anonymousnoreply@blogger.com